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सतत् विकास लक्ष्य प्राप्ति अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ

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संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्यों पर, चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित प्रथम त्रिदिवसीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ शुक्रवार को दीनदयाल परिसर के विवेकानंद सभागार में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार प्रभावी कार्य कर रही हैं।

वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की 70वीं बैठक में ‘2030 सतत् विकास हेतु एजेंडा’ के तहत सदस्य देशों द्वारा 17 विकास लक्ष्य अर्थात् एसडीजी (Sustainable Development goals-SDGs) तथा 169 प्रयोजन अंगीकृत किये गए हैं।

क्या है सतत् विकास?

‘पर्यावरण तथा विकास पर विश्व आयोग’ (1983) के अंतर्गत बर्टलैंड कमीशन द्वारा जारी रिपोर्ट (1987) के अनुसार–‘आने वाली पीढ़ी की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता से समझौता किये बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु विकास ही सतत् विकास है।’

SDGs क्यों?

MDGs (Millennium Development Goals) की अवधि 2015 में खत्म हो गई। पर्यावरण सुरक्षा के साथ मानव विकास हेतु।

संयुक्त राष्ट्र का एजेंडा 2030 (17 विकास लक्ष्य)

  • गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति।
  • भूख की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा।
  • सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा।
  • समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना।
  • लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना।
  • सभी के लिये स्वच्छता और पानी के सतत् प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना।
  • सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत् आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार तथा बेहतर कार्य को बढ़ावा देना।
  • लचीले बुनियादी ढाँचे, समावेशी और सतत् औद्योगीकरण को बढ़ावा।
  • देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना।
  • सुरक्षित, लचीले और टिकाऊ शहर और मानव बस्तियों का निर्माण।
  • स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना।
  • जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई करना।
  • स्थायी सतत् विकास के लिये महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग।
  • सतत् उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव-विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना।
  • सतत् विकास के लिये शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही साथ सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेहपूर्ण बनाना ताकि सभी के लिये न्याय सुनिश्चित हो सके।
  • सतत् विकास के लिये वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्त कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना।

क्या थे MDGs (Millennium Development Goals)?

  • ये संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2000 में फ्रेम को स्वीकार किया गया था।
  • लेकिन लक्ष्यों की 1990 के स्तर पर गणना की गई।
  • ये 2015 तक के लिये थे।
  • इसके अंतर्गत 8 गोल तथा 18 टारगेट्स रखे गए थे।

यूएनडीपी की भूमिका

  • SDG1 जनवरी, 2016 से प्रभाव में आ गए तथा यूएनडीपी की निगरानी व संरक्षण में ये अगले 15 सालों तक प्रभावी रहेंगे। संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख SDG, लक्ष्य प्राप्ति कार्य करने वाली संस्था यूएनडीपी विश्व के 170 देशों में इन लक्ष्यों की प्राप्ति पर नजर रखेगी।
  • यूएनडीपी का प्रमुख लक्ष्य इन देशों में गरीबी को खत्म करना, लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को प्रोत्साहन, पर्यावरण परिवर्तन और आपदा परिवर्तन पर कार्य तथा आर्थिक समानता प्राप्ति आदि पर ज्यादातर केंद्रित रहेगा।
  • SDGs, लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये सरकारी, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज तथा सभी लोगों को आपसी सहयोग से काम करना होगा।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

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