भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य हासिल करने में सौर उपकरणों का सालाना आयात 30 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है: GTRI
चर्चा में क्यों है?
- ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा है कि 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का भारत का महत्वाकांक्षी लक्ष्य, सौर उपकरणों को लेकर चीन पर भारी निर्भरता के कारण, वार्षिक सौर उपकरण आयात लगभग 30 अरब डॉलर तक पहुंचा सकता है।
- ऐसे में थिंक टैंक GTRI ने भारत के लिए एक आत्मनिर्भर सौर विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है, विशेष रूप से पॉलीसिलिकॉन और वेफर उत्पादन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में।
नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य की प्राप्ति और सौर उपकरणों का बढ़ता आयात:
- उल्लेखनीय है कि भारत ने 2023-24 में 15 गीगावाट सौर क्षमता जोड़ी है, जिससे सितंबर तक कुल क्षमता 90.8 गीगावाट हो जाएगी, जो 2014 के सिर्फ 2.8 गीगावाट से उल्लेखनीय वृद्धि है।
- हालांकि, GTRI का अनुमान है कि 2030 तक 500 गीगावाट लक्ष्य हासिल करने के लिए देश को सालाना 65-70 गीगावाट तक स्थापना बढ़ानी होगी, जिसमें सौर ऊर्जा का हिस्सा 80 प्रतिशत से अधिक होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि “यह लक्ष्य अत्यधिक महत्वाकांक्षी है, विशेष रूप से भारत की आयात पर निर्भरता को देखते हुए, जो सौर आयात को सालाना 30 अरब डॉलर तक बढ़ा सकता है”।
- 2023-24 में भारत ने 7 अरब डॉलर मूल्य के सौर उपकरण आयात किए, जिसमें चीन की हिस्सेदारी 62.6 प्रतिशत की थी। क्योंकि वैश्विक सौर विनिर्माण में चीन का प्रभुत्व – पॉलीसिलिकॉन उत्पादन के 97 प्रतिशत और सौर मॉड्यूल के 80 प्रतिशत पर नियंत्रण – अन्य देशों के लिए प्रतिस्पर्धा करना चुनौतीपूर्ण बनाता है।
- भारत ने स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना जैसी पहल की है, लेकिन इन प्रयासों का सीमित प्रभाव पड़ा है, क्योंकि वे आयातित इनपुट पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
- पिछले वित्त वर्ष में, भारत ने सौर सेल और इनवर्टर और केबल जैसे अन्य प्रमुख घटकों के साथ-साथ इन मॉड्यूलों का 4.4 बिलियन डॉलर का आयात किया।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के लगभग 90 प्रतिशत सौर विनिर्माण में आयातित सोलर सेल से सोलर मॉड्यूल की असेम्बलिंग शामिल है, जिसमें केवल 15 प्रतिशत स्थानीय मूल्यवर्धन होता है। साथ ही केवल कुछ भारतीय कंपनियां ही वाणिज्यिक पैमाने पर सौर सेल बनाती हैं, और कोई भी घरेलू सामग्रियों का उपयोग करके सौर सेल का उत्पादन नहीं करती है।
सौर उपकरणों के आयात कम करने के लिए आवश्यक उपाय:
- ऐसे में आयात को कम करने के लिए, भारत को सिलिका शोधन से शुरू करके सौर सेल के उत्पादन में निवेश करने की आवश्यकता है, जिसमें पॉलीसिलिकॉन उत्पादन जैसी महंगी और ऊर्जा-गहन प्रक्रियाएं शामिल हैं।
- एल्युमीनियम फ्रेम और ग्लास जैसी प्रमुख सामग्रियों के घरेलू उत्पादन के महत्व को देखते हुए, जिसके लिए मजबूत अनुसंधान और विकास प्रयासों और महत्वपूर्ण सरकारी समर्थन की आवश्यकता होगी।
- घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाने की भी आवश्यकता है, जिसमें अपस्ट्रीम सौर उत्पादन में निवेश, पीएलआई योजना के दायरे का विस्तार और कुशल कार्यबल का निर्माण शामिल है।
- साथ ही भारत को बड़े पैमाने पर सौर विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान जैसे देशों के साथ सहयोग करना चाहिए।
नोट : आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए Vajirao & Reddy Institute के साथ जुडें.
नोट : हम रविवार को छोड़कर दैनिक आधार पर करेंट अफेयर्स अपलोड करते हैं
Read Current Affairs in English ⇒