शेख हसीना के इस्तीफे के बाद सुर्खियों में आया बांग्लादेश का ‘सेंट मार्टिन द्वीप’:
चर्चा में क्यों है?
- बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने 11 अगस्त को कहा कि हाल ही में एक अखबार द्वारा कथित तौर पर उनकी मां के हवाले से प्रकाशित “इस्तीफे” वाला बयान “पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत” था। कथित बयान के अनुसार, हसीना ने कहा कि अगर उन्होंने बांग्लादेश का “सेंट मार्टिन द्वीप अमेरिका को दे दिया होता तो वह सत्ता में बनी रह सकती थीं”।
- संभवतः यह बयान शेख हसीना के 2023 के भाषण से लिया गया लगता है जिसमें उन्होंने दावा किया था कि “अगर सेंट मार्टिन द्वीप को पट्टे पर दे दिया जाता है तो सत्ता पर बने रहने में कोई समस्या नहीं होगी, लेकिन वह ऐसा नहीं करेंगी”।
सेंट मार्टिन द्वीप कहाँ स्थित है?
- मात्र 3 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला सेंट मार्टिन द्वीप, जिसे स्थानीय रूप से “नारिकेल ज़िन्ज़ीरा” या “नारियल द्वीप” के नाम से भी जाना जाता है, बंगाल की खाड़ी के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित है। यह बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार-टेकनाफ़ प्रायद्वीप के दक्षिणी सिरे से नौ किलोमीटर दूर है।
- 3 किलोमीटर लंबा यह द्वीप ज्यादातर समतल है और समुद्र तल से 3.6 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह बांग्लादेश का एकमात्र प्रवाल द्वीप है और समुद्री कछुओं का प्रजनन स्थल भी है।
- इस द्वीप की स्थायी आबादी लगभग 10,000 लोगों की है। चूँकि यह एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है, इसलिए यहाँ हर दिन औसतन 10,000 पर्यटक रुकते हैं।
सेंट मार्टिन द्वीप भू-राजनीतिक दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण है?
- सेंट मार्टिन में अमेरिका की कथित रुचि इस तथ्य पर आधारित हो सकती है कि द्वीप पर एक बेस अमेरिका को हिंद महासागर में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने में मदद करेगा।
- सेंट मार्टिन की अवस्थिति, बंगाल की खाड़ी से इसकी निकटता और म्यांमार के साथ इसकी समुद्री सीमा, इस द्वीप में अंतर्राष्ट्रीय रुचि के पीछे के कारण हो सकते हैं, विशेष रूप से अमेरिका और चीन से। इस द्वीप पर एक सैन्य उपस्थिति क्षेत्र में उनकी क्षमताओं को मजबूत करेगी।
सेंट मार्टिन द्वीप का इतिहास क्या है?
- यह द्वीप लगभग 5,000 साल पहले, टेकनाफ़ प्रायद्वीप का हिस्सा था, लेकिन धीरे-धीरे समुद्र में डूब गया। लगभग 450 साल पहले, वर्तमान सेंट मार्टिन द्वीप के दक्षिणी हिस्सा फिर से उभरे – द्वीप के उत्तरी और बाकी हिस्से उसके बाद के 100 वर्षों में समुद्र तल से ऊपर उठ गए।
- उल्लेखनीय है कि अरब व्यापारी इस द्वीप पर बसने वाले पहले लोगों में से थे। वे 18वीं शताब्दी में वहाँ पहुँचने लगे। इन व्यापारियों ने शुरू में द्वीप का नाम “जज़ीरा” रखा और बाद में इसे बदलकर “नारिकेल जिंजीरा” या “नारियल द्वीप” कर दिया।
- सर्वेक्षणकर्ताओं की एक ब्रिटिश टीम ने 1900 में इस द्वीप को तत्कालीन ब्रिटिश भारत का हिस्सा माना और इसका नाम या तो सेंट मार्टिन नामक एक ईसाई पादरी के नाम पर रखा या फिर चटगाँव के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर श्री मार्टिन के नाम पर।
- 1937 में म्यांमार के अलग होने के बाद भी यह द्वीप ब्रिटिश भारत का हिस्सा बना रहा।
- 1947 में भारतीय उपमहाद्वीप के विभाजन के बाद यह द्वीप पाकिस्तान के नियंत्रण में आ गया। इसके बाद 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद यह द्वीप बांग्लादेश का हिस्सा बन गया। और 1974 में बांग्लादेश और म्यांमार के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत इस द्वीप को बांग्लादेशी क्षेत्र का हिस्सा माना गया।
- 1974 के समझौते के बावजूद, द्वीप की समुद्री सीमा के सीमांकन को लेकर मुद्दे बने रहे, जिसके बाद 2012 में अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून न्यायाधिकरण ने एक ऐतिहासिक निर्णय दिया, जिसमें द्वीप पर बांग्लादेश की संप्रभुता की पुष्टि की गई।
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