रूस और उत्तर कोरिया के मध्य ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ संधि:
चर्चा में क्यों है?
- राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के द्वारा रूस और उत्तर कोरिया के बीच एक संधि, को कानून बनाने के लिए हस्ताक्षर किए हैं, रूस उत्तर कोरिया के साथ रणनीतिक साझेदारी में शामिल हो गया है।
- इस समझौते में पारस्परिक रक्षा का प्रावधान है, जिसके तहत सशस्त्र हमले की स्थिति में प्रत्येक देश को दूसरे देश को सैन्य सहायता प्रदान करना अनिवार्य है।
- यह घटनाक्रम राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन द्वारा प्योंगयांग में एक शिखर सम्मेलन के बाद एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के लगभग पांच महीने बाद हुआ है।
रूस और उत्तर कोरिया के बीच इस संधि में क्या शामिल है?
- ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अनुसार, दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर यह संधि, 1961 और 2000 की संधियों और 2000 और 2001 के मास्को और प्योंगयांग घोषणा पत्रों की जगह लेगी। हालांकि रूस ने उत्तर कोरिया के साथ संधि के सभी पहलुओं का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया है।
- इस संधि में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 के अनुसार, यदि किसी भी देश पर सशस्त्र हमला होता है, तो तत्काल सैन्य और अन्य प्रकार की सहायता के प्रावधान भी शामिल हैं। अर्थात इस संधि में NATO के अनुच्छेद V (आपसी रक्षा सहयोग) के समान एक खंड शामिल है।
- दोनों देश ऐसे गठबंधनों या समझौतों में शामिल होने से बचने पर भी सहमत हुए जो एक-दूसरे को खतरा पैदा कर सकते हैं। यह खंड कथित खतरों के खिलाफ एक एकीकृत मोर्चे का सुझाव देता है, जो साझेदारी के रक्षात्मक और रणनीतिक पहलुओं को मजबूत करता है।
- यह समझौता एक “बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था” को बढ़ावा देने पर भी ज़ोर देता है, एक ऐसी अवधारणा जो कुछ लोगों के हाथों में केंद्रित होने के बजाय कई देशों में वैश्विक शक्ति के वितरण की वकालत करती है।
- इसके अतिरिक्त यह संधि सीमा पार सहयोग को बढ़ाने पर प्रकाश डालती है, जो पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद आर्थिक लचीलापन बनाने के प्रयास का संकेत देती है। ऐसे में इस संधि से व्यापार, आर्थिक सहयोग, निवेश, वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग के विस्तार और विकास को बढ़ावा मिलने की भी उम्मीद है।
रूस-उत्तर कोरिया के बीच प्रगाढ़ होते संबंध:
- इस वर्ष जून में राष्ट्रपति पुतिन की प्योंगयांग की यात्रा के बाद से उत्तर कोरिया के साथ रूस का बढ़ता गठबंधन और भी गहरा हो गया है। इस यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो शीत युद्ध के बाद से उनके बीच सबसे करीबी सैन्य सहयोग को दर्शाता है।
- यह समझौता रूस-उत्तर कोरिया संबंधों को और मजबूत करने का प्रतीक है, खासकर रूस द्वारा 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से। चूंकि रूस यूक्रेन पर अपने आक्रमण को लेकर अंतरराष्ट्रीय अलगाव का सामना कर रहा है, इसलिए उसे उत्तर कोरिया जैसे सहयोगियों से सैन्य और राजनीतिक दोनों तरह का समर्थन मिलना महत्वपूर्ण है।
- यह समझौता तब हुआ जब पश्चिमी और दक्षिण कोरियाई ख़ुफ़िया सूत्रों ने आरोप लगाया कि उत्तर कोरिया ने रूस को हथियार मुहैया कराए हैं।
- इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट बताती हैं कि उत्तर कोरिया ने अपने हजारों सैनिकों को रूस भेजा है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के अनुसार, उत्तर कोरिया ने यूक्रेन के खिलाफ प्रशिक्षण और संभवतः लड़ने के लिए लगभग 10,000 सैनिकों को रूस भेजा है। राष्ट्रपति जो बिडेन ने इस कदम को “बहुत खतरनाक” बताया, नाटो महासचिव मार्क रूटे ने भी इस भावना को दोहराया, जिन्होंने इसे “रूस के युद्ध का खतरनाक विस्तार” कहा है।
दोनों देशों के लिए इस संधि का रणनीतिक महत्व:
- कोरिया इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल यूनिफिकेशन के वरिष्ठ विश्लेषक होंग मिन के अनुसार, इस द्विपक्षीय अनुसमर्थन का मतलब है कि “दोनों देश, रूस में उत्तर कोरिया की सैन्य तैनाती के लिए वैधता का दावा करेंगे, यह तर्क देते हुए कि यह कार्रवाई दोनों के बीच अनुसमर्थित संधि द्वारा उचित है”।
- हांग ने आगे कहा कि “हालांकि उनकी संधि ऐसे सहयोग को प्रतिबंधित करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों को रद्द नहीं करती है, लेकिन वे अपने समझौते के आधार पर इसकी वैधता का दावा करेंगे।”
- कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह संधि भविष्य में रूस में उत्तर कोरियाई सैनिकों की और भी अधिक तैनाती का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
इस संधि पर पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया:
- G7 (ग्रुप ऑफ सेवन) देशों और इनके तीन प्रमुख सहयोगियों – दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के विदेश मंत्रियों ने उत्तर कोरिया और रूस के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग की निंदा करते हुए एक कड़ा बयान जारी किया।
- उन्होंने उत्तर कोरियाई सैनिकों द्वारा यूक्रेन में रूस के अभियान का सीधे समर्थन करने की संभावना पर चिंता व्यक्त की, चेतावनी दी कि इस तरह की भागीदारी संघर्ष के दायरे को खतरनाक रूप से बढ़ा देगी।
- G7 देशों ने बयान में रूस को उत्तर कोरिया के बैलिस्टिक मिसाइल और गोला-बारूद के निर्यात के बारे में चिंताओं को उजागर किया गया, और इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन बताया गया।
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