Current Affair 13 October 2021

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Current Affairs – 13 October, 2021

12 और ई15

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने जीएसआर 728 (ई), दिनांक 11 अक्टूबर, 2021 के तहत ई12 (गैसोलीन के साथ 12 प्रतिशत इथेनॉल) और ई15 (गैसोलीन के साथ 15 प्रतिशत इथेनॉल 12) ईंधनों के लिए व्यापक उत्सर्जन मानकों को अधिसूचित किया है। यह ऑटोमोटिव उद्योग को ई12 और ई15 अनुपालक मोटर वाहनों का निर्माण करने में सक्षम बनाएगा।

उत्सर्जन मानकों

बीएस का अर्थ है भारत स्टेज। इसका संबंध स्पष्ट रूप से उत्सर्जन मानकों से है। भारत स्टेज उत्सर्जन मानक आतंरिक दहन और इंजन तथा स्पार्क इग्निशन इंजन के उपकरण से उत्सर्जित वायु प्रदूषण को विनियमित करने के मानक हैं। ये मानक भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा तय किये जाते हैं।

अभी पूरे देश में यातायात ईंधन BS-IV लागू है। सरकार द्वारा भारत में बीएस-IV से सीधे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बीएस–VI ग्रेड को 1 अप्रैल 2020 से लागू करने का फैसला लिया गया है। विभिन्न तेल शोधन कंपनियाँ BS-IV ईंधन के उत्पादन के लिये भारी मात्रा में निवेश कर रही हैं।

BS-VI मानक के लिये अपेक्षित बदलाव-

  • इसके लिये कारों के साथ-साथ बसों, ट्रकों जैसे भारी वाहनों में भी फिल्टर लगाना ज़रूरी हो जाएगा।
  • BS-VI के लिये विशेष प्रकार के डीज़ल पार्टिकुलेट फिल्टर लगाने की आवश्यकता होगी। इसके लिये वाहन के बोनट के अंदर ज़्यादा स्थान की आवश्यकता होगी।
  • नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स को फिल्टर करने के लिये सेलेक्टिव कैटेलिटिक रिडक्शन (SCR) तकनीक का इस्तेमाल भी बीएस-VI की अनिवार्य शर्त है।
  • SCR- तकनीक में अमोनिया का प्रयोग किया जाता है, इसलिये राष्ट्रीय स्तर पर अमोनिया के भंडारण के लिये अवसंरचना की आवश्यकता होगी।

देश में वायु प्रदूषण की समस्या पर नियंत्रण पाने के लिये BS मानकों का गंभीरता से पालन करना समय की मांग है। अतः पूरे देश में इन मानकों के अनुपालन की कोशिशें तेज़ हो गई  हैं।

एथेनॉल

एथेनॉल, यह भविष्‍य का एक बेहद ही महत्‍वपूर्ण तत्‍व है जो हमारे वाहनों, प्रदूषण और इसके इस्‍तेमाल से होने वाले फायदे से जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि इन दिनों सरकार और ऑटो-मोबाइल सेक्‍टर के साथ ही पूरी दुनिया में यह खासतौर से चर्चा का विषय है।

दरअसल, यह एक तरह का ईंधन है, जो पेट्रोल के साथ मिलकर वाहनों की दुनिया में एक नई क्रांति लाएगा। इसीलिए भारत सरकार ने साल 2025 तक पेट्रोल में करीब 20 प्रतिशत एथेनॉल के मिश्रण का लक्ष्‍य रखा है। इसके साथ ही दुनिया के और भी देश इसके इस्‍तेमाल के लिए प्रयास कर रहे हैं।

एथेनॉल दरअसल एक तरह का अल्कोहल है, जिसे वाहनों के पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका प्रोडक्‍शन गन्ने की फसल से होता है, लेकिन शर्करा वाली कई अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है।

क्‍या 2025 से भारत में बिकेगा एथेनॉल वाला पेट्रोल?

भारत सरकार ने अगले दो-तीन साल में पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल मिलाकर बेचने का लक्ष्‍य रखा है। इससे देश को महंगे तेल आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। अगर एथेनॉल का प्रोडक्‍शन पर्याप्‍त मात्रा में होता है तो पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार तेल कंपनियां 20 फीसदी एथेनॉल के मिश्रण के साथ ही पेट्रोल बेच सकेगीं।

कहां होता है सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल?

दुनिया में कई देश इसके इस्‍तेमाल को लेकर अब प्रयोग और चिंतन कर रहे हैं, लेकिन इसका इस्‍तेमाल सबसे ज्‍यादा ब्राजील में किया जाता है। जानकर हैरानी होगी कि ब्राजील में लगभग 40 प्रतिशत गाड़ियां सौ फीसदी एथेनॉल पर चल रही है। इसके साथ ही बाकी वाहन भी 24 फीसदी एथेनॉल मिला ईंधन उपयोग कर रही हैं।

स्वीडन और कनाडा में भी एथेनॉल पर गाड़ियां चल रही है। कनाडा में तो एथेनॉल के इस्तेमाल को बढावा देने के लिए सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जाती है। एथेनॉल एक प्रकार का फ्यूल है, जिसके इस्तेमाल से प्रदूषण कम होता है, इसे पेट्रोल में मिलाया जा सकता है और वाहन संचालित किए जा सकते हैं। भारत में पिछले लंबे समय से इसे लेकर प्रयास चल रहे हैं। सरकार चाहती है कि इसे पेट्रोल में मिलाकर वाहन चलाए जाएं।

दरअसल, इसके पीछे सरकार का उदेश्‍य है कि पेट्रोल की निर्भरता को कम किया जाए। भारत बाहरी देशों से पेट्रोल का आयात करता है, ऐसे में एथेनॉल का इस्‍तेमाल पेट्रोल पर हमारी निर्भरता कम होगी। इतना ही नहीं, इससे खेती और पर्यावरण दोनों को फायदा होता है।

वाहनों के लिए क्‍यों जरूरी?

एथेनॉल इको-फ्रैंडली फ्यूल है और पर्यावरण को के खतरों से सुरक्षित रखता है। इस फ्यूल को गन्ने से तैयार किया जाता है, इसलिए इसकी लागम कम है और ऑक्टेन नंबर ज्‍यादा। यह MTBE जैसे खतरनाक फ्यूल के लिए एक विकल्‍प के तौर पर काम करता है। वाहनों के इंजन की गर्मी को भी बाहर करता है। पर्यावरण और गाड़ियों के लिए भी सुरक्षित है।

बनता कैसे है एथेनॉल?

एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। एथेनॉल का उत्पादन यूं तो मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होता है लेकिन शर्करा वाली कई अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है। इससे खेती और पर्यावरण दोनों को फायदा होता है।

एथेनॉल के फायदें

एथेनॉल के इस्तेमाल से 35 फीसदी कम कार्बन मोनोऑक्साइड निकलता है। इतना ही नहीं यह कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन और सल्फर डाइऑक्साइड को भी कम करता है। इसके अलावा एथेनॉल हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन को भी कम करता है। एथेनॉल में 35 फीसद ऑक्सीजन होता।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

जलवायु लचीलापन सूचना प्रणाली और योजना

(सीआरआईएसपी-एम) उपकरण

केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने आज एक वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय में दक्षिण एशिया व राष्ट्रमंडल राज्य मंत्री लॉर्ड तारिक अहमद के साथ संयुक्त रूप से महात्मा गांधी नरेगा के तहत भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित वाटरशेड योजना में जलवायु सूचना के एकीकरण के लिए जलवायु लचीलापन सूचना प्रणाली और योजना (सीआरआईएसपी-एम) उपकरण का लोकार्पण किया।

सीआरआईएसपी-एम टूल महात्मा गांधी नरेगा की जीआईएस आधारित योजना और कार्यान्वयन में जलवायु जानकारी को जोड़ने में सहायता करेगा। उन्होंने आगे ब्रिटिश सरकार और उन सभी हितधारकों के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने उपकरण विकसित करने में ग्रामीण विकास मंत्रालय की सहायता की थी। साथ ही, उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि सीआरआईएसपी-एम के कार्यान्वयन के माध्यम से हमारे ग्रामीण समुदायों के लिए जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से निपटने के लिए नई संभावनाएं खुल जाएंगी। इस उपकरण का उपयोग उन सात राज्यों में किया जाएगा, जहां विदेशी राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ), ब्रिटिश सरकार और भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय संयुक्त रूप से जलवायु लचीलापन की दिशा में काम कर रहे हैं। इन राज्यों में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और राजस्थान हैं।

सीआरआईएसपी-एम उपकरण के संयुक्त लोकार्पण के दौरान ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय में दक्षिण एशिया व राष्ट्रमंडल राज्य मंत्री लॉर्ड तारिक अहमद ने महात्मा गांधी नरेगा कार्यक्रम के माध्यम से जलवायु पहल को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की सराहना की। अपने संबोधन में लॉर्ड तारिक ने कहा, “पूरे भारत में इस योजना के लागू होने से इसका सकारात्मक और जीवन बदलने वाला प्रभाव पड़ रहा है। यह गरीब और कमजोर लोगों को जलवायु परिवर्तन से निपटने और उन्हें मौसम संबंधी आपदाओं से बचाने में सहायता कर रही है। आज हम जिस प्रभावशाली नए उपकरण- सीआरआईएसपी-एम का उत्सव मना रहे हैं, इस महान कार्य का नवीनतम उदाहरण है।”

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1 PRE

 

चाय और केले के कचरे का इस्तेमाल गैर-विषाक्त सक्रिय कार्बन

विकसित करने के लिए किया गया

वैज्ञानिकों के एक दल ने गैर-विषाक्त सक्रिय कार्बन तैयार करने के लिए चाय और केले के कचरे का इस्तेमाल किया है, जो औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण, जल शोधन, खाद्य एवं पेय प्रसंस्करण, और गंध हटाने जैसे अनेक प्रयोजनों के लिए उपयोगी है। नई विकसित प्रक्रिया सक्रिय कार्बन का संश्लेषण करने के लिए किसी भी विषैले कारक के उपयोग से बचाती है, इस प्रकार उत्पाद को किफायती और गैर-विषाक्त बना देती है।

चाय के प्रसंस्करण से आमतौर पर चाय की धूल के रूप में ढेर सारा कचरा निकलता है। इसे उपयोगी वस्‍तुओं में बदला जा सकता है। चाय की संरचना उच्च गुणवत्ता वाले सक्रिय कार्बन में परिवर्तन के लिए लाभदायक है। हालांकि, सक्रिय कार्बन के परिवर्तन में महत्‍वपूर्ण एसिड और आधार संरचना का उपयोग शामिल है, जिससे उत्पाद विषाक्त हो जाता है और इसलिए अधिकांश उपयोगों के लिए अनुपयुक्त हो जाता है। इसलिए इस चुनौती से पार पाने के लिए परिवर्तन के एक गैर विषैले तरीके की आवश्‍यकता थी।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्‍वायत्‍तशासी संस्‍थान इंस्‍टीट्यूट ऑफ एडवान्‍स्‍ड स्‍टडी इन साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी (आईएएसएसटी) गुवाहाटी के पूर्व निदेशक डॉ. एन. सी. तालुकदार, और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवाशीष चौधरीने चाय के कचरे से सक्रिय कार्बन तैयार करने के लिए एक वैकल्पिक सक्रिय एजेंट के रूप में केले के पौधे के अर्क का इस्तेमाल किया।

केले के पौधे के अर्क में मौजूद ऑक्सीजन के साथ मिलने वाला पोटेशियम यौगिक चाय के कचरे से तैयार कार्बन को सक्रिय करने में मदद करता है। इसके लिए हाल ही में एक भारतीय पेटेंट दिया गया है।

इस प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले केले के पौधे का अर्क पारंपरिक तरीके से तैयार किया गया था और इसे खार के नाम से जाना जाता है, जो जले हुए सूखे केले के छिलके की राख से प्राप्‍त एक क्षारीय अर्क है। इसके लिए सबसे पसंदीदा केले को असमी भाषा में ‘भीम कोल’ कहा जाता है। भीम कोल केले की एक स्वदेशी किस्म है जो केवल असम और पूर्वोत्‍तर भारत के कुछ हिस्सों में पाई जाती है। खार बनाने के लिए सबसे पहले केले का छिलका सुखाया जाता है और फिर उसकी राख बनाने के लिए उसे जला दिया जाता है। फिर राख को चूर-चूर करके एक महीन पाउडर बना लिया जाता है। इसके बाद एक साफ सूती कपड़े से राख के चूर्ण से पानी को छान लिया जाता है और अंत में हमें जो घोल मिलता है उसे खार कहते हैं। केले से निकलने वाले प्राकृतिक खार को ‘कोल खार’ या ‘कोला खार’ कहा जाता है। इस अर्क का इस्‍तेमाल सक्रिय करने वाले एजेंट के रूप में किया गया।

आईएएसएसटी दल बताता है, “सक्रिय कार्बन के संश्लेषण के लिए अग्रगामी के रूप में चाय के उपयोग का कारण यह है कि चाय की संरचना में, कार्बन के कण संयुग्‍म होते हैं और उनमें पॉलीफेनोल्स बॉन्‍ड होता है। यह अन्य कार्बन अग्रगामियों की तुलना में सक्रिय कार्बन की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।”

इस प्रक्रिया का मुख्य लाभ यह है कि प्रारंभिक सामग्री, साथ ही सक्रिय करने वाले एजेंट, दोनों ही कचरा हैं। विकसित प्रक्रिया में सक्रिय कार्बन को संश्लेषित करने के लिए किसी भी विषैले सक्रिय करने वाले एजेंट (जैसे, विषैले एसिड और बेस) के उपयोग से बचा जाता है। इस प्रकार, यह प्रक्रिया पहली बार हरित है, पौधों की सामग्री को पहली बार सक्रिय करने वाले एजेंट के रूप में उपयोग किया गया है। सक्रिय कार्बन के संश्लेषण की यह नई प्रक्रिया उत्पाद को किफायती और गैर-विषाक्त बनाती है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

विश्व गठिया दिवस

विश्व गठिया दिवस हर साल 12 अक्टूबर को जोड़ों के रोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है जो दर्द और जकड़न से पीड़ित होते हैं।

मुख्य बिंदु

  • European Alliance of Associations for Rheumatology (EULAR) के अनुसार, गठिया विभिन्न प्रकार के होते हैं और अनुमानित 100 मिलियन लोगों का निदान नहीं किया जाता है।

क्या गठिया के मरीजों को व्यायाम करना चाहिए?

गठिया के कई रोगी जोड़ों में तेज दर्द के कारण व्यायाम करने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं होते हैं। लेकिन निष्क्रिय जीवन और व्यायाम न करने से जोड़ों के रोग खराब हो जाते हैं। लेकिन उन्हें दर्द कम करने और स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए मध्यम व्यायाम करना चाहिए।

इस बीमारी से कौन ग्रस्त होते हैं?

हालांकि गठिया आमतौर पर बुढ़ापे से जुड़ा होता है। लेकिन युवा भी जोड़ों की बीमारियों के शिकार होते हैं। जोड़ों रोगों की स्थिति को बच्चों में जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (JIA) के रूप में जाना जाता है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1 PRE

 

अभ्यास वेलायत

ईरान ने 12 अक्टूबर, 2021 को अपने विशाल केंद्रीय रेगिस्तान में दो दिवसीय वायु रक्षा अभ्यास शुरू किया।

मुख्य बिंदु

  • वेलायत नामक वार्षिक युद्धाभ्यास में सेना और अर्धसैनिक रिवोल्यूशनरी गार्ड दोनों पहले से भाग ले रहे थे।
  • अब, इलीट वायु सेना, वायु रक्षा इकाइयाँ भी इस अभ्यास में भाग लेंगी।

पृष्ठभूमि

  • इससे पहले अक्टूबर में ईरान ने अजरबैजान के साथ अपनी सीमा के पास एक अभ्यास किया था।
  • यह सैन्य अभ्यास इस प्रकाश में आयोजित किया गया था कि अजरबैजान और इज़राइल ने हाल के महीनों में अपने सैन्य गठबंधन को मजबूत किया है। नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र में आर्मेनिया के साथ संघर्ष में अज़रबैजान की मदद करने के लिए इज़राइल उच्च तकनीक वाले ड्रोन की आपूर्ति की थी।

2015 परमाणु समझौता

विश्व शक्तियों के साथ ईरान के 2015 के पुराने समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए वियना में बातचीत जून, 2021 से रुकी हुई है। इसकी बहाली के लिए कोई तारीख निर्धारित नहीं है। 2015 के परमाणु समझौते के तहत, ईरान ने आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के बदले में यूरेनियम के अपने संवर्धन को काफी सीमित कर दिया था। 2018 में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति, डोनाल्ड ट्रम्प ने 2015 के समझौते से एकतरफा रूप से अमेरिका को वापस ले लिया। इसने पूरे मध्य पूर्व में तनाव बढ़ा दिया और इसके परिणामस्वरूप हमलों की घटनाएँ हुई।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.2

 

वित्त मंत्रालय ने मासिक आर्थिक समीक्षा जारी की

वित्त मंत्रालय ने हाल ही में “सितंबर 2021 के लिए मासिक आर्थिक समीक्षा” जारी की। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी के प्रभाव से तेजी से उबरने की राह पर है।

मुख्य निष्कर्ष

  • आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार, कृषि क्षेत्र में निरंतर और मजबूत विकास, विनिर्माण और उद्योग क्षेत्र में रिबाउंड, सेवा गतिविधि और राजस्व की बहाली से संकेत मिलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी प्रगति कर रही है।
  • बाहरी क्षेत्र भारत में विकास पुनरुद्धार के लिए उज्ज्वल संभावनाएं प्रदान कर रहा है। वित्त वर्ष 2021-2022 में भारत का व्यापारिक निर्यात लगातार छठे महीने 30 बिलियन अमरीकी डालर को पार कर गया है।
  • जून 2021 में बाहरी ऋण-से-जीडीपी अनुपात घटकर 2% हो गया, जो मार्च 2021 में 21.1% था।
  • सितंबर 2021 के दौरान बैंक ऋण की वृद्धि दर वर्ष 2020 की समान अवधि में 3% की तुलना में 6.7% थी।
  • ई-वे बिल, बिजली की खपत में निरंतर सुधार, रेल माल ढुलाई गतिविधि, मजबूत GST संग्रह, हवाई माल और यात्री यातायात में वृद्धि के माध्यम से रिकवरी देखी गई है।
  • राजमार्ग टोल संग्रह भी 21 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
  • डिजिटल लेनदेन भी बढ़ा है।

निष्कर्ष

इस रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि रणनीतिक सुधारों और तेजी से टीकाकरण अभियान ने भारत को रिकवरी के रास्ते पर खींच लिया है।

ऋण-से-जीडीपी अनुपात

ऋण-से-जीडीपी अनुपात सरकारी ऋण और उसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के बीच का अनुपात है। कम ऋण-से-जीडीपी अनुपात इंगित करता है कि, एक अर्थव्यवस्था माल और सेवाओं का पर्याप्त रूप से उत्पादन और बिक्री कर रही है ताकि आगे ऋण के बिना ऋण का भुगतान किया जा सके।

SOURCE-INDIAN EXPRESS

PAPER-G.S.3

 

दुनिया की पहली सेल्फ-ड्राइविंग ट्रेन

जर्मन रेल ऑपरेटर डॉयचे बाहन और औद्योगिक समूह सीमेंस ने 11 अक्टूबर, 2021 को दुनिया की पहली स्वचालित और चालक रहित ट्रेन लांच की।

मुख्य बिंदु

  • इस सेल्फ-ड्राइविंग ट्रेन को हैम्बर्ग शहर में लॉन्च किया गया था।
  • यह ट्रेन पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में अधिक समय की पाबंद और ऊर्जा कुशल है।
  • जर्मनी ने उत्तरी शहर के एस-बान रैपिड अर्बन रेल नेटवर्क में ऐसी चार ट्रेनों को जोड़ने की योजना बनाई है।
  • ये ट्रेनें मौजूदा रेल बुनियादी ढांचे पर दिसंबर से यात्रियों को ले जाना शुरू कर देंगी।

दुनिया की पहली सेल्फ ड्राइविंग ट्रेन

इस परियोजना को ‘सीमेंस और डॉयच बाहन’ द्वारा विकसित किया जा रहा है। इसे ‘वर्ल्ड फर्स्ट’ करार दिया जा रहा है। यह परियोजना हैम्बर्ग की तीव्र शहरी रेल प्रणाली के 60 मिलियन यूरो के आधुनिकीकरण का हिस्सा है। ये स्वचालित ट्रेनें एक किलोमीटर का नया ट्रैक बिछाए बिना विश्वसनीय सेवा प्रदान करेंगी। ये ट्रेनें “30% अधिक यात्रियों” को ले जा सकती हैं। समय पालन में सुधार के अलावा, इन ट्रेनों से 30% से अधिक ऊर्जा की बचत होगी।

हालांकि इस ट्रेन को डिजिटल तकनीक से नियंत्रित किया जाता है और यह पूरी तरह से स्वचालित है। लेकिन एक ड्राइवर ट्रेन में सवार यात्रियों की यात्रा की निगरानी के लिए बैठेगा।

डॉयच बाहन (Deutsche Bahn)

यह एक जर्मन रेलवे कंपनी है, जिसका मुख्यालय बर्लिन में है। यह एक निजी संयुक्त स्टॉक कंपनी है। जर्मनी का संघीय गणराज्य कंपनी का एकमात्र शेयरधारक है। यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ट्रांसपोर्ट कंपनी है। साल 2015 में डॉयचे बान राजस्व के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी रेलवे कंपनी थी।

SOURCE-DANIK JAGRAN

PAPER-G.S.1 PRE

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