Current Affairs – 17 October, 2021
खादी प्रदर्शनी और खादी कारीगर सम्मेलन का उद्घाटन
केंद्रीय एमएसएमई राज्य मंत्री श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने आज वाराणसी में 20 भारतीय राज्यों के उत्कृष्ट हस्तशिल्प उत्पादों को प्रदर्शित करने वाली एक अत्याधुनिक खादी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इसके अलावा केवीआईसी ने एक “खादी कारीगर सम्मेलन” भी आयोजित किया, जिसमें 2000 से अधिक खादी कारीगरों ने हिस्सा लिया। इनमें अधिकांश कारीगर आस-पास के 12 जिलों जैसे प्रयागराज, जौनपुर, गाजीपुर और सोनभद्र आदि की महिलाएं थीं।
जम्मू और कश्मीर के प्रीमियम हाई एल्टीट्यूड शहद सहित उत्कृष्ट खादी उत्पादों की एक श्रृंखला, कश्मीरी व राजस्थानी ऊनी शॉल की एक विस्तृत विविध किस्म, पश्चिम बंगाल से मलमल का कपड़ा, पश्चिम बंगाल व बिहार से रेशमी कपड़े की एक किस्म, पंजाब से कोटि शॉल, कानपुर से चमड़े के उत्पाद, राजस्थान व उत्तर प्रदेश से मिट्टी के बर्तन, मिर्जापुर और प्रयागराज के व्यापक रूप से प्रशंसित हाथ से बुने हुए कालीन इस प्रदर्शनी के सबसे बड़े आकर्षण हैं। कोविड-19 लॉकडाउन के बाद से वाराणसी में केवीआईसी की यह दूसरी ऐसी प्रदर्शनी है।
खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) (Khadi and Village Industries Commission), संसद के ‘खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम 1956’ के तहत भारत सरकार द्वारा निर्मित एक वैधानिक निकाय है। यह भारत में खादी और ग्रामोद्योग से संबंधित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार) के अन्दर आने वाली एक शीर्ष संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य है – “ग्रामीण इलाकों में खादी एवं ग्रामोद्योगों की स्थापना और विकास करने के लिए योजना बनाना, प्रचार करना, सुविधाएं और सहायता प्रदान करना है, जिसमें वह आवश्यकतानुसार ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्यरत अन्य एजेंसियों की सहायता भी ले सकती है।” अप्रैल 1957 में, पूर्व के अखिल भारतीय खादी एवं ग्रामीण उद्योग बोर्ड का पूरा कार्यभार इसने संभाल लिया।
आयोग के उद्देश्य
आयोग के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं जो इसके कार्यों को निर्देशित करते हैं। ये इस प्रकार हैं-
सामाजिक उद्देश्य – ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराना।
आर्थिक उद्देश्य – बेचने योग्य सामग्री प्रदान करना।
व्यापक उद्देश्य – लोगों को आत्मनिर्भर बनाना और एक सुदृढ़ ग्रामीण सामाजिक भावना का निर्माण करना।
आयोग विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन और नियंत्रण द्वारा इन उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है।
इसका मुख्यालय मुंबई में है, जबकि अन्य संभागीय कार्यालय दिल्ली, भोपाल, बंगलोर, कोलकाता, मुंबई और गुवाहाटी में स्थित हैं। संभागीय कार्यालयों के अलावा, अपने विभिन्न कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करने के लिए 29 राज्यों में भी इसके कार्यालय हैं।
खादी, हाथ से काते गए और बुने गए कपड़े को कहते हैं। कच्चे माल के रूप में कपास, रेशम या ऊन का प्रयोग किया जा सकता है, जिन्हें चरखे (एक पारंपरिक कताई यन्त्र) पर कातकर धागा बनाया जाता है। खादी का 1920 में महात्मा गाँधी के स्वदेशी आन्दोलन में एक राजनैतिक हथियार के रूप में उपयोग किया गया था।
खादी को कच्चे माल के आधार पर भारत के विभिन्न भागों से प्राप्त किया जाता है – पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा और उत्तर पूर्वी राज्यों से रेशमी माल प्राप्त किया जाता है, जबकि कपास की प्राप्ति आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से होती है। पॉली खादी को गुजरात और राजस्थान में काता जाता है जबकि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू और कश्मीर को ऊनी खादी के लिए जाना जाता है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह
नदी चैनल में सीमित प्रारूप के कारण श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट कोलकाता (पूर्व में कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट) के हल्दिया डॉक कॉम्प्लेक्स (एचडीसी) या कोलकाता डॉक सिस्टम (केडीएस) में उद्यम करने से पहले पड़ोसी बंदरगाहों पर कार्गो की आंशिक ऑफलोडिंग की आवश्यकता होती है। दो पोर्ट डिस्चार्ज के परिणामस्वरूप, पोतों को निष्फल माल भाड़ा (डेड फ्रेट) और अतिरिक्त स्टीमिंग समय लगता है। अंतर्निहित चैनल बाधाओं को दूर करने के लिए, एसएमपी कोलकाता ने सागर, सैंडहेड्स और एक्स प्वाइंट पर स्थित डीप ड्राफ्टेड एंकरेज में केप साइज या बेबी केप पोतों को लाने तथा फ्लोटिंग क्रेन या शिप क्रेन की तैनाती के माध्यम से पूरी तरह से लदे ड्राई बल्क पोतों के संचालन में सक्षम बनाने के लिए आयातकों के लिए अवसरों को खोलने का प्रयत्न किया है।
रणनीतिक रूप से लाभप्रद इस स्थान के कारण, एचडीसी ने एलपीजी, आयातित पीओएल उत्पादों और अन्य तरल कार्गो के लिहाज से व्यापार से मांग में वृद्धि का अनुभव किया है।
बीपीसीएल, आईओसीएल, एचपीसीएल जैसी तेल विनिर्माण कंपनियों के वरिष्ठ प्रबंधन तथा एलपीजी और अन्य तरल उत्पादों के अग्रणी निजी आयातकों के साथ कई विचार-विमर्शों ने उन आंतरिक लाभों की ओर इंगित किया, जिनका उपयोग एसएमपी, कोलकाता के डीप ड्राफ्टेड एंकरेज पॉइंट्स पर एलपीजी/तरल कार्गो के जहाज-से-जहाज हस्तांतरण (एसटीएस) की सुविधा के विस्तार के माध्यम से किया जा सकता है। एकल बंदरगाह संचालन न केवल हल्दिया में प्रारूप प्रतिबंध से उबरने में सक्षम बनाएगा जिससे विफल माल भाड़ा (डेड फ्रेट) निष्प्रभावी होगा, बल्कि अधिक कार्गो की गतिशीलता में भी मदद करेगा, जिससे इकाई लागत कम हो जाएगी।
कोलकाता स्थित एचडीसी, एसएमपी ने पूरी तरह से लदे पोतों के संचालन के लिए अपनी सीमा के भीतर एलपीजी के एसटीएस ऑपरेशन के अन्वेषण के लिए एक अग्रणी पहल की और सीमा शुल्क अधिकारियों से इस तरह के संचालन की अनुमति देने का अनुरोध किया। सीमा शुल्क विभाग के साथ इस मामले को आगे बढ़ाया गया और उन्होंने उदारतापूर्वक इस आग्रह पर विचार किया तथा 26.04.2021 को ऐसे एसटीएस ऑपरेशन की अनुमति देने के लिए आवश्यक मंजूरी प्रदान कर दी। इसके अतिरिक्त, सामान्य रूप से लाइटरेज प्रचालन को बढ़ावा देने के लिए, एसएमपी, कोलकाता ने पोत और कार्गो संबंधित शुल्कों के संदर्भ में पर्याप्त छूट प्रदान की और पोर्ट द्वारा विशेष रूप से सैंडहेड्स पर एसटीएस ऑपरेशन के लिए टग किराया शुल्क के लिए एक अतिरिक्त रियायत दी गई।
इस अग्रणी पहल के परिणामस्वरूप, भारतीय तट में एलपीजी का अब तक का पहला एसटीएस प्रचालन 15 अक्तूबर, 2021 को बीपीसीएल द्वारा किया गया। बीपीसीएल ने सेवा प्रदाता मैसर्स फेंडरकेयर मरीन को अपतटीय एसटीएस स्थान पर सेवाएं प्रदान करने के लिए नियुक्त किया।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
भारत पर IMF की वार्षिक रिपोर्ट
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 15 अक्टूबर, 2021 को अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की। इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे रिकवर हो रही है।
मुख्य निष्कर्ष
- IMF ने हालांकि मुद्रास्फीति के दबाव के प्रति आगाह किया है।
- IMF ने मौद्रिक नीति समर्थन में धीमी कमी की भी सिफारिश की है।
- IMF के अनुसार, निवेश और मानव पूंजी पर कोविड-19 का प्रभाव रिकवरी को लम्बा खींच सकता है।
- टीकाकरण की गति और आर्थिक सुधारों को देखते हुए रिकवरी अपेक्षा से अधिक तेज हो सकती है।
अनुमानित वृद्धि
- IMF ने वित्त वर्ष 2021-2022 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर 5% रहने का अनुमान लगाया है।
- इसने 6% पर हेडलाइन उपभोक्ता मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया है।
- महंगाई दर अगस्त में घटकर 3% और सितंबर में 4.3% पर आ गई।
राजकोषीय घाटे पर IMF की रिपोर्ट
IMF के अनुसार, आर्थिक गतिविधियों में संकुचन, कम राजस्व और कोविड-19 संबंधित समर्थन उपायों के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में केंद्र का राजकोषीय घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 8.6% हो गया।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 189 सदस्य देशों वाला एक संगठन है जिनमें से प्रत्येक देश का इसके वित्तीय महत्त्व के अनुपात में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यकारी बोर्ड में प्रतिनिधित्व हैं। इस प्रकार वैश्विक अर्थव्यवस्था में जो देश अधिक शक्तिशाली है उस देश के पास अधिक मताधिकार है।
उद्देश्य
- वैश्विक मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना।
- वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और सतत् आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देना।
- दुनिया भर में गरीबी को कम करना।
इतिहास
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की अभिकल्पना जुलाई 1944 में संयुक्त राज्य के ‘न्यू हैम्पशायर’ में संयुक्त राष्ट्र के ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में की गई थी।
- उक्त सम्मेलन में 44 देशों नें एक साथ मिलकर आर्थिक-सहयोग हेतु एक फ्रेमवर्क के निर्माण की बात की ताकि प्रतिस्पर्द्धा अवमूल्यन की पुनरावृत्ति से बचा जा सके जिसके कारण वर्ष 1930 के दशक में आए विश्वव्यापी महामंदी जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो गई थी।
- जब तक कोई देश अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का सदस्य नहीं बनता, तब तक उसे विश्व बैंक की शाखा अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (International Bank for Reconstruction and Development-IBRD) में सदस्यता नहीं मिलती है।
- ब्रेटन वुड्स समझौते के अनुरूप अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिये IMF ने निश्चित विनिमय दरों पर मुद्रा परिवर्तन की एक प्रणाली स्थापित की और आधिकारिक भंडार के लिये सोने को यू.एस. डॉलर (प्रति औंस गोल्ड पर 35 यूएस डॉलर) से प्रतिस्थापित किया।
- वर्ष 1971 में ब्रेटन वुड्स प्रणाली (स्थायी विनिमय दरों की प्रणाली) के समाप्त हो जाने के पश्चात् IMF ने अस्थायी विनिमय दरों की प्रणाली को प्रोत्साहित किया है। देश अपनी विनिमय व्यवस्था को चुनने के लिये स्वतंत्र हैं जिसका अर्थ है कि बाज़ार की शक्तियाँ एक दूसरे के सापेक्ष मुद्रा के मूल्यों को निर्धारित करती है। यह प्रणाली आज भी जारी है।
- वर्ष 1973 के तेल संकट के दौरान वर्ष 1973 और 1977 के बीच तेल-आयात करने में 100 विकासशील देशों के विदेशी ऋण में 150 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई जिसने आगे दुनिया भर में अस्थायी विनिमय दरों को लागू करना कठिन बना दिया। IMF ने वर्ष 1974-1976 के दौरान एक न्यू लेंडिंग प्रोग्राम (New Lending Program) की शुरुआत की जिसे ‘तेल सुविधा’ (Oil Facility) कहते हैं। तेल आयातक राष्ट्रों एवं अन्य उधारदाताओं (Lenders) द्वारा वित्तपोषित यह सुविधा
- उन राष्ट्रों के लिये उपलब्ध है जो तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण व्यापार-संतुलन (Balance Of Trade) बनाए रखने में समस्याओं से गुज़र रहे हों।
- IMF, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली के प्रमुख संगठनों में से एक है। IMF की संरचना अंतर्राष्ट्रीय पूंजीवाद के पुनर्निर्माण को राष्ट्रीय आर्थिक संप्रभुता एवं मानव कल्याण के उच्चतम मूल्यांकन (Maximisation) के साथ संतुलित करने में सुविधा प्रदान करती है। इस प्रणाली को सन्निहित उदारवाद (Eembedded Liberalism) कहते हैं।
- IMF ने पूर्व सोवियत ब्लाक के देशों की केंद्रीय योजना आधारित अर्थव्यवस्था को बाज़ार संचालित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
- वर्ष 1997 के दौरान पूर्व एशिया में थाइलैंड से लेकर इंडोनेशिया और कोरिया तक एक वित्तीय संकट ने दस्तक दी थी। IMF ने इस संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्थाओं के लिये एक राहत पैकेज़ शृंखला की शुरुआत की ताकि उन्हें डिफॉल्ट से बचने, बैंकिंग एवं वित्तीय व्यवस्था में सुधार के लिये सक्षम बनाया जा सके।
- वैश्विक आर्थिक संकट (2008) : IMF ने वैश्वीकरण एवं पूरी दुनिया को आर्थिक तौर पर जोड़ने तथा निगरानी तंत्र को मज़बूत करने हेतु प्रमुख पहलें की हैं। इन पहलों में स्पिल-ओवर (जब किसी एक देश की आर्थिक नीतियाँ किसी अन्य देशों को प्रभावित कर सकती हो) को कवर करने, वित्तीय प्रणाली एवं जोखिमों के विश्लेषण की निगरानी हेतु कानूनी ढाँचे का पुनर्निर्माण करना, आदि शामिल था।
कार्य
- वित्तीय सहयोग प्रदान करना : भुगतान संतुलन की समस्याओं से जूझ रहे सदस्य देशों को वित्तीय सहयोग प्रदान करना और अंतर्राष्ट्रीय भंडार की भरपाई करने, मुद्रा विनिमय को स्थिर करने और आर्थिक विकास के लिये ऋण वितरण करना।
- IMF निगरानी तंत्र : यह अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली का निरीक्षण करता है एवं अपने 189 सदस्य देशों की आर्थिक और वित्तीय नीतियों की निगरानी करता है। इस प्रक्रिया के एक भाग के रूप में यह निगरानी किसी एक देश के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी की जाती है। IMF आर्थिक स्थिरता के संबंध में संभावित जोखिमों पर प्रकाश डालने के साथ ही आवश्यक नीति समायोजन (Needed policy Adjustments) पर भी सलाह देता है।
- क्षमता विकास : यह केंद्रीय बैंकों, वित्त मंत्रालयों, कर अधिकारियों एवं अन्य आर्थिक संस्थानों को प्रौद्योगिकी सहयोग और प्रशिक्षण प्रदान करता है। यह राष्ट्रों के सार्वजनिक राजस्व को बढ़ाने, बैंकिंग प्रणाली का आधुनिकीकरण करने, मज़बूत कानूनी ढाँचे का विकास करने, शासन में सुधार करने में सहयोग करता है और वित्तीय आँकड़ों एवं व्यापक आर्थिक रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करता है। यह राष्ट्रों को सतत् विकास लक्ष्य (SDG) की ओर प्रगति करने में भी सहयोग करता है।
SOURCE-THE HINDU
PAPER-G.S.2
अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस
ग्रामीण महिलाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 15 अक्टूबर को मनाया जाता है।
थीम
ग्रामीण महिलाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2021 को “Rural women cultivating good food for all” विषय के तहत मनाया जाता है।
मुख्य बिंदु
- यह दिन लैंगिक समानता पर केंद्रित है और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद करता है।
- यह ग्रामीण महिलाओं सहित ग्रामीण महिलाओं द्वारा कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ाने, ग्रामीण गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा में सुधार करने में योगदान और महत्वपूर्ण भूमिका को सम्मानित करता है।
महिला कार्यबल पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट
- संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, विकासशील देशों में कुल कृषि श्रम शक्ति का 40% महिलाएं हैं। दक्षिण अमेरिकी देशों में, श्रम शक्ति का 20% महिलाएं हैं जबकि एशिया और अफ्रीका में लगभग 50% कृषि श्रम शक्ति महिलाएं हैं।
- इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि इन महिलाओं को समान अवसर प्रदान किए जाएं तो कृषि उत्पादन को 5 से 4% तक बढ़ाया जा सकता है।
चिंताएं
लगभग आधे कार्यबल से युक्त होने के बाद भी, इन महिलाओं को पुरुष समकक्षों के समान अधिकार और हिस्सेदारी नहीं मिलती है। महिलाओं को संसाधनों तक पहुंच, निर्णय लेने में भागीदारी, समान वेतन, उनके खेतों के लिए ऋण और बाजार और भूमि और पशुधन के स्वामित्व में भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
पृष्ठभूमि
ग्रामीण महिलाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 18 दिसंबर, 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित किया गया था, जिसका संकल्प 62/136 था।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1 PRE
ग्लोबल हैंडवाशिंग डे
लोगों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने में हाथ की स्वच्छता के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने और बेहतर समझ विकसित करने के लिए 15 अक्टूबर को दुनिया भर में ग्लोबल हैंडवाशिंग डे (Global Handwashing Day) मनाया गया।
थीम
वर्ष 2021 में ‘ग्लोबल हैंडवाशिंग डे’ की थीम है “हमारा भविष्य हाथ में है – चलो एक साथ आगे बढ़ते हैं।”
महत्व
कोविड-19 के प्रकोप की पृष्ठभूमि में ग्लोबल हैंडवाशिंग डे और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। महामारी के बीच, व्यक्तिगत स्वच्छता व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हो गई है। व्यक्तिगत स्वच्छता को दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाने से कई लोगों की जान बचाई गई है और वायरल संक्रमण और फ्लू को रोका गया है।
हाथ धोने का महत्व
हाथ धोने का महत्व है क्योंकि,
- वाटरएड के अनुसार, हर साल पानी से संबंधित बीमारियों और हाथ की स्वच्छता की कमी के कारण दुनिया भर में लगभग 443 मिलियन स्कूल के दिन नष्ट हो जाते हैं।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अनुसार, भारत में हर साल लगभग एक लाख बच्चे दस्त के कारण मर जाते हैं, जिसे रोका जा सकता है। यूनिसेफ के अनुसार, केवल हाथ धोने से डायरिया को 40% तक कम किया जा सकता है।
- हाथ धोने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं वाले लोगों की संख्या में 29-57% की कमी आती है।
- यह कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों की संख्या को 58% तक कम कर सकता है।
- यह श्वसन संबंधी बीमारियों और संक्रमणों को 16-21% तक कम करने में मदद करता है।
कितने समय तक तक हाथ धोने चाहिए?
कम से कम 20 सेकंड के लिए साबुन और पानी से हाथ धोना चाहिए।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1 PRE
Healthy Smile
बच्चों में मौखिक स्वच्छता (oral hygiene) बनाए रखने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एम्स द्वारा एक द्विभाषी मोबाइल एप्लिकेशन ‘हेल्दी स्माइल’ (Healthy Smile) लॉन्च किया गया।
मुख्य बिंदु
- यह एप्प एम्स इंट्राम्यूरल रिसर्च ग्रांट की मदद से पीडियाट्रिक एंड प्रिवेंटिव डेंटिस्ट्री विभाग की एक पहल है।
- यह पहल बचपन से ही बच्चों में मौखिक स्वच्छता बनाए रखने के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
- यह उन्हें दिन में दो बार अच्छी तरह से ब्रश करने के लिए भी प्रेरित करेगा।
- यह एप्प इस बारे में जानकारी प्रदान करेगा कि वे साधारण घरेलू देखभाल उपायों के माध्यम से दंत क्षय को कैसे नियंत्रण में रख सकते हैं।
एप्प की विशेषता
इस एप्प में बच्चों के सभी आयु समूहों के लिए निवारक दंत चिकित्सा देखभाल युक्तियों के साथ दो मिनट का म्यूजिकल ब्रशिंग टाइमर, बच्चों के अनुकूल रंगीन पैनल, प्रेरक गीत, गर्भावस्था के दौरान अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और मौखिक देखभाल युक्तियाँ इत्यादि शामिल है।
यह एप्प क्यों लॉन्च किया गया?
इस एप्प को इस तथ्य को महसूस करने के बाद लॉन्च किया गया था कि भारत की बाल चिकित्सा आबादी में 40-50% में दंत क्षय प्रचलित पाया गया था।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1PRE