Current Affair 19 October 2021

Current Affairs – 19 October, 2021

आयुष वन

केन्‍द्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने शहर में दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट (डीपीटी)- रोटरी जंगल में आयोजित एक कार्यक्रम में आयुर्वेदिक पौधों को समर्पित आयुष वन का उद्घाटन किया। आयुष वन डीपीटी द्वारा हरित पट्टी क्षेत्र में आवंटित 30 एकड़ भूमि में स्थापित किया गया है, जहां शहरी क्षेत्र में हरियाली में सुधार और कच्छ क्षेत्र में वृक्षों के आवरण का घनत्व बढ़ाने के लिए वृक्षारोपण किया जा रहा है। उद्घाटन के मौके पर केन्द्रीय मंत्री ने एक पौधा भी लगाया।

मंत्रालय के बारे में आयुष मंत्रालय को 9 नवंबर 2014 को, हमारे प्राचीन चिकित्सा पद्धति के गहन ज्ञान को पुनर्जीवित करने और स्वास्थ्य के आयुष प्रणालियों के इष्टतम विकास और प्रसार को सुनिश्चित करने की दृष्टि से शुरू किया गया था। एक पूर्ण मंत्रालय के रूप में, यह एक वैज्ञानिक तर्क के साथ इन पारंपरिक प्रणालियों के विकास के प्रति एन डी ए सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इससे पहले 1995 में भारतीय चिकित्सा पद्धति और होम्योपैथी विभाग (ISM&H) का गठन इन सभी पद्धतियों के विकास के लिए किया गया। फिर इसे आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी में शिक्षा और अनुसंधान पर ध्यान देने के साथ नवंबर 2003 में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) विभाग के रूप में नामित किया गया था।

मुख्य उद्देश्य:

  1. देश में इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन और होम्योपैथी कॉलेजों के शैक्षिक मानक को उन्नत करने के लिए।
  2. मौजूदा शोध संस्थानों को मजबूत बनाने और पहचान की गई बीमारियों पर समयबद्ध अनुसंधान कार्यक्रमों को सुनिश्चित करने के लिए जिनके लिए इन प्रणालियों का एक प्रभावी उपचार है।
  3. इन प्रणालियों में उपयोग किए जाने वाले औषधीय पौधों की खेती, बढ़ावा देने और पुनर्जीवित करने के लिए योजनाएं तैयार करना।
  4. इंडियन सिस्टम्स ऑफ मेडिसिन और होम्योपैथी दवाओं के फार्माकोपियोअल मानकों को विकसित करने के लिए।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1

 

एअर क्वालिटी वार्निंग सिस्टम

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, डॉ. जितेंद्र सिंह ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव सप्ताह के अवसर पर वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (एक्यूईडबल्यूएस) की शुरुआत की है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के स्वायत्त संस्थान भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) ने एक नई डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) विकसित किया है और मौजूदा वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाया है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इससे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए क्षमता निर्माण हुआ है।

विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट-2020

स्विस संगठन IQAir द्वारा तैयार की गई विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट (World Air Quality Report) में उल्लेख किया गया है कि विश्व के शीर्ष 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 भारत में हैं।

  • इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिये 106 देशों से 5 डेटा एकत्र किया।

PM2.5

  • 5, 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास का एक वायुमंडलीय कण होता है, जो कि मानव बाल के व्यास का लगभग 3% होता है।
  • यह श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है और हमारे देखने की क्षमता को भी प्रभावित करता है। साथ ही यह डायबिटीज़ का भी एक कारण होता है।
  • यह इतना छोटा होता है कि इसे केवल इलेक्ट्रॉन को माइक्रोस्कोप की मदद से ही देखा जा सकता है।
  • यह कण निर्माण स्थल, कच्ची सड़कें, खेत आदि जैसे कुछ स्रोतों से सीधे उत्सर्जित होते हैं।
  • अधिकांश कण वातावरण में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे रसायनों की जटिल प्रतिक्रियाओं के परिणामस्वरूप बनते हैं, जो बिजली संयंत्रों, उद्योगों और ऑटोमोबाइल से निकलने वाले प्रदूषक हैं।

वायु गुणवत्ता सूचकांक

  • यह ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के अंतर्गत चलाई जा रही एक वृहद् सरकारी पहल है, जिसे 17 सितंबर, 2014 को ‘पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ के तत्कालीन केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा प्रारंभ किया गया था।
  • यह सूचकांक आम आदमी को उनके आस-पास के क्षेत्र की वायु गुणवत्ता की बेहतर समझ उपलब्ध कराता है।
  • इसे ‘एक नंबर-एक रंग-एक व्याख्या’ के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इसमें छः विभिन्न रंगों के माध्यम से छः AQI श्रेणियों को तैयार किया गया है, जो वायु प्रदूषण के विभिन्न स्तरों को इंगित करता है।
  • इस ‘राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक’ (NAQI) के अंतर्गत 8 वायु प्रदूषकों को शामिल किया गया है, जिनकी सूची निम्नलिखित है-
    • PM 2.5
    • PM 10
    • SO2 (सल्फर डाइऑक्साइड)
    • O3 (ओज़ोन)
    • CO (कार्बन मोनोऑक्साइड)
    • NH3 (अमोनिया)
    • NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड)
    • Pb (सीसा)

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन एक सांविधिक संगठन के रूप में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अंतर्गत सितंबर 1974 में किया गया था।
  • इसके पश्चात् केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अन्तर्गत शक्तियाँ व कार्य सौंपे गए।
  • यह क्षेत्र निर्माण के रूप में कार्य करता है तथा पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अन्तर्गत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी उपलब्ध करता है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

डिजिटल प्रौद्योगिकी पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी-

फ्यूचर टेक 2021”

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने सीआईआई द्वारा आयोजित डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी- “फ्यूचर टेक 2021” के उद्घाटन सत्र में वर्चुअल तरीके से भाग लिया। यह सम्मेलन 19 से 27 अक्टूबर 2021 तक चलेगा। यह कार्यक्रम एक केंद्रित विषय “भविष्य के निर्माण के लिए प्रमुख वाहक तकनीक, हम सब भरोसा कर सकते हैं” के साथ 5 मुख्य विषयों : रणनीति, विकास, लचीलापन, समावेशिता, विश्वास पर आधारित है। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उद्यमियों, उद्योग जगत की हस्तियों और सरकारी अधिकारियों के बीच बातचीत होंगी और यह सम्मेलन डिजिटल प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग पर चर्चा के लिए मंच प्रदान करेगा।

श्री राजीव चंद्रशेखर ने उद्घाटन भाषण देते हुए डिजिटल अर्थव्यवस्था पर कोविड महामारी के प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि “पिछले 6 वर्षों में हमने देश के भीतर अपनी अर्थव्यवस्था और सार्वजनिक सेवाओं को डिजिटल बनाने में जबरदस्त प्रगति की है। इसने भारत को कोविड महामारी के दौरान स्थिति को अनुकूल बनाने में मदद की है। हमने इस अवधि के दौरान कई यूनिकॉर्न बनाए हैं, तकनीकी क्षेत्र में 65 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित किया है और समग्र महत्वाकांक्षा बढ़ी है।”

आगे के रोड मैप पर बोलते हुए, श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि “कोविड के बाद का युग नए अवसरों को मुहैया कर रहा है। प्रौद्योगिकी में लोगों के लिए आज से ज्यादा रोमांचक समय कभी नहीं रहा। यह समय हमारी महत्वाकांक्षाओं को फिर से तय करने और पूर्व-कोविड युग से बहुत अलग तरीकों से भविष्य की फिर से कल्पना करने का है। कोविड युग के बाद भारत में कंपनियों के लिए ढेर सारे अवसर हैं जो आज का प्रचलित ढांचा प्रदान कर रहा है।”

श्री राजीव चंद्रशेखर ने यह भी कहा कि भारत सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच घनिष्ठ साझेदारी को बढ़ावा देकर इस अवसर का लाभ उठाने के लिए तत्पर है। उन्होंने कहा, “इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में हमारे उद्देश्य बहुत स्पष्ट हैं, हम निजी क्षेत्र के साथ उन क्षेत्रों में भागीदार बनने की उम्मीद करते हैं जो केवल व्यापार करने तक ही सीमित नहीं हो, बल्कि भविष्य के प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्रों में भी व्यवसाय का विकास करें, चाहे वह क्वांटम कंप्यूटिंग हो या रणनीतिक क्षेत्र जहां हम चाहते हैं कि भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा, अर्धचालक इत्यादि जैसी क्षेत्रों में दक्षता हासिल करे।

श्री राजीव चंद्रशेखर ने उद्योग प्रतिनिधियों को प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के बारे में भी बताया, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘‘माननीय प्रधानमंत्री ने कुछ अति महत्वपूर्ण महत्वाकांक्षाएं निर्धारित की हैं और वह चाहते हैं कि भारत तकनीकी क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भागीदार बने। जल्द ही हम एक पांच वर्षीय रणनीतिक परिप्रेक्ष्य वाली योजना तैयार करने जा रहे हैं, जिसमें इन महत्वाकांक्षाओं को साकार करने के लिए आवश्यक योग्यता और क्षमताओं का विवरण दिया गया है।’’

उन्होंने आगे इस साल लाल किले के प्राचीर से दिए गए प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के भाषण को उद्धृत करते हुए कहा ‘‘यही समय है: यह समय उन अवसरों को उजागर करने का है जो प्रौद्योगिकी क्षेत्र भारतीय कंपनियों, स्टार्टअप और उद्यमियों को प्रदान करता है।’’

प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत के प्रतिस्पर्धियों के साथ तुलना किए जाने पर, श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि “मुझे नहीं लगता कि जिस ट्रेन की गति का हम मुकाबला करने की कोशिश कर रहे हैं, वह हमें परेशान करे। हम छलांग लगाने और किसी भी अन्य देश की तुलना में बहुत तेज गति से आगे बढ़ने की स्थिति में हैं।” इसके लिए उन्होंने दुनिया का तेजी से डिजिटलीकरण, सेमी कंडक्टर क्षेत्र में हार्डवेयर संचालित प्रदर्शन से कंप्यूटिंग और संचार प्रदर्शन की अगली पीढ़ी के लिए नवाचार में डिजाइन की ओर बदलाव और सार्वजनिक तथा निजी दोनों क्षेत्रों में भारत की गहरी प्रौद्योगिकी क्षमता जैसे कारकों का हवाला दिया।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

सीर जल आपूर्ति योजना

केंद्रीय मंत्री श्री गोयल ने आज 250 मिलीमीटर सीर जलापूर्ति योजना का उद्घाटन किया। इस परियोजना से लगभग 10,000 लोगों को लाभ होगा और यह जल जीवन मिशन के तहत तीन महीने के भीतर पूरी हो जाएगी। उन्होंने विकास कार्यों की तीव्र गति की सराहना की और सभी घरों के लिए नल के पानी के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने की दिशा में काम करने के लिए अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं की सराहना की।

श्री गोयल ने अकड़ पार्क स्थित राही शॉल इकाई का भी दौरा किया। उन्होंने स्थानीय कारीगरों के साथ बातचीत की और विभिन्न हस्तशिल्प जैसे जरी, सोजनी, टेपेस्ट्री आदि का भी निरीक्षण किया। श्री गोयल ने कारीगरों द्वारा किए जा रहे जटिल कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि कश्मीर के हस्तशिल्प प्रतीकात्मक कहानी बताते हैं और सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि यह कहानी दुनिया के सभी हिस्सों तक पहुंचे।

जल जीवन मिशन स्कीम

भारत सरकार द्वारा देश के नागरिकों के लिए बहुत सी योजनाओं का आरम्भ किया जाता है। सरकार ने ऐसे ही एक और स्कीम लांच की है जिसका नाम जल जीवन मिशन स्कीम है। इस स्कीम के लिए सरकार द्वारा इस मिशन के लिए 3.60 लाख करोड़ बजट देने का प्रावधान किया है। जिसमें राज्य सरकार व केंद्र सरकार द्वारा अलग-अलग बजट दिया जाएगा। jal jeevan mission (rural) scheme के माध्यम ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के घरों में पीने के पानी के लिए जल कनेक्शन लगाये जाएंगे। अभी तक कुल 3.27 करोड़ ग्रामीण परिवारों को वाटर कनेक्शन प्रदान किया गया है।

योजना का उद्देश्य

jal jeevan mission का उद्देश्य राज्यों के उन ग्रामीण इलाकों में पानी की सुविधा उपलब्ध करवाना है। बढ़ती जनसंख्या के साथ साथ पानी जैसी समस्या भी बढ़ती जा रही है ऐसे कई ग्रामीण क्षेत्र है जहां पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है और लोगों को कई दूर पैदल चल कर पानी लाना पड़ता है। पानी की कमी से किसानों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन सभी परेशानियों को देख कर सरकार ने जल जीवन मिशन स्कीम / JJM मिशन की शुरुआत की है। इस मिशन के तहत जिन इलाकों में पानी नहीं है वहां हर घर में पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा इस मिशन को सरकार ने हर घर जल योजना का नाम भी दिया है। स्कीम का लाभ लेने के लिए उन लाभार्थियों को पात्र माना जाएगा जिनके घर में पानी का कनेक्शन नहीं है।

  • jal jeevan mission के माध्यम से राज्यों के जिन इलाकों में पानी की सुविधा नहीं है वहां पानी पहुंचाया जाएगा।
  • इस स्कीम का लाभ ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों के लोगों को प्रदान किया जाएगा।
  • जल जीवन मिशन स्कीम के लिए सरकार ने 60 लाख करोड़ का बजट देने का प्रावधान दिया जाएगा।
  • स्कीम के माध्यम से 6 करोड़ घरों में पानी पहुँचाया जाएगा।
  • घरों में पहुंचाया जाने वाले जल का प्रयोग उम्मीदवार पीने के लिए भी कर सकते हैं।
  • इस मिशन के माध्यम से जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • सभी उम्मीदवारों को अपने घरों में ही पानी का कनेक्शन प्राप्त हो जाएगा।
  • अब उन्हें पीने का पानी लेने के लिए कहीं दूर नहीं जाना पड़ेगा जिससे लाभार्थियों के समय की भी बचत होगी।
  • योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों को Functional Household Tap Connection उपलब्ध करवाना है।
  • स्कीम के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के सार्वजनिक स्थानों पर भी जल कनेक्शन लगाए जाएंगे।
  • अभी तक 33 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में पानी का कनेक्शन प्रदान किया गया है।
  • 19 करोड़ 17 लाख, 20 हजार 832 ग्रामीण परिवारों को पानी का कनेक्शन प्राप्त किया गया है।
  • JJM Mission के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को राहत मिलेगी।
  • अभी तक 18 जिलों के लोगों को स्कीम का लाभ प्रदान किया गया है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस

गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day for the Eradication of Poverty) हर साल 17 अक्टूबर को मनाया जाता है।

मुख्य बिंदु

  • यह दिन उन लोगों के प्रयासों और संघर्षों को पहचानने और स्वीकार करने के लिए मनाया जाता है, जो निर्धनता में गुजर-बसर कर रहे हैं।

विश्व बैंक की रिपोर्ट

  • विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार 88 से 115 मिलियन लोगों को गरीबी की ओर धकेल दिया गया है। अधिकांश लोग दक्षिण एशियाई और उप-सहारा क्षेत्रों से हैं, जिन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबी की ओर धकेला गया था।
  • यह संख्या 143 और 163 मिलियन की सीमा में बढ़ सकती है।
  • ये आंकड़े मौजूदा 3 बिलियन लोगों के अलावा हैं जो महामारी से पहले से ही गरीबी में जी रहे थे।

दिन का इतिहास

17 अक्टूबर, 1987 को गरीबी को मानवाधिकारों के उल्लंघन के रूप में घोषित किया गया था। इस दिन, मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा पर भी वर्ष 1948 में हस्ताक्षर किए गए थे।  22 दिसंबर, 1992 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपना संकल्प 47/196 अपनाया और 17 अक्टूबर को “गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस” के रूप में घोषित किया।

भारत ने चरम गरीबी (Extreme Poverty) को बहुत प्रभावी रूप से कम कर दिया है जिससे हम सभी अवगत हैं। अंतिम आधिकारिक डेटा 8 साल पुराना है। विश्व बैंक के आकलन के अनुसार, 2011 में 268 मिलियन लोग प्रतिदिन 1.90 डॉलर से कम (चरम गरीबी) में जीवन यापन कर रहे थे। घरेलू खपत पर डेटा का अगला दौर जून में आने की संभावना है जिसमें गरीबों की संख्या में भारी गिरावट देखी जा सकती

गरीबी क्या है?

  • गरीबी को एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें व्यक्ति जीवन के निर्वाह के लिये बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होता है। इन बुनियादी आवश्यकताओं में शामिल हैं- भोजन, वस्त्र और घर।
  • चरम गरीबी अंततः मृत्यु की ओर ले जाती है। भारत में उपभोग और आय दोनों के आधार पर गरीबी के स्तर का आकलन किया जाता है।
  • उपभोग की गणना उस धन के आधार पर की जाती है जो एक परिवार द्वारा आवश्यक वस्तुओं पर खर्च किया जाता है और आय की गणना उस परिवार द्वारा अर्जित आय के अनुसार की जाती है।
  • एक और महत्त्वपूर्ण अवधारणा जिसका उल्लेख किया जाना ज़रूरी है, वह है गरीबी रेखा की अवधारणा। यह गरीबी रेखा भारत में गरीबी के मापन के लिये एक बेंचमार्क का काम करती है।

गरीबी दूर करने की नीति आयोग की रणनीति

  • 2017 में नीति आयोग ने गरीबी दूर करने हेतु एक विज़न डॉक्यूमेंट प्रस्तावित किया था। इसमें 2032 तक गरीबी दूर करने की योजना तय की गई थी।
  • इस डॉक्यूमेंट में कहा गया था कि गरीबी दूर करने हेतु तीन चरणों में काम करना होगा-
    1. गरीबों की गणना – देश में गरीबों की सही संख्या का पता लगाया जाए।
    2. गरीबी उन्मूलन संबंधी योजनाएँ लाई जाएँ।
    3. लागू की जाने वाली योजनाओं की मॉनीटरिंग या निरीक्षण किया जाए।

रीबी उन्मूलन की दिशा में सरकारों द्वारा किये गए प्रयास

  • विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार का लक्ष्य गरीबी दूर करना नहीं बल्कि समृद्धि लाना होना चाहिये क्योंकि समृद्धि से ही गरीबी उन्मूलन संभव है।
  • आर्थिक सुधारों के बाद भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ गति से वृद्धि कर रही है। लेकिन उच्च आर्थिक वृद्धि दर के बिना गरीबी कम नहीं हो सकती।
  • आर्थिक वृद्धि को ध्यान में रख कर सरकार द्वारा अनेक योजनाओं एवं कार्यक्रमों की शुरुआत की गई है, जैसे रोज़गार सृजन कार्यक्रम, आय समर्थन कार्यक्रम, रोज़गार गारंटी तथा आवास योजना आदि।
  • प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) ऐसा ही एक कार्यक्रम है। यह योजना आर्थिक रूप से वंचित लोगों को विभिन्न वित्तीय सेवाओं जैसे- बचत खाता, बीमा, आवश्यकतानुसार ऋण, पेंशन आदि तक पहुँच प्रदान करती है।
  • किसान विकास पत्र के माध्यम से किसान 1,000, 5000 तथा 10,000 रुपए मूल्यवर्ग में निवेश कर सकते हैं। इससे जमाकर्त्ताओं का धन 100 महीनों में दोगुना हो सकता है।
  • दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY) को ग्रामीण क्षेत्रों को बिजली की निरंतर आपूर्ति प्रदान करने हेतु शुरू किया गया है।
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत देश भर के गाँवों में लोगों को 100 दिनों के काम की गारंटी दी गई है।
  • जहाँ तक ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों के आय स्तर में वृद्धि का संबंध है, यह एक सफल कार्यक्रम साबित हुआ है।
  • इंदिरा आवास योजना ग्रामीण क्षेत्र में आवास सुविधा प्रदान करती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश भर में 20 लाख घर बनाना है जिसमें 65% ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।
  • योजना के अनुसार, जो लोग अपना घर बनाने में सक्षम नहीं हैं, उनको रियायती दर पर ऋण प्रदान किया जाता है।
  • एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम दुनिया में अपनी तरह की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गरीबों को रोज़गार प्रदान कर उनके कौशल को विकसित करने के अवसर प्रदान करना है ताकि उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके।
  • भारत में गरीबी उन्मूलन के लिये सरकार द्वारा शुरू की गई कुछ अन्य योजनाओं में शामिल हैं: राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार कार्यक्रम (NREP), राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना (NMBS), ग्रामीण श्रम रोज़गार गारंटी कार्यक्रम (RLEGP), राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना (NFBS), शहरी गरीबों के लिये स्वरोज़गार कार्यक्रम (SEPUP) आदि।
  • उपरोक्त सभी योजनाओं एवं कार्यक्रमों ने गरीबी कम करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

SOURCE-DANIK JAGRAN

PAPER-G.S.2

 

चीन ने परमाणु सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अगस्त 2021 में एक उन्नत अंतरिक्ष क्षमता का प्रदर्शन करते हुए परमाणु-सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया।

रिपोर्ट के निष्कर्ष

  • इसरिपोर्ट के अनुसार, मिसाइल लांच को चीन ने गुप्त रखा था। इस मिसाइल ने अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने से पहले दुनिया की परिक्रमा की। हालाँकि, यह लगभग 24 मील की दूरी पर अपने निशान से चूक गयी।
  • चीनी सेना ने हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन ले जाने वाले रॉकेट को लॉन्च किया जो निम्न कक्षा में उड़ान भरता है।
  • इस मिसाइल परीक्षण से पता चलता है कि चीन ने हाइपरसोनिक हथियारों पर प्रभावशाली प्रगति की है। यह परीक्षण अमेरिका से अधिक उन्नत था।

हाइपरसोनिक मिसाइलों का विकास

रूस, चीन और अमेरिका जैसे देश ऐसी हाइपरसोनिक मिसाइलें विकसित कर रहे हैं जो ध्वनि की गति से पांच गुना तेज गति से यात्रा करती हैं। हालांकि, वे बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में धीमी गति से चलती हैं।

चीन ने क्यों किया इस मिसाइल का परीक्षण?

चीन ने इस मिसाइल को अमेरिका-चीन की बढ़ती प्रतिद्वंद्विता, ताइवान पर चीनी दबाव के साथ-साथ पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच गतिरोध की पृष्ठभूमि में विकसित किया है।

हाइपरसोनिक और बैलिस्टिक मिसाइलों के बीच अंतर

हाइपरसोनिक मिसाइलों के प्रक्षेपवक्र (trajectory) का पता नहीं लगाया जा सकता है, जबकि बैलिस्टिक मिसाइलों के प्रक्षेपवक्र का पता लगाया जा सकता है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1 PRE

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