Current Affairs – 20 October, 2021
अभिधम्म दिवस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तर प्रदेश के कुशीमगर में इंटरनैशनल एयरपोर्ट का लोकार्पण करने के लिए पहुंचेंगे। इसके बाद महापरिनिर्वाण मंदिर पर पहुंचकर अभिधम्म दिवस (Abhidhamma Day) पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। वह भगवान बुद्ध की लेटी हुई प्रतिमा पर चीवर (भिक्षु वस्त्र) भी चढ़ाएंगे। 180 करोड़ रुपये की कई परियोजनाओं की आधारशिला भी रखेंगे।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ, उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से अश्विन पूर्णिमा के अवसर पर अभिधम्म दिवस का आयोजन कर रहे हैं। अभिधम्म दिवस असल में बौद्ध भिक्षुओं और ननों के लिए तीन महीने की वर्षा वापसी (वर्षावास या वासा की समाप्ति का प्रतीक) है, जिसके दौरान वे एक स्थान पर रहते हैं और प्रार्थना करते हैं।
अभिधम्म दिवस ज्यादातर उन देशों में मनाया जाता है, जहां अधिकांश आबादी बौद्ध धर्म का पालन करती है। मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान बुद्ध स्वर्ग से पृथ्वी पर वापस आए थे। ऐसी मान्यता है कि वह अपनी मां को अभिधम्म पिटक सिखाने के लिए स्वर्ग गए थे। शिक्षण में 3 महीने लगे, जिसके बाद बुद्ध धरती पर वापस आए। उनके अनुयायी भी 3 महीने के समय को एक स्थान पर रहकर और प्रार्थना करके चिह्नित करते हैं।
श्रीलंका के वास्काडुवा श्री सुबुद्धि राजविहार मंदिर के महानायक इस दौरान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का प्रदर्शन भी करेंगे। कुशीनगर गौतम बुद्ध की अंतिम स्थली है, जहां उन्होंने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। इस दौरान म्यांमार, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, दक्षिण कोरिया सहित अन्य जगहों के प्रख्यात बौद्ध भिक्षु उपस्थित रहेंगे।
बौद्ध धर्म
ईसाई और इस्लाम धर्म से पूर्व बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई थी। उक्त दोनों धर्म के बाद यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। इस धर्म को मानने वाले ज्यादातर चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और भारत आदि देशों में रहते हैं।
गुप्त काल में यह धर्म यूनान, अफगानिस्तान और अरब के कई हिस्सों में फैल गया था किंतु ईसाई और इस्लाम के प्रभाव के चलते इस धर्म को मानने वाले लोग उक्त इलाकों में अब नहीं के बराबर ही है दो शब्दों में बौद्ध धर्म को व्यक्त किया जा सकता है- अभ्यास और जागृति। बौद्ध धर्म नास्तिकों का धर्म है। कर्म ही जीवन में सुख और दुख लाता है। सभी कर्म चक्रों से मुक्त हो जाना ही मोक्ष है। कर्म से मुक्त होने या ज्ञान प्राप्ति हेतु मध्यम मार्ग अपनाते हुए व्यक्ति को चार आर्य सत्य को समझते हुए अष्टांग मार्ग का अभ्यास कहना चाहिए यही मोक्ष प्राप्ति का साधन है।
बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध हैं। इस धर्म के मुख्यत: दो संप्रदाय है हिनयान और महायान। वैशाख माह की पूर्णिमा का दिन बौद्धों का प्रमुख त्योहार होता है। बौद्ध धर्म के चार तीर्थ स्थल हैं- लुंबिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर। बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथ को त्रिपिटक कहा जाता है।
भगवान बुद्ध का परिचय –
भगवान बुद्ध को गौतम बुद्ध, सिद्धार्थ और तथागत भी कहा जाता है। बुद्ध के पिता कपिल वस्तु के राजा शुद्धोदन थे और इनकी माता का नाम महारानी महामाया देवी था। बुद्ध की पत्नी का नाम यशोधरा और पुत्र का नाम राहुल था।
वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में ईसा पूर्व 563 को हुआ। इसी दिन 528 ईसा पूर्व उन्होंने भारत के बोधगया में सत्य को जाना और इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में भारत के कुशीनगर में निर्वाण (मृत्यु) को उपलब्ध हुए जब बुध को सच्चे बोध की प्राप्ति हुई उसी वर्ष आषाढ़ की पूर्णिमा को वे काशी के पास मृग दाव (वर्तमान में सारनाथ) पहुँचे। वहीं पर उन्होंने सबसे पहला धर्मोपदेश दिया, जिसमें उन्होंने लोगों से मध्यम मार्ग अपनाने के लिए कहा। चार आर्य सत्य अर्थात दुःख, उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया। अहिंसा पर जोर दिया। यज्ञ, कर्मकांड और पशु-बलि की निंदा की।
बौद्ध सम्प्रदाय –
भगवान बुद्ध के समय किसी भी प्रकार का कोई पंथ या सम्प्रदाय नहीं था किंतु बुद्ध के निर्वाण के बाद द्वितीय बौद्ध संगति में भिक्षुओं में मतभेद के चलते दो भाग हो गए। पहले को हिनयान और दूसरे को महायान कहते हैं। महायान अर्थात बड़ी गाड़ी या नौका और हिनयान अर्थात छोटी गाड़ी या नौका। हिनयान को ही थेरवाद भी कहते हैं। महायान के अंतर्गत बौद्ध धर्म की एक तीसरी शाखा थी वज्रयान। झेन, ताओ, शिंतो आदि अनेकों बौद्ध सम्प्रदाय भी उक्त दो सम्प्रदाय के अंतर्गत ही माने जाते हैं।
बुध के गुरु और शिष्य –
बुद्ध के प्रमुख गुरु थे – गुरु विश्वामित्र, अलारा, कलम, उद्दाका रामापुत्त आदि और प्रमुख शिष्य थे – आनंद, अनिरुद्ध, महाकश्यप, रानी खेमा (महिला), महाप्रजापति (महिला), भद्रिका, भृगु, किम्बाल, देवदत्त, उपाली आदि। प्रमुख प्रचारक – अँगुलिमाल, मिलिंद (यूनानी सम्राट), सम्राट अशोक, ह्वेन त्सांग, फा श्येन, ई जिंग, हे चो आदि।
बौद्ध धर्मग्रंथ –
बौद्ध धर्म के मूल तत्व है – चार आर्य सत्य, आष्टांगिक मार्ग, प्रतीत्यसमुत्पाद, अव्याकृत प्रश्नों पर बुद्ध का मौन, बुद्ध कथाएँ, अनात्मवाद और निर्वाण। बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए, जो त्रिपिटकों में संकलित हैं। त्रिपिटक के तीन भाग है – विनयपिटक, सुत्तपिटक और अभिधम्मपिटक। उक्त पिटकों के अंतर्गत उप-ग्रंथों की विशाल श्रृंखलाएँ है। सुत्तपिटक के पाँच भाग में से एक खुद्दक निकाय की पंद्रह रचनाओं में से एक है धम्मपद। धम्मपद ज्यादा प्रचलित है। बौद्ध तीर्थ – लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर ये चार प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल है, जहाँ विश्व भर के बौद्ध अनुयायी बौद्ध त्योहार पर इकट्ठा होते हैं। लुम्बिनी तीर्थ नेपाल में है। बोधगया भारत के बिहार में है। सारनाथ भारत के उत्तर प्रदेश में काशी के पास हैं। कुशीनगर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पास का एक जिला है।
बौद्ध त्योहार –
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था तथा इसी दिन उन्होंने देह छोड़ दी थी अर्थात निर्वाण प्राप्त किया था इसलिए उक्त पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती और निर्वाण दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा आषाढ़ की पूर्णिमा का दिन भी बौद्धों का प्रमुख त्योहार होता है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1
नॉन जीएमओ चावल का निर्यात
भारत में जीएम चावल की कोई व्यावसायिक किस्म नहीं होती है, वास्तव में भारत में व्यावसायिक जीएम चावल की कृषि पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसलिए, भारत से जीएम चावल के निर्यात का सवाल ही नहीं उठता है। ईयू द्वारा त्वरित अलर्ट के माध्यम से दी गई एक विशेष घटना की खबर में, चावल के आटे में जीएमओ के पाए जाने का संदेह है, जिसे ईयू में प्रसंस्कृत किया जाता है और उन्हें खुद दूषित पदार्थ के वास्तविक स्रोत का पता नहीं है। भारत से सफेद चावल के टुकड़े का निर्यात किया गया है, जिसके कथित रूप से ईयू में वास्तविक प्रोसेसर के पास तक पहुंचने से पहले कई जगहों से गुजरने की संभावनाएं हैं।
इस दौरान, हर चरण पर मिलावट या दूषित पदार्थों के मिलने की हमेशा ही संभावना रहती है। हालांकि, निर्यातक ने इस बात की पुष्टि की है कि निर्यातित चावल नॉन जीएमओ था और अंतर्देशीय पारगमन के दौरान भी इसमें दूषित पदार्थों के मिलने की संभावना बेहद कम होती है, क्योंकि बंदरगाह पर अंतिम नमूना लेने वाली स्वतंत्र निरीक्षण एजेंसी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली होती है जो लदान से पहले पर्याप्त परीक्षण और सत्यापन के बाद ही नॉन जीएमओ प्रमाणन जारी करती है। अगर कोई प्रदूषित पदार्थ मिले हैं तो अंतिम उत्पाद तैयार करने के दौरान टूटे हुए चावल के प्रसंस्करण के दौरान इसकी संभावना हो सकती है।
चूंकि, भारत में जीएम की कोई व्यावसायिक किस्म नहीं है, माल के लदान से पहले जरूरी परीक्षण भी किया जाता है। इसलिए, भारत द्वारा सफेद चावल के निर्यात के कारण जीएमओ मिलावट की संभावना नहीं है।
भारत दुनिया में पूर्ण रूप से नॉन जीएमओ चावल का निर्यात कर रहा है।
इससे जुड़े समाचारों का प्रकाशन, दुनिया में गुणवत्तापूर्ण चावल के एक भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की छवि बिगाड़ने की एक साजिश हो सकती है। भारत में जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) के विशेषज्ञ और आईएआरआई के कृषि विशेषज्ञ व भारत में अन्य चावल विशेषज्ञ इस मामले की जांच कर रहे हैं, फिर भी इस बात की पुष्टि की जाती है भारत में चावल की जीएम किस्म पैदा नहीं की जाती है।
गैर जीएमओ बनाम कार्बनिक
बाजार में विभिन्न उत्पादों जैसे जीएमओ, नॉन जीएमओ, ऑर्गेनिक आदि के साथ विभिन्न उत्पाद उपलब्ध हैं, इसलिए, इन शब्दों में से प्रत्येक का सही अर्थ जानना महत्वपूर्ण है। GMO संदर्भित करता है जनीनीक परिवतर्तित जीव। गैर जीएमओ एक जीव या आनुवंशिक इंजीनियरिंग या जीएमओ सामग्री के उपयोग के बिना किए गए उत्पाद को संदर्भित करता है। ऑर्गेनिक का अर्थ होता है विशुद्ध रूप से कार्बनिक पदार्थों से संबंधित या व्युत्पन्न। गैर जीएमओ और जैविक भेदभाव भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उपभोक्ता अक्सर इन दो शब्दों के बारे में भ्रमित होते हैं। गैर GMO और कार्बनिक के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि गैर GMO एक शब्द है जो आनुवंशिक इंजीनियरिंग तकनीक या किसी GMO सामग्री के उपयोग के बिना बनाए गए जीवों या उत्पादों का प्रतिनिधित्व करता है जबकि कार्बनिक किसी भी रासायनिक आदानों को शामिल किए बिना केवल पौधों और जानवरों के कार्बनिक पदार्थों का उपयोग किए गए उत्पाद का प्रतिनिधित्व करता है।
गैर GMO का क्या अर्थ है?
जीएमओ कई उपभोक्ताओं के बीच एक लोकप्रिय और दिलचस्प विषय है। हालांकि, जीएमओ खाद्य पदार्थों और उनके मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभावों का पता लगाने में बाधाओं के कारण, जीएमओ का उपयोग करने के लिए एक डर बढ़ रहा है। इसलिए, लोग ‘गैर GMO’ लेबल वाले उत्पादों के लिए उत्सुक हैं। गैर जीएमओ एक जीव या आनुवंशिक इंजीनियरिंग तकनीक की मदद के बिना बनाए गए उत्पाद को संदर्भित करता है। यह केवल यह बताता है कि जीव या उत्पाद कृत्रिम रूप से हेरफेर किए गए जीन या जेनेटिक इंजीनियरिंग का उपयोग करके बनाई गई सामग्री से मुक्त है। इस प्रकार, यह उत्पाद के लिए एक सत्यापन प्रतीक है। यह प्रमाणित करता है कि प्रयोगशाला के अंदर किसी भी विदेशी आनुवंशिक सामग्री को शुरू करने से उत्पाद या जीव आनुवंशिक रूप से संशोधित नहीं होता है
गैर जीएमओ हमेशा कार्बनिक के समान नहीं होता है। गैर जीएमओ एक कार्बनिक उत्पाद हो सकता है। यह गैर-जैविक खेती का भी परिणाम हो सकता है जहां रासायनिक उर्वरकों, कीट नाशकों, खरपतवार नाशकों, विकास हार्मोन, एंटीबायोटिक्स, कीट नाशकों, नेमाटाइड्स आदि जैसे रासायनिक योजक के अनुशंसित स्तरों के साथ कृषि का अभ्यास किया जाता है, इसलिए गैर जीएमओ उत्पादों को सामान्य कृषि से बनाया जा सकता है। हालांकि, इसमें जीएमओ बीज सहित कोई जीएमओ सामग्री नहीं होनी चाहिए। गैर जीएमओ का प्रमाणीकरण कुछ विशेष नियमों और कुछ प्राधिकरणों द्वारा अनुशंसित मानकों से गुजरना चाहिए।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
बीमारी मास्टिटिस
गुजरात के किसान द्वारा साझा की गई स्वदेशी ज्ञान प्रणाली का उपयोग करते हुए, डेयरी मवेशियों की एक संक्रामक बीमारी, मास्टिटिस का इलाज करने के लिए एक पॉली-हर्बल और सस्ती दवा विकसित की गई है।
नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) द्वारा विकसित मस्तिरक जेल नाम की दवा का उद्योग भागीदार राकेश फार्मास्युटिकल्स के माध्यम से व्यवसायीकरण किया गया है। इसे देश के विभिन्न भागों में पशुओं की दवाओं की आपूर्ति करने वाले मेडिकल स्टोर से खरीदा जा सकता है।
मास्टिटिस एक आम संक्रामक बीमारी है, जो दूध की गुणवत्ता में गिरावट लाने के कारण कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती है और इस प्रकार आय-सृजन गतिविधियों को भी प्रभावित करती है। संक्रमित पशुओं का एंटीबायोटिक दवाओं से उपचार जन स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है। स्वदेशी ज्ञान प्रणाली एक अधिक स्थायी विकल्प उपलब्ध करा सकती है। इन दवाओं को स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में एकीकृत करने के लिए उनका वैज्ञानिक मूल्यांकन किया जाना आवश्यक है। एंटीबायोटिक चिकित्सा के न्यूनतम उपयोग के साथ मास्टिटिस के प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकियों और उत्पादों के विकास में निरंतर विस्तार किए जाने की आवश्यकता है।
इसके लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार का एक स्वायत्त संस्थान-एनआईएफ, किसानों के ज्ञान के आधार पर स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को दोबारा जीवंत करता है। इस संस्थान ने गुजरात के किसान द्वारा साझा की गई इस अनूठी हर्बल संरचना की मवेशियों की इस बीमारी के नियंत्रण के लिए पहचान की है। दुधारु पशुओं के थन की प्रभावित सतह पर सामयिक अनुप्रयोग के लिए एक जेल विकसित की गई है। श्री बेचारभाई समतभाई देवगनिया द्वारा साझा किए गए इस कम्पोजिशन के लिए एक पेटेंट भी दायर किया गया है।
यह पाया गया कि सोमैटिक सेल काउंट (एससीसी) को यह दवा कम कर सकती है और दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है। सोमैटिक सेल काउंट विश्व स्तर पर एक पैरामीटर है, और इसके मानक सीमा पर दूध में एससीसी कम करने के प्रयास ठीक हैं। पॉलीहर्बल दवा थन के लिए हानिकारक सूजन को कम करती है। स्वदेशी ज्ञान प्रणाली के इस महत्वपूर्ण विश्लेषण ने उद्योग भागीदार राकेश फार्मास्युटिकल्स की सहायता से मूल्य वर्धित वाणिज्यिक उत्पाद मस्तिरक को विकसित किया है। यह कंपनी देश के विभिन्न हिस्सों में इस दवा का निर्माण और वितरण कर रही है।
देश के आठ राज्यों- गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में डेयरी मालिकों को मस्तिरक-एंटीमास्टाइटिस हर्बल दवा का उपयोग करने से लाभ हुआ है। इसने एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कम कर दिया है और इस बीमारी का कम खर्च में इलाज करने में मदद की है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1 PRE
भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात और इज़रायल ने
एक नया क्वाड (QUAD) बनाया
भारत, इज़रायल, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) 18 अक्टूबर, 2021 को अपने विदेश मंत्रियों की पहली बैठक आयोजित करके “अब्राहम समझौते” द्वारा हासिल की गई गति पर कार्य करने जा रहे हैं।
मुख्य बिंदु
- इस बैठक को “नया क्वाड” के रूप में वर्णित किया जा रहा है।
- इसके द्वारा शामिल थे :
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- विदेश मंत्री एस. जयशंकर
- वाशिंगटन से अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन
- यरुशलम से इजरायल के विदेश मंत्री यायर लापिड
- अबू धाबी से यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान
- इन चार देशों को एक साथ एक मंच पर लाने वाली यह पहली बैठक है।
- इस बैठक को नई बहुपक्षीय भागीदारी के निर्माण के भारत के प्रयासों से भी जोड़ा जाएगा जो सुरक्षा, संपर्क और ऊर्जा सहित क्षेत्रों में सहयोग पर केंद्रित है।
त्रिपक्षीय सहयोग
अगस्त 2020 में दो पश्चिम एशियाई देशों के बीच अब्राहम समझौते के लिए अमेरिका द्वारा किये गये समझौते के बाद भारत, इज़रायल और यूएई ने विशेष रूप से व्यापार और निवेश में त्रिपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाया है। इस साझेदारी के तहत इजरायल की एक कंपनी भारत में रोबोटिक सोलर क्लीनिंग टेक्नोलॉजी का उत्पादन करेगी जिसका इस्तेमाल यूएई में एक प्रोजेक्ट के लिए किया जाएगा।
अब्राहम समझौता (Abraham Accords)
अब्राहम समझौता इजरायल, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात के बीच एक संयुक्त बयान है। इस पर 13 अगस्त, 2020 को हस्ताक्षर किए गए थे। इस शब्द का इस्तेमाल इज़राइल और यूएई और इज़रायल और बहरीन के बीच सामूहिक रूप से सामान्यीकरण समझौतों को संदर्भित करने के लिए भी किया गया था। यह 1994 के बाद से किसी भी अरब देश और इज़राइल के बीच संबंधों का पहला सार्वजनिक सामान्यीकरण है। इस समझौते का नाम अब्राहम के नाम पर रखा गया है, जिसमें यहूदी और इस्लाम के बीच साझा विश्वास पर जोर दिया गया है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.2
मेरा घर मेरे नाम
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) ने 17 अक्टूबर, 2021 को “मेरा घर मेरे नाम” योजना लांच की।
मुख्य बिंदु
- यह योजना उन लोगों को स्वामित्व का अधिकार देगी जो शहरों के साथ-साथ गांवों के लाल लकीर के भीतर घरों में रह रहे हैं।
- लाल लकीर से तात्पर्य उस भूमि से है जो गाँव की बस्ती का हिस्सा है। ऐसी भूमि का उपयोग केवल गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
योजना का महत्व
यह योजना वंचित और जरूरतमंद तबके के लोगों सहित सभी लोगों को बहुत आवश्यक सहायता प्रदान करेगी।
पृष्ठभूमि
पहले यह योजना केवल गांवों के निवासियों के लिए शुरू की गई थी। लेकिन अब इसे लाल लकीर में शहरों के पात्र निवासियों तक बढ़ा दिया गया है।
ड्रोन सर्वेक्षण
इस योजना को लागू करने के लिए, राजस्व विभाग को डिजिटल मैपिंग के उद्देश्य से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इन आवासीय संपत्तियों का ड्रोन सर्वेक्षण करने के लिए अनिवार्य किया गया है।
संपत्ति कार्ड
- उचित पहचान या सत्यापन के बाद, सभी पात्र निवासियों को समयबद्ध तरीके से स्वामित्व अधिकार प्रदान करने के लिए संपत्ति कार्ड या सनद दिए जाएंगे।
- इससे पहले लाभार्थियों को अपनी आपत्तियां दर्ज कराने के लिए 15 दिन का समय दिया जाएगा। अगर उनसे कोई जवाब नहीं मिलता है, तो संपत्ति कार्ड जारी किया जाएगा।
- संपत्ति कार्ड रजिस्ट्री के उद्देश्य को पूरा करेगा। इस कार्ड का उपयोग करके, लाभार्थी बैंकों से ऋण प्राप्त कर सकता है या अपनी संपत्ति बेच सकता है। इस प्रकार, यह कार्ड भूमि के मौद्रिक मूल्य में वृद्धि करेगा।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1 PRE
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन 2022 से एक संशोधित की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) को शुरू करने के उद्देश्य से एक कार्य समूह का गठन किया है।
मुख्य बिंदु
- इस कार्य समूह का गठन केंद्र के अधिकारियों, सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों और प्रमुख फसल उत्पादक राज्यों को मिलाकर किया गया है।
- यह कार्य समूह “सतत, वित्तीय और परिचालन मॉडल” का सुझाव देगा।
कार्य समूह का कार्य
सरकार पर सब्सिडी के बोझ को कम करने के लिए बीमाकर्ताओं की स्थायी क्षमता प्राप्त करने के साथ-साथ तर्कसंगत प्रीमियम मूल्य प्राप्त करने के लिए इस कार्य समूह से वैकल्पिक मॉडल की मांग को पूरा करने की उम्मीद है। यह अगले छह महीने में अपनी रिपोर्ट देगा।
योजना के तहत प्रीमियम
इस योजना के तहत, किसानों को रबी फसलों के लिए बीमा राशि का 1.5% जबकि खरीफ फसलों के लिए 2% प्रीमियम तय करना आवश्यक है। PMFBY के तहत नकदी फसलों के लिए यह 5% है। शेष प्रीमियम को केंद्र और राज्यों के बीच विभाजित किया जाता है।
राज्य की मांग
कुछ राज्यों ने प्रीमियम सब्सिडी के अपने हिस्से को 30% तक सीमित करने की मांग की है, जबकि कुछ राज्य केंद्र से पूरी सब्सिडी वहन करने की मांग कर रहे हैं।
कौन से राज्य इस योजना से बाहर हो गए हैं?
गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार अब तक इस योजना से बाहर हो चुके हैं। पंजाब ने फसल बीमा योजना लागू नहीं की। बिहार, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने अपनी-अपनी योजनाएं शुरू की हैं, जिसके तहत किसान कोई प्रीमियम नहीं देते हैं, हालांकि फसल खराब होने की स्थिति में उन्हें एक निश्चित मुआवजा राशि मिलती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
किसानों की फसल के संबंध में अनिश्चितताओं को दूर करने के लिये नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट ने 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुयी हानि को किसानों के प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक कम करायेगी।
इस योजना के लिये 8,800 करोड़ रुपयों को खर्च किया जायेगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत, किसानों को बीमा कम्पनियों द्वारा निश्चित, खरीफ की फसल के लिये 2% प्रीमियम और रबी की फसल के लिये 1.5% प्रीमियम का भुगतान करेगा।
इसमें प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब हुई फसल के खिलाफ किसानों द्वारा भुगतान की जाने वाली बीमा की किस्तों को बहुत नीचा रखा गया है, जिनका प्रत्येक स्तर का किसान आसानी से भुगतान कर सके। ये योजना न केवल खरीफ और रबी की फसलों को बल्कि वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए भी सुरक्षा प्रदान करती है, वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिये किसानों को 5% प्रीमियम (किस्त) का भुगतान करना होगा।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3