Current Affairs – 22 December, 2021
न्यूनतम समर्थन मूल्य
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2022 सीजन के लिए खोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को अपनी मंजूरी दे दी है।
उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) के मिलिंग खोपरा के लिए एमएसपी को 2021 के 10,335 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2022 सीजन के लिए 10,590 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है और बॉल खोपरा के लिए एमएसपी को 2021 के 10,600 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2022 सीजन के लिए 11,000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। यह उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर खोपरा मिलिंग के लिए 51.85 प्रतिशत और बॉल खोपरा के लिए 57.73 प्रतिशत का लाभ सुनिश्चित करता है। 2022 सीज़न के लिए खोपरा के एमएसपी में वृद्धि, अखिल भारतीय भारित औसत लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय करने के सिद्धांत के अनुरूप है, जिसे बजट 2018-19 में सरकार द्वारा घोषित किया गया था।
यह निर्णय कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों पर आधारित है।
यह 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में महत्वपूर्ण और प्रगतिशील कदमों में से एक है, जो लाभ के रूप में न्यूनतम 50 प्रतिशत का आश्वासन देता है।
भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड और भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ लिमिटेड नारियल उगाने वाले राज्यों में एमएसपी पर समर्थन मूल्य का संचालन करने के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसियों के रूप में कार्य करना जारी रखेंगे।
एमएसपी क्या है और इसकी क्या ज़रूरत है?
किसानों के हित के लिए एमएसपी की व्यवस्था सालों से चल रही है। केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है। इसे ही एमएसपी कहते हैं। मान लीजिए अगर कभी फसलों की क़ीमत बाज़ार के हिसाब से गिर भी जाती है, तब भी केंद्र सरकार इस एमएसपी पर ही किसानों से फसल ख़रीदती है ताकि किसानों को नुक़सान से बचाया जा सके। 60 के दशक में सरकार ने अन्न की कमी से बचाने के लिए सबसे पहले गेहूं पर एमएसपी शुरू की ताकि सरकार किसानों से गेहूं खरीद कर अपनी पीडीएस योजना के तहत ग़रीबों को बांट सके।
किस-किस फसल पर एमएसपी मिलता है?
इसमें 7 अनाज वाली फसलें हैं- धान, गेहूं, बाजरा, मक्का, ज्वार, रागी, जौ.
5 दालें – चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर
7 ऑयलसीड – मूंग, सोयाबीन, सरसों, सूरजमुखी, तिल, नाइजर या काला तिल, कुसुम
4 अन्य फसल – गन्ना, कपास, जूट, नारियल
एमएसपी का कितना लाभ किसानों को मिलता है?
हर फसल पर केंद्र सरकार एमएसपी नहीं देती है। सिर्फ 23 फसलें ही हैं जिन पर एमएसपी तय होता है।
इनमें से सिर्फ गन्ना ही है जिस पर कुछ हद तक कानूनी पाबंदी लागू होती है क्योंकि आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत एक आदेश के मुताबिक़ गन्ने पर उचित और लाभकारी मूल्य देना ज़रूरी है।
कृषि मंत्रालय का एक विभाग कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कोस्ट्स एंड प्राइसेस गन्ने पर एमएसपी तय करता है। ये बस एक विभाग है जो सुझाव देता है, ये कोई ऐसी संस्था नहीं है जो कानूनी रूप से एमएसपी लागू कर सके।
अगस्त 2014 में बनी शांता कुमार कमेटी के मुताबिक़ 6 फीसद किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिल पाया है। बिहार में एमएसपी से खरीद नहीं की जाती। वहां राज्य सरकार ने प्राइमरी एग्रीकल्चर कॉपरेटिव सोसाइटीज़ यानी पैक्स के गठन किया था जो किसानों से अनाज खरीदती है। लेकिन किसानों की शिकायत है कि वहां पैक्स बहुत कम खरीद करती है, देर से करती है और ज़्यादातर उन्हें अपनी फसल कम कीमत पर बिचौलियों को बेचनी पड़ती है।
कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices (CACP)) भारत सरकार की विकेन्द्रित एजेन्सी है। पहले इसका नाम कृषि मूल्य आयोग (Agricultural Prices Commission) था। कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है। यह जनवरी 1965 में अस्तित्व में आया।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेन्ट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) और द पोलिश चेम्बर ऑफ स्टेट्यूटरी ऑडिटर्स (पीआईबीआर) के बीच समझौता-ज्ञापन को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने सदस्य प्रबंधन, पेशेवर नैतिकता, तकनीकी अनुसंधान, सीपीडी, पेशेवर लेखा-कार्य प्रशिक्षण, लेखा-परीक्षा की गुणवत्ता की निगरानी, लेखा-कार्य संबंधी ज्ञान का विकास, पेशेवर और बौद्धिक विकास के क्षेत्र में आपसी सहयोग के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेन्ट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) और द पोलिश चेम्बर ऑफ स्टेट्यूटरी ऑडिटर्स (पीआईबीआर) के बीच समझौता-ज्ञापन को मंजूरी दे दी है।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्यः
प्रस्तावित समझौता-ज्ञापन का उद्देश्य है ब्लॉकचेन, स्मार्ट कॉन्ट्रेक्ट प्रणाली, पारंपरिक लेखा-कार्य से क्लाउड लेखा-कार्य में अंतरण आदि को शामिल करते हुए लेखा-परीक्षा और लेखा-कार्य के क्षेत्र में नये तरीकों के इस्तेमाल तथा अध्ययन सम्बन्धी विषयों में सहयोग को मजबूती देना। आईसीएआई और पीआईबीआर ने यह भी तय किया है कि वे पेशेवर संगठनों द्वारा प्रकाशित पुस्तकों, पत्रिकाओं और अन्य प्रकाशनों के आदान-प्रदान, लेखा-परीक्षा और लेखा-कार्य पर लेखों का दोनों पक्षों की पत्रिकाओं तथा वेबसाइटों पर आपसी प्रकाशन करेंगे तथा भ्रष्टाचार और धनशोधन के खिलाफ लड़ाई में आपस में सहयोग करेंगे।
प्रभावः
आईसीएआई और पीआईबीआर, पोलैंड के बीच समझौता-ज्ञापन के जरिये आईसीएआई के सदस्यों को पोलैंड में व्यावसायिक अवसर मिलेंगे और इस तरह यूरोप में उनकी उपस्थिति दर्ज होगी। ये अवसर अल्पकालीन होने के साथ-साथ दीर्घकालीन होंगे। इस समझौता-ज्ञापन का उद्देश्य है कि आईसीएआई और पीआईबीआर के सदस्यों के बीच आपसी तौर पर लाभकारी सम्बन्ध विकसित करने के लिये मिलकर काम करना। समझौते के तहत, आईसीएआई लेखा-कार्य के व्यवसाय में सेवाओं के निर्यात के लिये पोलैंड के साथ साझेदारी मजबूत करने में सक्षम होगा।
आईसीएआई सदस्य देशभर के विभिन्न संगठनों में मध्यम से उच्च स्तरीय पदों पर काम करते हैं। वे देश के उन संगठनों में निर्णय/नीति निर्माण रणनीतियों को प्रभावित करने की स्थिति में होते हैं। आईसीएआई विश्व के 47 देशों के 73 शहरों में अपने चैप्टर्स एंड रिप्रेजेंटेटिव कार्यालयों के विस्तृत नेटवर्क के जरिये इन देशों में प्रचलित तौर-तरीकों को साझा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि भारत सरकार उन उत्कृष्ट व्यवहारों को अपनाकर विदेशी निवेश को आकर्षित कर सके तथा उन्हें भारत में अपने संस्थान स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित कर सके। इस समझौता-ज्ञापन से कार्पोरेट कार्य मंत्रालय, इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेन्ट्स ऑफ इंडिया और द पोलिश चेम्बर ऑफ स्टेट्यूटरी ऑडिटर्स (पीआईबीआर) को लाभ होगा।
पृष्ठभूमि:
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेन्ट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) एक विधिक निकाय है, जिसे सनदी लेखाकार अधिनियम, 1949 के तहत स्थापित किया गया था, ताकि भारत में लेखा परीक्षकों के व्यवसाय को नियमबद्ध किया जा सके। आईसीएआई ने शिक्षा, व्यावसायिक विकास, उच्च लेखा-कार्य विधि, लेखा-कार्य और लेखा आचार मानकों को कायम रखने तथा उन्हें आगे बढ़ाने में बहुत योगदान किया है। पूरे विश्व में उसके इस योगदान को माना जाता है। द पोलिश चेम्बर ऑफ स्टेट्यूटरी ऑडिटर्स (पीआईबीआर) लेखा परीक्षकों की एक स्व-शासित संस्था है, जिसे लेखा-परीक्षा, वित्तीय ब्योरों के प्रकाशन और विधिक लेखा परीक्षकों के लिये के अक्टूबर 1991 के अधिनियम के तहत स्थापित किया गया है। पोलैंड मे लेखा परीक्षक के व्यवसाय को नियमबद्ध करने के लिये इसे एक जनवरी 1992 को लागू किया गया था।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
मिसाइल ‘प्रलय’
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेश में ही विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल ‘प्रलय’ का पहला सफलतापूर्वक परीक्षण 22 दिसंबर 2021 को ओडिशा तट पर डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम द्वीप से किया। परीक्षण के दौरान इसने अपने सभी उद्देश्यों को पूरा किया है। प्रलय मिसाइल ने वांछित अर्ध बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र का अनुसरण किया और इसने नियंत्रण, मार्गदर्शन तथा मिशन एल्गोरिदम को प्रमाणित करते हुए पूर्ण सटीकता के साथ निर्दिष्ट लक्ष्य को हासिल किया। परीक्षण के समय सभी उप-प्रणालियों ने संतोषजनक प्रदर्शन किया। डाउन रेंज के जहाजों सहित पूर्वी तट पर केंद्र बिंदु के पास तैनात सभी सेंसरों ने मिसाइल प्रक्षेपवक्र को परखा और सभी घटनाओं को कैप्चर किया।
प्रलय मिसाइल ठोस प्रॉपेलेंट रॉकेट मोटर और कई नई तकनीकों से संचालित होती है। इस मिसाइल की रेंज क्षमता 150-500 किलोमीटर है और इसे मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है। प्रलय मिसाइल गाइडेंस प्रणाली में अत्याधुनिक नेविगेशन और एकीकृत एवियोनिक्स प्रणाली शामिल हैं।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस मिसाइल के पहले सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ एवं संबंधित टीमों को बधाई दी है। उन्होंने तेजी से विकास और सतह से सतह पर मार करने वाली आधुनिक मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ की सराहना की।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने टीम की सराहना की और कहा कि यह आधुनिक तकनीकों से लैस सतह से सतह पर मार करने वाली नई पीढ़ी की मिसाइल है। उन्होंने कहा कि इस हथियार को सैन्य प्रणाली में शामिल करने से सशस्त्र बलों को आवश्यक प्रोत्साहन मिलेगा।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
महानदी पर राज्य के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन किया
20 दिसंबर, 2021 को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) ने महानदी नदी पर टी-सेतु का उद्घाटन किया।
टी-सेतु (T-Setu)
- टी-सेतु ओडिशा का सबसे लंबा पुल है, जो कटक जिले में महानदी नदी पर बनाया गया है।
- यह 4 किमी लंबा और 7.5 मीटर चौड़ा पुल है।
- यह पुल बडम्बा में गोपीनाथपुर, बांकी में बैदेश्वर को सिंघानाथ पीठ से जोड़ता है।
- इस पुल को अंग्रेजी अक्षर ‘T’ के आकार में बनाया गया है।
- इस पुल की कुल लागत 111 करोड़ रुपये है।
- टी-सेतु पुल में दोनों तरफ फुटपाथ है। इसकी चौड़ाई 5 मीटर है।
कम दूरी
- बडम्बा और बैदेश्वर के बीच की दूरी को 45 किमी कम करके टी-सेतु कटक और खुर्दा के लोगों को लाभान्वित करेगा।
- यह पुल आस-पास के इलाकों के करीब पांच लाख लोगों के लिए संचार की सुविधा प्रदान करेगा।
- यह क्षेत्र में कृषि, व्यापार और पर्यटन गतिविधियों में भी सुधार करेगा।
- बडम्बा प्रखंड में बाबा सिंघानाथ की बाली मकर जात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को इसका लाभ मिलेगा।
पुल का महत्व
टी-सेतु का निर्माण महत्वपूर्ण है क्योंकि, राज्य सरकार भक्तों के लिए संचार की सुविधा के लिए 14- 15 लाख रुपये की लागत से महानदी नदी पर हर साल 3 किमी लंबी मेला-मौसम सड़क (पैदल यात्री ट्रैक) बनाती है। बरसात के मौसम में यह सड़क बह जाती है। नतीजतन, इस पुल का निर्माण स्थानीय लोगों की लंबे समय से मांग थी।
पृष्ठभूमि
मुख्यमंत्री ने 28 फरवरी 2014 को टी-सेतु की आधारशिला रखी थी। लेकिन, कुछ तकनीकी मुद्दों के कारण, निर्माण कार्य में देरी हुई और 2018 में शुरू हुआ।
महानदी नदी
महानदी पूर्व मध्य भारत की एक प्रमुख नदी है, जो छत्तीसगढ़ और ओडिशा से होकर बहती है। इसकी कुल लंबाई 900 किलोमीटर है और इसका क्षेत्रफल लगभग 1,32,100 वर्ग किलोमीटर है। यह नदी हीराकुंड बांध के लिए भी प्रसिद्ध है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1 PRE
राष्ट्रीय गणित दिवस
भारत में प्रतिवर्ष 22 दिसम्बर को राष्ट्रीय गणित दिवस (National Mathematics Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस की घोषणा 26 फरवरी, 2012 को डॉ. मनमोहन सिंह ने की थी। इस दिवस को महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की समृति में मनाया जाता है। इस अवसर पर स्कूलों तथा महाविद्यालयों में गणित से सम्बंधित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
श्रीनिवास रामानुजन
श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसम्बर, 1887 को मद्रास प्रेसीडेंसी के इरोड में हुआ था। उन्होंने गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज, पचैयाप्पा कॉलेज, ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज से पढाई की। उनका निधन 26 अप्रैल, 1920 को हुआ था। उन्हें निम्नलिखित गणितीय सिद्धांतों के लिए जाना जाता है :
- लैंडो-रामानुजन स्थिरांक
- रामानुजन-सोल्डनर स्थिरांकरामानुजन थीटा फलां
- रोजर्स-रामानुजन तत्समक
- रामानुजन अभाज्य
- रामानुजन योग
उन्होंने संख्या सिद्धांत, गणितीय विश्लेषण, अनंत श्रृंखला और निरंतर अंशों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके कार्यो को एक अंग्रेजी गणितज्ञ हार्डी द्वारा पहचाना गया। 1913 में हार्डी ने रामानुजन को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में आमंत्रित किया। हालांकि, 1919 में, हेपेटिक अमीबासिस ने रामानुजन को भारत लौटने के लिए मजबूर किया। बाद में, वे तपेदिक से पीड़ित हुए।
हार्डी-रामानुजन संख्या
1729 हार्डी रामानुजन नंबर है। जब हार्डी अस्पताल में रामानुजन से मिलने गए, तो रामानुजन ने हार्डी को बताया कि 1729 सबसे छोटी संख्या है जिसे दो अलग-अलग तरीकों से दो क्यूब्स के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
1729 = 13 + 123 = 93 + 103
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1PRE
ADB भारत में शहरी सेवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए 350 मिलियन डालर प्रदान करेगा
एशियाई विकास बैंक (ADB) पूरे भारत में शहरी सेवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए 350 मिलियन डालर का ऋण प्रदान करेगा।
मुख्य बिंदु
- निम्नलिखित माध्यम से शहरी सेवाओं तक पहुंच में सुधार किया जायेगा:
- सेवा वितरण में सुधारों
- शहरी स्थानीय निकायों (urban local bodies) को प्रदर्शन-आधारित केंद्रीय वित्तीय हस्तांतरण को बढ़ावा
- एडीबी कार्यक्रम कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन के लिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को ज्ञान और सलाहकार सहायता भी प्रदान करेगा।
- एडीबी शहरी स्थानीय निकायों (urban local bodies) को विशेष रूप से नीतिगत सुधारों को लागू करने, निवेश योजना तैयार करने के साथ-साथ लैंगिक समानता, जलवायु परिवर्तन, सामाजिक समावेश और पर्यावरण और सामाजिक सुरक्षा उपायों के आकलन जैसे मुद्दों पर सिफारिशें प्रदान करने के लिए कम आय वाले राज्यों में सहायता प्रदान करेगा।
सतत शहरी विकास और सेवा वितरण कार्यक्रम के तहत उप-कार्यक्रम
सतत शहरी विकास और सेवा वितरण कार्यक्रम के तहत वित्त मंत्रालय द्वारा 350 मिलियन डालर के पहले उप-कार्यक्रम के लिए ऋण समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए। यह उप-कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर शहरी सुधारों के लिए आवश्यक नीतियां और दिशानिर्देश स्थापित करने का प्रयास करता है। यह कार्यक्रम सरकार के राष्ट्रीय प्रमुख कार्यक्रमों के अनुरूप है, जो शहरों को आर्थिक विकास के इंजन के रूप में बढ़ावा देते हैं।
असम में कौशल विश्वविद्यालय के लिए एडीबी का ऋण
ADB असम में एक कौशल विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए 112 मिलियन डालर का ऋण भी प्रदान करने जा रहा है। इसके लिए, भारत सरकार और ADB ने 17 दिसंबर को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह विश्वविद्यालय असम में उद्योग-संरेखित और लचीली कौशल शिक्षा और प्रशिक्षण प्रणाली को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1PRE