Current Affairs – 22 October, 2021
स्वयंपूर्ण गोवा कार्यक्रम
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 अक्टूबर, 2021 को सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत स्वयंपूर्ण गोवा कार्यक्रम के लाभार्थियों एवं हितधारकों के साथ बातचीत करेंगे। बातचीत के बाद, प्रधानमंत्री इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करेंगे।
1 अक्टूबर 2020 को शुरू की गई स्वयंपूर्ण गोवा की पहल प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान से प्रेरित थी। इस कार्यक्रम के तहत, राज्य सरकार के एक अधिकारी को ‘स्वयंपूर्ण मित्र’ के रूप में नियुक्त किया जाता है। यह मित्र एक नामित पंचायत या नगरपालिका का दौरा करता है, लोगों के साथ संवाद करता है, विभिन्न सरकारी विभागों के साथ समन्वय करता है और यह सुनिश्चित करता है कि विभिन्न सरकारी योजनाएं एवं लाभ पात्र लाभार्थियों के लिए उपलब्ध हों।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1 PRE
भारतीय तार मार्ग के अधिकार (संशोधन) नियम, 2021
भारतीय तार मार्ग के अधिकार नियम, 2016 में ओवरग्राउंड टेलीग्राफ लाइन की स्थापना हेतु नाममात्र एकमुश्त मुआवजे और एक-समान प्रक्रिया से सम्बंधित प्रावधानों को शामिल करने के लिए केंद्र सरकार ने 21 अक्टूबर 2021 को भारतीय तार मार्ग के अधिकार (संशोधन) नियम, 2021 को अधिसूचित किया है। ओवरग्राउंड टेलीग्राफ लाइन की स्थापना के लिए एकमुश्त मुआवजे की राशि अधिकतम एक हजार रुपये प्रति किलोमीटर होगी। ओवरग्राउंड टेलीग्राफ लाइन की स्थापना हेतु राइट ऑफ वे आवेदन के दस्तावेजीकरण को सरल बनाया गया है। साथ ही, अंडरग्राउंड और ओवरग्राउंड टेलीग्राफ इंफ्रास्ट्रक्चर के स्थापन, अनुरक्षण, चालन, मरम्मत, अंतरण अथवा स्थानांतरण के लिए प्रशासनिक शुल्क और बहाली शुल्क के अलावा कोई अन्य शुल्क नहीं होगा।
इन संशोधनों से देश भर में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना और संवर्द्धन के लिए राइट ऑफ वे से संबंधित अनुमति प्रक्रियाएँ आसान हो जाएँगी। एक मजबूत अखिल भारतीय डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ, ग्रामीण-शहरी और अमीर-गरीब के बीच की डिजिटल खाई पटेगी; ई-गवर्नेंस और वित्तीय समावेशन को बल मिलेगा, व्यवसाय में आसानी होगी; नागरिकों और उद्यमों की सूचना और संचार आवश्यकताएँ पूरी होंगी; और अंतत: भारत के डिजिटल रूप से सशक्त अर्थव्यवस्था और समाज में परिवर्तन का स्वप्न हकीकत में परिणत होगा।
भारतीय तार मार्ग के अधिकार नियम (Indian Telegraph Right of Way Rules, 2016) :
- भारत सरकार द्वारा ये नियम ‘भारतीय तार अधिनियम (Indian Telegraph Act), 1885’ के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए मोबाइल टावर और भूमिगत अवसंरचना (ऑप्टिकल फाइबर) को विनियमित करने के लिये बनाए गए थे।
- इन नियमों के तहत मोबाइल टावर लगाने, ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने का लाइसेंस और अनुमति देने तथा समयबद्ध तरीके से विवादों को निपटाने की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।
- भारतीय तार मार्ग के अधिकार नियम को नवंबर 2016 में लागू किया गया था।
टावर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (Tower and Infrastructure Providers Association – TAIPA) :
- TAIPA ‘भारतीय संस्था पंजीकरण अधिनियम’ (Indian Society registration act), 1860 के तहत पंजीकृत एक उद्योग प्रतिनिधि निकाय है।
- इसकी स्थापना वर्ष 2011 में की गई थी।
- यह संस्था टेलीकॉम क्षेत्र के विकास के लिये नीति निर्माताओं, नियामकों, वित्तीय संस्थानों और अन्य हितधारकों के बीच समन्वय तथा विचार-विमर्श को बढ़ावा देने का कार्य करती है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट अभ्यास
अभ्यास को डीआरडीओ के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीई), बेंगलुरु द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। वर्तमान उड़ान परीक्षण विकासात्मक उड़ान परीक्षणों के अंतर्गत किया गया है।
अभ्यास – हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (एचइएटी) का आज ओडिशा में बंगाल की खाड़ी के तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर), चांदीपुर से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया। इस वाहन का उपयोग विभिन्न मिसाइल प्रणालियों के मूल्यांकन हेतु हवाई लक्ष्य के रूप में किया जा सकता है। लक्षित विमान के प्रदर्शन की निगरानी टेलीमेट्री और रडार एवं इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम (ईओटीएस) सहित विभिन्न ट्रैकिंग सेंसर के माध्यम से की गई।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने अभ्यास के सफल उड़ान परीक्षण के लिए डीआरडीओ को बधाई दी। वर्तमान उड़ान परीक्षण विकासात्मक उड़ान परीक्षणों के अंतर्गत किया गया है। भारतीय उद्योगों के लिए वाहन के उत्पादन के लिए रुचि की अभिव्यक्ति पहले ही जारी की जा चुकी है। यह स्वदेशी लक्ष्य विमान एक बार विकसित होने के बाद भारतीय सशस्त्र बलों के लिए हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (एचइएटी) की आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
अभ्यास को डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई) बेंगलुरु द्वारा डिजाइन तथा विकसित किया गया है। एयर व्हीकल को ट्विन अंडर-स्लंग बूस्टर का उपयोग करके लॉन्च किया जाता है जो वाहन को प्रारंभिक त्वरण प्रदान करते हैं। यह गैस टर्बाइन इंजन द्वारा संचालित है जो सबसोनिक गति से लंबी एन्ड्योरेंस उड़ान को बनाए रखता है। टारगेट एयरक्राफ्ट मार्गदर्शन और नियंत्रण के लिए उड़ान नियंत्रण कंप्यूटर (एफसीसी) के साथ नेविगेशन के लिए एमईएमएस आधारित जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली (आईएनएस) से लैस है। वाहन को पूरी तरह से स्वायत्त उड़ान के लिए प्रोग्राम किया गया है। लैपटॉप आधारित ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन (जीसीएस) का उपयोग करके हवाई वाहन का चेक-आउट किया जाता है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1 PRE
कोंकण शक्ति अभ्यास
यूनाइटेड किंगडम (यूके) और भारत “कोंकण शक्ति” नामक सबसे बड़ा संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू करने जा रहे हैं।
मुख्य बिंदु
- इस अभ्यास में, ब्रिटेन के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का पश्चिमी हिंद महासागर में फिर से प्रवेश होगा।
- कैरियर स्ट्राइक ग्रुप की तैनाती यूके के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शीत युद्ध की समाप्ति के बाद यह सबसे बड़ी तैनाती है।
भारतीय जवीय क्षेत्र में कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का प्रवेश
कैरियर स्ट्राइक ग्रुप 21 अक्टूबर को भारतीय जलक्षेत्र में प्रवेश करेगा, जबकि एक जहाज मुंबई बंदरगाह में प्रवेश करेगा। यह लंगरगाह में रहेगा और कुछ आमंत्रित अतिथियों को बोर्ड पर ले जाया जाएगा। ब्रिटेन की विदेश सचिव एलिजाबेथ ट्रस (Elizabeth Truss) समुद्री प्रणोदन प्रौद्योगिकी सहित कई विषयों पर वरिष्ठ स्तर की चर्चा के लिए मुंबई में होंगी, जिसे यूके भारतीय नौसेना को बेचने का इच्छुक है।
कोंकण शक्ति
कोंकण शक्ति भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच पहला त्रि-सेवा अभ्यास है।
अजय वारियर
अजय वारियर दोनों देशों के बीच सेना का अभ्यास है। यह उत्तराखंड में चल रहा है जिसमें लगभग 120 ब्रिटिश सैनिक भाग ले रहे हैं।
SOURCE-THE HINDU
PAPER-G.S.1 PRE
अर्थ गार्जियन अवार्ड
परम्बिकुलम टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन (PaTCoF) ने “अर्थ गार्जियन अवार्ड” जीता है, जिसे नेटवेस्ट ग्रुप द्वारा स्थापित किया गया था।
मुख्य बिंदु
- PaTCoF वन विभाग के तहत एक गैर-लाभकारी संगठन है जो परम्बिकुलम टाइगर रिजर्व (Parambikulam tiger reserve) में बाघ और जैव विविधता के संरक्षण की सुविधा प्रदान करता है।
अर्थ गार्जियन अवार्ड (Earth Guardian Award)
ये पुरस्कार नेटवेस्ट ग्रुप इंडिया द्वारा स्थापित किए गए थे। वे एक पहल का हिस्सा हैं जो भारत में जैव विविधता के संरक्षण के द्वारा जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए काम कर रहे व्यक्तियों और संस्थानों के प्रयासों को सम्मानित करते है।
परम्बिकुलम टाइगर रिजर्व (Parambikulam Tiger Reserve)
परम्बिकुलम टाइगर रिजर्व में पूर्ववर्ती परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य भी शामिल है, जो 391 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह केरल के पलक्कड़ जिले में एक संरक्षित क्षेत्र है। यह 1973 में स्थापित किया गया था। यह अभयारण्य अन्नामलाई पहाड़ियों और नेल्लियमपथी पहाड़ियों के बीच पहाड़ियों की संगम श्रेणी में स्थित है। परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य को 2010 में परम्बिकुलम टाइगर रिजर्व का एक हिस्सा घोषित किया गया था।
परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य वर्तमान में यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में चयन के लिए विचाराधीन है।
यह अभयारण्य स्वदेशी लोगों की चार अलग-अलग जनजातियों का घर है, अर्थात् मालासर, कादर, माला मलारसर और मुदुवर। ये लोग 6 कॉलोनियों में बसे हुए हैं। इन आदिवासी कॉलोनियों के लोग ट्रेक और सफारी के लिए गाइड का काम कर रहे हैं। उन्हें कई इको-पर्यटन पहलों के माध्यम से रोजगार प्रदान किया जाता है
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1PRE
क्यूशू द्वीप पर माउंट एसो ज्वालामुखी में विस्फोट
जापान में माउंट एसो ज्वालामुखी में 20 अक्टूबर, 2021 को विस्फोट हुआ।
मुख्य बिंदु
- इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है और लोगों को ज्वालामुखी की ओर न जाने की चेतावनी दी गई थी क्योंकि इससे गर्म गैस और राख निकल रही थी।
- यह ज्वालामुखी से 3,500 मीटर की ऊंचाई तक गैस और राख निकली।
पृष्ठभूमि
माउंट एसो आखिरी बार वर्ष 2016 में फटा था।
माउंट एसो (Mount Aso)
माउंट एसो जापान का सबसे बड़ा सक्रिय ज्वालामुखी है और दुनिया भर में सबसे बड़ा ज्वालामुखी है। यह ज्वालामुखी कुमामोटो प्रान्त में एसो कुजू राष्ट्रीय उद्यान में क्यूशू द्वीप पर स्थित है। इसकी चोटी समुद्र तल से 1,592 मीटर है। इसमें काफी बड़ा काल्डेरा है, जिसकी परिधि लगभग 120 किमी है।
जापान में ज्वालामुखी
जापान दुनिया के सबसे अधिक ज्वालामुखी सक्रिय देशों में से एक है। यह प्रशांत “रिंग ऑफ फायर” पर स्थित है जहां बड़े पैमाने पर भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट दर्ज किए जाते हैं।
क्यूशू द्वीप
यह पांच मुख्य द्वीपों में से तीसरा सबसे बड़ा द्वीप है। यह पहाड़ी है और यहाँ पर माउंट एसो नामक सक्रिय ज्वालामुखी का है।
जापान, एशिया महाद्वीप के पूर्व में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्र तट, यानि उत्तर पश्चिम प्रशांत महासागर में स्थित हैं। यह पश्चिम में जापान सागर (Sea of Japan) से घिरा है, और उत्तर में ओखोटस्क सागर (Sea of Okhotsk) से लेकर पूर्वी चीन सागर (East China Sea) तक और दक्षिण में ताइवान तक फैला हुआ है। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। रिंग ऑफ फायर का हिस्सा, जापान ६८५२ द्वीपों के एक द्वीपसमूह में फैला है, जो ३७७,९७५ वर्ग किलोमीटर (१४५,९३७ वर्ग मील) को कवर करता है; पांच मुख्य द्वीप होक्काइडो, होंशू, शिकोकू, क्यूशू और ओकिनावा हैं। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका, नागोया, साप्पोरो, फुकुओका, कोबे और क्योटो (जापान की पूर्ववर्ती राजधानी) हैं।
SOURCE-INDIAN EXPRESS
PAPER-G.S.1
राजभाषा सम्मेलन
राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा रवींद्र भवन, मडगांव में पश्चिम एवं मध्य क्षेत्र में स्थित केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों इत्यादि के लिए संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया जा रहा है।
विदित हो कि राजभाषा विभाग द्वारा राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु प्रत्येक वित्तीय वर्ष में चार क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किए जाते है। कोरोना की विषम परिस्थितियों के कारण विगत दो वर्षां से ये आयोजन नहीं हो सके थे तथा वर्ष 2021-22 में पहला आयोजन गोवा में किया जा रहा है।
राजभाषा विभाग द्वारा सूचना प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से सभी नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों की रिपोर्टें विभाग को ऑनलाइन प्रेषित करने की सुविधा प्रारम्भ की गई, जिसके अंतर्गत सभी नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों को यूजर आईडी और पासवर्ड उपलब्ध कराए गए हैं। इसके द्वारा नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियां वेबसाइट पर लॉग-इन कर कार्यसूची, कार्यवृत्त आदि सभी संगत सूचनाएं राजभाषा विभाग को ऑनलाइन भेजती हैं और इन्हीं सूचनाओं के आधार पर पुरस्कारों का मूल्यांकन किया जाता है। राजभाषा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के निष्पादन हेतु पुरस्कार विजेताओं को प्रमाणपत्र तथा शील्ड देकर सम्मानित किया जाएगा।
संविधान सभा ने लम्बी चर्चा के बाद 14 सितम्बर सन् 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा स्वीकारा गया। इसके बाद संविधान में अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा के सम्बन्ध में व्यवस्था की गयी। इसकी स्मृति को ताजा रखने के लिये 14 सितम्बर का दिन प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यातव्य है कि भारतीय संविधान में राष्ट्रभाषा का उल्लेख नहीं है।[1]
संविधान की धारा 343(1) के अनुसार भारतीय संघ की राजभाषा हिन्दी एवं लिपि देवनागरी है। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिये प्रयुक्त अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय स्वरूप (अर्थात 1, 2, 3 आदि) है। किन्तु इसके साथ संविधान में यह भी व्यवस्था की गई कि संघ के कार्यकारी, न्यायिक और वैधानिक प्रयोजनों के लिए 1965 तक अंग्रेजी का प्रयोग जारी रहे। तथापि यह प्रावधान किया गया था कि उक्त अवधि के दौरान भी राष्ट्रपति कतिपय विशिष्ट प्रयोजनों के लिए हिन्दी के प्रयोग का प्राधिकार दे सकते हैं।
संसद का कार्य हिन्दी में या अंग्रेजी में किया जा सकता है। परन्तु राज्यसभा के सभापति या लोकसभा के अध्यक्ष विशेष परिस्थिति में सदन के किसी सदस्य को अपनी मातृभाषा में सदन को सम्बोधित करने की अनुमति दे सकते हैं (संविधान का अनुच्छेद 120)। किन प्रयोजनों के लिए केवल हिन्दी का प्रयोग किया जाना है, किन के लिए हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का प्रयोग आवश्यक है, और किन कार्यों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाना है, यह राजभाषा अधिनियम 1963, राजभाषा नियम 1976 और उनके अन्तर्गत समय समय पर राजभाषा विभाग, गृह मन्त्रालय की ओर से जारी किए गए निर्देशों द्वारा निर्धारित किया गया है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2