Current Affairs – 28 December, 2021
ब्लॉकचेन-आधारित डिजिटल डिग्री
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज आईआईटी कानपुर के 54वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया और संस्थान में विकसित ब्लॉकचेन-आधारित प्रौद्योगिकी के माध्यम से डिजिटल डिग्री जारी की।
संस्थान के छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कानपुर के लिए एक महान दिवस है, क्योंकि शहर को मेट्रो की सुविधा मिल रही है और साथ ही उत्तीर्ण छात्रों के रूप में कानपुर, दुनिया को बहुमूल्य तोहफा दे रहा है। प्रतिष्ठित संस्थान में छात्रों की यात्रा के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, आईआईटी कानपुर में प्रवेश लेने और उत्तीर्ण होने के बीच “आप अपने आप में एक बड़ा बदलाव महसूस कर रहे होंगे। यहां आने से पहले अज्ञात भय या अनजान सवाल रहे होंगे। अब अज्ञात का भय नहीं है, अब पूरी दुनिया को जानने-समझने का हौसला है। अब अनजान सवाल नहीं रह गए हैं, अब सर्वश्रेष्ठ की तलाश है और पूरी दुनिया पर छा जाने का सपना है।”
क्या है ब्लॉकचेन?
- जिस प्रकार हज़ारों-लाखों कंप्यूटरों को आपस में जोड़कर इंटरनेट का अविष्कार हुआ, ठीक उसी प्रकार डाटा ब्लॉकों (आँकड़ों) की लंबी श्रृंखला को जोड़कर उसे ब्लॉकचेन का नाम दिया गया है।
- ब्लॉकचेन तकनीक तीन अलग-अलग तकनीकों का समायोजन है, जिसमें इंटरनेट, पर्सनल ‘की’ (निजी कुंजी) की क्रिप्टोग्राफी अर्थात् जानकारी को गुप्त रखना और प्रोटोकॉल पर नियंत्रण रखना शामिल है।
- क्रिप्टोग्राफी की सुरक्षित श्रृंखला पर सर्वप्रथम 1991 में स्टुअर्ट हैबर और डब्ल्यू. स्कॉट स्टोर्नेटा ने काम किया। इसके अगले वर्ष यानी 1992 में इन दोनों के साथ बायर भी आ मिले और इसके डिज़ाइन में सुधार किया, जिसकी वज़ह से ब्लॉक्स को एकत्रित करने का काम आसान हो गया।
- ब्लॉकचेन एक ऐसी तकनीक है जिससे बिटकॉइन तथा अन्य क्रिप्टो-करेंसियों का संचालन होता है। यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो यह एक डिजिटल ‘सार्वजनिक बही-खाता’ (Public Ledger) है, जिसमें प्रत्येक लेन-देन का रिकॉर्ड दर्ज़ किया जाता है।
- ब्लॉकचेन में एक बार किसी भी लेन-देन को दर्ज करने पर इसे न तो वहाँ से हटाया जा सकता है और न ही इसमें संशोधन किया जा सकता है।
- ब्लॉकचेन के कारण लेन-देन के लिये एक विश्वसनीय तीसरी पार्टी जैसे-बैंक की आवश्यकता नहीं पड़ती।
- इसके अंतर्गत नेटवर्क से जुड़े उपकरणों (मुख्यतः कंप्यूटर की श्रृंखलाओं, जिन्हें नोड्स कहा जाता है) के द्वारा सत्यापित होने के बाद प्रत्येक लेन-देन के विवरण को बही-खाते में रिकॉर्ड किया जाता है।
भारत में ब्लॉकचेन
बेशक बिटकॉइन इस तकनीक का मात्र एक अनुप्रयोग है, जिसके उपयोग की जाँच अनेक उद्योगों में की जा रही है। भारत के बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में इसके प्रति बहुत आकर्षण देखने को मिल रहा है। वस्तुतः इन क्षेत्रों में कई लोग संघ का निर्माण कर रहे हैं, ताकि वे उद्योगों के स्तर पर ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लाभों से विश्व को अवगत करा सकें।
- वैश्विक जगत से कदमताल मिलाते हुए कुछ भारतीय कंपनियों ने ब्लॉकचेन तकनीक के ज़रिये वित्तीय सेवाएँ देना शुरू कर दिया है।
- बजाज समूह की एनबीएफसी व बीमा कंपनी बजाज फिनसर्व इस तकनीक की मदद से ट्रैवल इंश्योरेंस में संबंधित ग्राहकों द्वारा सूचना दर्ज कराने से पहले ही क्लेम का निपटान कर रही है।
- कंपनी ग्राहक सेवा में सुधार के उद्देश्य से ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। इस तकनीक पर पूरी निगरानी रखी जाती है।
- बजाज इलेक्ट्रिकल लिमिटेड भी बिल डिस्काउंटिंग प्रोसेस में मानवीय हस्तक्षेप को खत्म करने के लिये ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर रही है।
- भारत में ‘बैंकचैन’ नामक एक संघ है जिसमें भारत के लगभग 27 बैंक (जिनमें भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई भी शामिल हैं) शामिल हैं और मध्य-पूर्व के राष्ट्र इसके सदस्य हैं। यह संघ व्यवसायों को सुरक्षित बनाने और इनमें तेज़ी लाने के लिये ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लाभों का व्यापक प्रसार कर रहा है।
- इसके अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक की एक शाखा ‘इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी’ ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लिये एक आधुनिक प्लेटफॉर्म का विकास कर रही है।
- भारत में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पायलट परियोजना के तौर पर इसकी शुरुआत की गई है, जहाँ इसका इस्तेमाल आँकड़ों के सुरक्षित भंडार के रूप में किया जा सकता है।
कैसे काम करती है ब्लॉकचेन तकनीक?
- माना जाता है कि ब्लॉकचेन में तमाम उद्योगों की कार्यप्रणाली में भारी बदलाव लाने की क्षमता है। इससे प्रक्रिया को ज़्यादा लोकतांत्रिक, सुरक्षित, पारदर्शी और सक्षम बनाया जा सकता है।
- ब्लॉकचेन एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जो सुरक्षित एवं आसानी से सुलभ नेटवर्क पर लेन-देनों का एक विकेंद्रीकृत डाटाबेस तैयार करती है।
- इस वर्चुअल बही-खाते में लेन-देन के इस साझा रिकॉर्ड को नेटवर्क पर स्थित ब्लॉकचेन को इस्तेमाल करने वाला कोई भी व्यक्ति देख सकता है।
- ब्लॉकचेन डाटा ब्लॉकों (आँकड़ों) की एक ऐसी श्रृंखला है जिसके प्रत्येक ब्लॉक में लेन-देन का एक समूह समाविष्ट होता है।
- ये ब्लॉक एक-दूसरे से इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़े होते हैं तथा इन्हें कूट-लेखन (Encryption) के माध्यम से सुरक्षित रखा जाता है।
- यह तकनीक सुरक्षित है तथा इसे हैक करना मुश्किल है। इसीलिये साइबर अपराध और हैकिंग को रोकने के लिये यह तकनीक सुरक्षित मानी जा रही है।
- इसके अंतर्गत नेटवर्क से जुड़ी कंप्यूटर की श्रृंखलाओं, जिन्हें नोड्स कहा जाता है) के द्वारा सत्यापित होने के बाद प्रत्येक लेन-देन के विवरण को बही-खाते में रिकॉर्ड किया जाता है।
ब्लॉकचेन की प्रमुख विशेषताएँ
- विकेंद्रीकरण और पारदर्शिता ब्लॉकचेन तकनीक की सबसे महत्त्वपूर्ण व्यवस्था है, जिसकी वज़ह से यह तेज़ी से लोकप्रिय और कारगर साबित हो रही है।
- ब्लॉकचेन एक ऐसी तकनीक है जिसे वित्तीय लेन-देन (Financial Transactions) रिकॉर्ड करने के लिये एक प्रोग्राम के रूप में तैयार किया गया है।
- यह एक डिजिटल सिस्टम है, जिसमें इंटरनेट तकनीक बेहद मज़बूती के साथ अंतर्निहित है।
- यह अपने नेटवर्क पर समान जानकारी के ब्लॉक को संग्रहीत कर सकता है।
- ब्लॉकचेन डेटाबेस को वितरित करने की क्षमता रखता है अर्थात् यह एक डिस्ट्रिब्यूटेड नेटवर्क की तरह कार्य करता है।
- डेटाबेस के सभी रिकॉर्ड किसी एक कंप्यूटर में स्टोर नहीं होते, बल्कि हज़ारों-लाखों कंप्यूटरों में इसे वितरित किया जाता है।
- ब्लॉकचेन का हर एक कंप्यूटर हर एक रिकॉर्ड के पूरे इतिहास का वर्णन कर सकता है। यह डेटाबेस एन्क्रिप्टेड होता है।
- ब्लॉकचेन सिस्टम में यदि कोई कंप्यूटर खराब भी हो जाता है तो भी यह सिस्टम काम करता रहता है।
- जब भी इसमें नए रिकार्ड्स को दर्ज करना होता है तो इसके लिये कई कंप्यूटरों की स्वीकृति की ज़रूरत पड़ती है।
- ब्लॉकचेन को यूज़र्स का ऐसा ग्रुप आसानी से नियंत्रित कर सकता है, जिसके पास सूचनाओं को जोड़ने की अनुमति है और वही सूचनाओं के रिकॉर्ड को संशोधित भी कर सकता है।
- इस तकनीक में बैंक आदि जैसे मध्यस्थों की भूमिका समाप्त हो जाती है और व्यक्ति-से-व्यक्ति (P-to-P) सीधा संपर्क कायम हो जाता है।
- इससे ट्रांजेक्शंस में लगने वाला समय तो कम होता ही है, साथ ही गलती होने की संभावना भी बेहद कम रहती है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
राष्ट्रीय खाद्य तेल-ऑयल पाम मिशन व्यापार शिखर सम्मेलन
आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन को ध्यान में रखते हुए, पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा अन्य राज्यों के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल-ऑयल पाम मिशन व्यापार शिखर सम्मेलन आज हैदराबाद में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। यह मिशन का ऐसा दूसरा शिखर सम्मेलन है; पहला गत 5 अक्टूबर 2021 को पूर्वोत्तर राज्यों के लिए गुवाहाटी में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में देश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार चौतरफा प्रयास कर रही है। कृषि क्षेत्र की मजबूती सरकार का प्रमुख ध्येय है, जिससे दुनिया में भारत की ताकत व मजबूती और बढ़ेगी। ऑयल पाम मिशन खाद्य तेलों की आयात निर्भरता कम करेगा व खाद्य तेलों में देश को आत्मनिर्भर बनाएगा,जिसके लिए केंद्र सरकार हर कदम पर राज्यों के साथ खड़ी है।
पाम ऑयल क्या है
पाम ऑयल वनस्पति तेल है। दुनिया में इसका व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल होता है। होटल, रेस्तरां में भी पाम तेल का इस्तेमाल खाद्य तेल की तरह होता है। इसके अलावा कई उद्योगों में इसका इस्तेमाल होता है। नहाने वाला साबुन बनाने में भी पाम तेल का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। पाम तेल ताड़ के पेड़ के बीजों से निकाला जाता है। इसमें कोई महक नहीं होती। जिसकी वजह से हर तरह का खाना बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह बहुत ऊंचे तापमान पर पिघलता है। इसमें सैचुरेटेड फैट बहुत अधिक होता है। यही वजह है कि इससे मुंह में पिघल जाने वाली क्रीम और टॉफी-चॉकलेट बनाये जाते हैं। फिलहाल दुनियाभर में 8 करोड़ टन के आसपास पाम ऑयल पैदा होता है।
पाम तेल उत्पादन में इंडोनीशिया दुनिया में नंबर एक पर है। दूसरे नंबर पर है मलेशिया है। कुछ अफ्रीकी देशों में भी इसका उत्पादन होता है। खाने वाले तेलों के मामले में भारत के आयात का दो तिहाई हिस्सा केवल पाम ऑयल का है। भारत सालाना करीब 90 लाख टन पाम ऑयल का आयात करता है। भारत में इंडोनीशिया और मलेशिया दोनों ही देशों से पाम ऑयल का आयात किया जाता है। भारत अपने कुल आयात का 70 फीसदी पाम ऑयल इंडोनीशिया से खरीदता है, वहीं 30 फीसदी मलेशिया से खरीदता है। कुछ महीनों पहले भारत ने राजनीतिक कारणों से मलेशिया से पाम तेल खरीदना बंद कर दिया था। लेकिन अब फिर से इसका आयात हो रहा है। हालांकि, भारतीय कारोबारियों ने मलेशिया से पाम ऑयल का आयात पहले के मुकाबले कम कर दिया है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
साइके मिशन
नासा का साइके मिशन (Psyche Mission) अगस्त 2022 में लॉन्च किया जायेगा। यह मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट (main asteroid belt) में साइके नामक एक विशाल धातु क्षुद्रग्रह की खोज-बीन करने वाला पहला लॉन्च होगा।
मुख्य बिंदु
- यह क्षुद्रग्रह ‘साइके’ मंगल और बृहस्पति के बीच में है और सूर्य की परिक्रमा कर रहा है।
- ‘साइके मिशन’ नासा के प्रारंभिक सौर मंडल का पता लगाने के दो मिशनों में से एक है। ‘लुसी मिशन’ प्रारंभिक सौर मंडल का अध्ययन करने के लिए बृहस्पति के ट्रोजन क्षुद्रग्रहों का पता लगाने के लिए एक और मिशन है।
नासा का साइके मिशन
नासा का ‘साइके मिशन’ ऐसा पहला मिशन है, जिसे साइके नामक एक अद्वितीय विशाल धातु क्षुद्रग्रह की खोज-बीन करने के लिए लॉन्च किया जाएगा। स मिशन का नेतृत्व एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा किया जा रहा है। मिशन प्रबंधन, नेविगेशन और इसके संचालन को नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी द्वारा किया जाएगा। इस मिशन को 2017 में प्रारंभिक सौर प्रणाली का पता लगाने के लिए दो मिशनों में से एक के रूप में चुना गया था। यह मिशन अगस्त 2022 में कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से लॉन्च किया जाएगा और 2026 में साइके क्षुद्रग्रह पर पहुंचेगा।
साइके क्षुद्रग्रह का अवलोकन काल
यह मिशन क्षुद्रग्रह साइके के अध्ययन और मानचित्रण के लिए 21 महीने का समय व्यतीत करेगा।
साइके मिशन पर उपकरण
साइके मिशन निम्नलिखित वैज्ञानिक उपकरणों को ले जा रहा है:
- एक्स-बैंड ग्रेविटी साइंस इन्वेस्टिगेशन
- गामा रे और न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर
- मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजर
- मैग्नेटोमीटर
मिशन के उद्देश्य
- यह समझने के लिए कि कैसे ग्रह और अन्य पिंड कोर, मेंटल और क्रस्ट जैसी परतों में अलग हो गए।
- धातु से बने एक क्षुद्रग्रह की खोज-बीन
- सौर मंडल के प्रारंभिक युगों का पता लगाना
साइके क्षुद्रग्रह (Asteroid Psyche)
इतालवी खगोलशास्त्री एनीबेल डी गैस्पारिस ने 1852 में साइके को 16वें क्षुद्रग्रह के रूप में खोजा था। उन्होंने प्राचीन ग्रीक पौराणिक कथाओं में आत्मा की देवी (Goddess of Soul) के नाम पर इस क्षुद्रग्रह का नाम रखा था। इसका व्यास 210 किलोमीटर है। यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी के कोर के समान ज्यादातर धातु के लोहे और निकल से बना है।
SOURCE-THE HINDU
PAPER-G.S.1PRE
दिल्ली सरकार का कलर-कोडेड एक्शन प्लान
जैसे-जैसे दिल्ली में कोविड -19 सकारात्मकता दर बढ़ रही है, इस बात की प्रबल संभावना है कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू हो जाएगा। 26 दिसंबर 2021 को पॉजिटिविटी रेट 0.55% था।
मुख्य बिंदु
कलर-कोडेड कार्य योजना के तहत बाजारों, कार्यालयों, उद्योगों, और सार्वजनिक परिवहन में प्रतिबंध के स्तर Covid-19 परीक्षण सकारात्मकता दर, नए सक्रिय मामलों के आधार पर निर्धारित किया जाएगा। कलर-कोडेड कार्य योजना को अगस्त 2021 में अधिसूचित किया गया था।
श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (Graded Response Action Plan)
- इस योजना में कहा गया है कि प्रतिबंध तीन मापदंडों पर आधारित होंगे-
- सकारात्मकता दर
- संचयी सक्रिय मामले
- अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड की व्यवस्था
- इस योजना के तहत प्रतिबंधों को चार अलर्ट, येलो, एम्बर, ऑरेंज और रेड अलर्ट के तहत वर्गीकृत किया गया है।
- पीला अलर्ट का सबसे निचला स्तर है जबकि लाल उच्चतम स्तर का है। रेड अलर्ट दिल्ली को पूर्ण लॉकडाउन के तहत लाएगा।
येलो अलर्ट
येलो अलर्ट जारी किया जायेगा जब सकारात्मकता दर लगातार दो दिनों तक 0.5 प्रतिशत से अधिक रहेगी या जब संचयी नए सकारात्मक मामले एक सप्ताह के लिए 1,500 मामलों को छू लेंगे, या जब अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड की औसत अधिभोग (occupancy) एक सप्ताह में 500 रह जाएगी। येलो अलर्ट के तहत सार्वजनिक पार्कों, उद्यानों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों और निर्माण गतिविधियों, नाई की दुकानों, सैलून, ई-कॉमर्स और ब्यूटी पार्लरों को पूरी तरह से अनुमति दी जाएगी, जबकि अन्य गतिविधियों पर कुछ प्रतिबंध होंगे।
ऑरेंज अलर्ट
ऑरेंज अलर्ट तब शुरू होगा जब लगातार दो दिनों तक सकारात्मकता दर 2 प्रतिशत से अधिक रहेगी। इस अलर्ट के साथ सख्त पाबंदियां लागू हो जाएंगी।
रेड एलर्ट
रेड अलर्ट तब शुरू होगा जब सकारात्मकता दर लगातार दो दिनों में 5 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी या जब एक सप्ताह में 16,000 नए मामले सामने आएंगे।
बाहरी लोगों के लिए प्रतिबंध
अन्य राज्यों से दिल्ली में प्रवेश करने वाले लोगों के लिए, पूर्ण टीकाकरण प्रमाण पत्र या एक नकारात्मक RT-PCR रिपोर्ट जो तीन दिनों से अधिक पुरानी नहीं है, शहर में रेड अलर्ट के तहत प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1PRE
कानपुर मेट्रो रेल परियोजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 दिसंबर, 2021 को कानपुर का दौरा करने और कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के पूर्ण खंड का उद्घाटन करने के लिए तैयार हैं।
मुख्य बिंदु
- प्रधानमंत्री मोदी ‘बीना-पनकी’ पाइपलाइन प्रोजेक्ट का उद्घाटन भी करेंगे।
- बाद में, वह IIT कानपुर के 54वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करेंगे।
कानपुर मेट्रो रेल परियोजना (Kanpur Metro Rail Project)
कानपुर मेट्रो रेल आधारित जन परिवहन प्रणाली है। यह कानपुर शहर के लिए निर्माणाधीन है। यह परियोजना कानपुर महानगरीय क्षेत्र में विस्तार योग्य है। इस परियोजना के लिए व्यवहार्यता अध्ययन (feasibility study) जून 2015 में RITES द्वारा किया गया था। इस प्रोजेक्ट के तहत मेट्रो 32 किलोमीटर की दूरी तक चलेगी। इसे 11000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है। 15 नवंबर, 2019 को IIT कानपुर से मोती झील तक 9 किमी की दूरी के साथ रेड लाइन का निर्माण शुरू हुआ। इसका टेंडर AFCONS इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को दिया गया है। इस परियोजना का पहला खंड जनवरी 2022 में खोला जाएगा।
पृष्ठभूमि
केंद्र सरकार ने 28 फरवरी, 2019 को 11,000 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत और पांच साल की समय सीमा के साथ कानपुर मेट्रो परियोजना को मंजूरी दी है। यूरोपीय निवेश बैंक (EIB) ने भी इस परियोजना के लिए €650 मिलियन का ऋण प्रदान करने का प्रस्ताव दिया है।
बीना-पनकी प्रोजेक्ट (Bina-Panki Project)
356 किलोमीटर लंबी बीना-पनकी परियोजना की क्षमता 3.45 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष है। यह परियोजना मध्य प्रदेश में बीना रिफाइनरी से लेकर कानपुर में पनकी तक फैली हुई है। इसे 1,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया गया है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1PRE