Current Affair 5 August 2021

Current Affairs – 5 August, 2021

रेंज टेक्नोलॉजी

  • डीआरडीओ ने वर्चुअल रूप से सम्मेलन आयोजित किया
  • वक्ता रक्षा प्रणालियों के परीक्षण और मूल्यांकन से संबंधित उपलब्धियों को प्रस्तुत करेंगे
  • डीआरडीओ के अध्यक्ष ने परीक्षण और मूल्यांकन में भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए रेंज टेक्नोलॉजी में हुए विकास को अपनाने का आह्वान किया

रेंज टेक्नोलॉजी पर दूसरा इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स (आईईईई) अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीओआरटी-2021) वर्चुअल रूप से 05 अगस्त, 2021 को आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन का आयोजन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के तहत चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज प्रयोगशाला द्वारा किया जा रहा है। इसका उद्घाटन रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने किया। यह आयोजन दुनिया भर के वक्ताओं की मेजबानी करेगा जो रक्षा प्रणालियों के परीक्षण और मूल्यांकन से संबंधित कई विषयों में अपनी तकनीकी उपलब्धियों को प्रस्तुत करेंगे।

अपने संबोधन में डॉ. जी सतीश रेड्डी ने परीक्षण और मूल्यांकन में भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए रेंज टेक्नोलॉजी में हाल के विकास को अपनाने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने रेंज टेक्नोलॉजी और रेंज इंस्ट्रुमेंटेशन, जो विश्व स्तरीय टेस्ट रेंज के आवश्यक तत्व हैं, में मौजूदा ट्रेंड्स की खोज करने में इस सम्मेलन के महत्व पर जोर दिया। डीआरडीओ के अध्यक्ष ने कोविड-19 महामारी के कारण प्रतिबंधों के बीच इस तरह के आयोजन के लिए आईटीआर के प्रयास की सराहना की।

सम्मेलन रेंज प्रौद्योगिकी में रुचि रखने वाले सभी लोगों के लिए विचारों का आदान-प्रदान करने और क्षेत्र में नवीनतम विकास पर जानकारी प्रसारित करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। विशेषज्ञों द्वारा प्रौद्योगिकी पर 250 से अधिक लेख प्रस्तुत किए गए हैं, जिनमें से 122 लेखों का चयन एक विशेष विशेषज्ञ समिति द्वारा किया गया है। तकनीकी प्रस्तुति 5 – 6 अगस्त, 2021 के दौरान चार समानांतर सत्रों में की जाएगी। इसके अलावा, एक वर्चुअल औद्योगिक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है जिसमें 25 से अधिक भारतीय के साथ-साथ विदेशी उद्योग और संगठन अपने उत्पादों और प्रौद्योगिकियों को प्रस्तुत कर रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीसी) एक वार्षिक अंतरराष्ट्रीय है शैक्षिक सम्मेलन द्वारा आयोजित बिजली के संस्थान और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स ‘संचार सोसायटी’ सम्मेलन वैश्विक संचार सम्मेलन (ग्लोबकॉम) से विकसित हुआ, जब १९६५ में, सातवें ग्लोबेकॉम को संचार सोसायटी के पूर्ववर्ती द्वारा “आईईईई संचार सम्मेलन” के रूप में प्रायोजित किया गया था। अगले वर्ष इसने अपना वर्तमान नाम अपनाया और GLOBECOM को भंग कर दिया गया (इसे तब से पुनर्जीवित किया गया है)। यह सम्मेलन संयुक्त राज्य अमेरिका में १९८४ तक आयोजित किया गया था जब यह एम्स्टर्डम में आयोजित किया गया था; यह तब से कई अन्य देशों में आयोजित किया गया है।

SOURCE-PIB

 

पानी माहअभियान

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख ने अपने यहां जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की गति बढ़ाने और स्वच्छ पानी के महत्व पर ग्रामीण समुदायों को सूचित करने और साथ जोड़ने के लिए एक महीने का अभियान- ‘पानी माह’ (जल माह) शुरू किया है। ‘पानी माह’ दो चरणों में ब्लॉक और पंचायत स्तर पर चलेगा। पहला चरण 1 से 14 अगस्त तक चलेगा और दूसरा चरण 16 से 30 अगस्त 2021 तक चलेगा। यह अभियान त्रि-आयामी दृष्टिकोण अपनाएगा- पानी की गुणवत्ता का परीक्षण, जल आपूर्ति की योजना और रणनीति तथा गांवों में पानी सभा का निर्बाध आयोजन।

25 जुलाई, 2021 को लद्दाख में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन पर चार दिवसीय कार्यशाला के दौरान अभियान का शुभारंभ करते हुए, उपराज्यपाल श्री आर के माथुर ने ‘पानी माह’ के उद्देश्य पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक कुशल सेवा वितरण पारदर्शिता लाता है और सुशासन सुनिश्चित करता है। महीने भर चलने वाले इस अभियान के माध्यम से ग्राम समुदायों को पानी के नमूनों की गुणवत्ता जांच और निगरानी के लिए सैंपल प्रयोगशालाओं में भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

पानी माह के पहले चरण में, ग्राम जल और स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी)/पानी समिति के सदस्यों द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण और स्वच्छता अभियान पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस चरण के दौरान परीक्षण के लिए सभी चिन्हित स्रोतों और सर्विस डिलिवरी पॉइंट्स से पानी के नमूने एकत्र किए जाएंगे। पहले चरण में जागरूकता पर ज्यादा जोर दिया जाएगा।

पानी माह के दूसरे चरण में जल जीवन मिशन के तहत पानी की गुणवत्ता और सेवा वितरण पर प्रभावी संचार के लिए पानी सभा/ग्राम सभा/ब्लॉक स्तर की बैठकें आयोजित करने और घर-घर जाकर दौरा करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस चरण के दौरान जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन, जल गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्ट और विश्लेषण पर ग्रामीणों के साथ खुले मंच पर चर्चा की जाएगी। अभियान में ग्रामीणों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जल नमूना संग्रह और ग्राम सभाओं के लिए एक गांव/ब्लॉक-वार कार्यक्रम भी तैयार किया गया है।

केंद्र शासित प्रदेशलद्दाख ने भी प्रत्येक जिले के पहले 5 ‘हर घर जल’ गांवों के लिए प्रति गांव 5 लाख रुपए और प्रत्येक जिले में पहले ‘हर घर जल’ ब्लॉक को 25 लाख रुपए के पुरस्कार की घोषणा की है। गणतंत्र दिवस 2022 पर उत्कृष्ट पंचायती राज संस्था (पीआरआई) सदस्यों, प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) सहायक कार्यकारी अभियंता (एईई) और अन्य संबंधित हितधारकों को गांवों, ब्लॉकों और जिलों को ‘हर घर जल’ बनाने में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा।

SOURCE-PIB

 

वीओसी पोर्ट, ई-कार शुरू करने
वाला पहला प्रमुख बंदरगाह

तीन इलेक्ट्रिक-कारों के पहले समूह को कल शाम वीओ चिदम्बरनार पोर्ट ट्रस्ट में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इन टाटा एक्सप्रेस-टी इलेक्ट्रिक वाहनों की आपूर्ति पट्टे के आधार पर कुल 6 वर्ष की अवधि के लिए विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) के एक संयुक्त उद्यम मैसर्स एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) द्वारा की गई है। निकट भविष्य में ऐसी तीन और इलेक्ट्रिक-कारें पोर्ट पर उपलब्ध कराई जाएंगी।

वेट लीज समझौते के एक हिस्से के रूप में ईईएसएल बंदरगाह पर चार्जिंग पॉइंट, बीमा, पंजीकरण, ड्राइवरों की तैनाती और वाहनों के रखरखाव की सुविधा भी प्रदान करेगा। इस पर आने वाली लागत के लिए वीओ चिदम्बरनार बंदरगाह ईईएसएल को मासिक भुगतान करेगा।

उपलब्ध कराई जा रही इलेक्ट्रिक-कारों में 21.50 केडब्ल्यूएच लिथियम आयन बैटरी इस्तेमाल की गई है, जो एक बार चार्ज करने पर वाहन को 231 किलोमीटर तक चलाने में सक्षम है। इसका बैटरी पैक एक एसी चार्जर सेट-अप द्वारा संचालित होगा, जो प्रति कार 3.3 केडब्ल्यू की आउटपुट पावर रेटिंग के साथ एक साथ तीन कारों (3 आउटपुट) को एक बार में चार्ज कर सकता है। चार्जर सेट-अप 8 घंटे में ही बैटरी को 0 से 100% तक चार्ज कर सकता है। जीरो टेल-पाइप उत्सर्जन के साथ, प्रत्येक इलेक्ट्रिक वाहन हर वर्ष 1.5 टन से अधिक कार्बन डाईऑक्साइड को घटाते हुए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाएगा।

‘मेरीटाइम इंडिया विज़न-2030’ के एक भाग के रूप में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय सुरक्षित, सतत तथा हरित समुद्री क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करने व विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त पर्यावरणीय गुणवत्ता मानकों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है। वीओ चिदम्बरनार पोर्ट बंदरगाह पर उत्सर्जन में कमी लाने के उद्देश्य को पूरा करने में बहु-स्वच्छ ईंधन रणनीति को शामिल करने के लिए समान रूप से प्रेरित है।

वी. ओ. चिदंबरनार पोर्ट ट्रस्ट भारत के 13 प्रमुख बंदरगाहों में से एक है। इसे 11 जुलाई 1974 को एक प्रमुख बंदरगाह घोषित किया गया था। यह तमिलनाडु का दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह और भारत में तीसरा सबसे बड़ा कंटेनर टर्मिनल है। वी. ओ. चिदंबरनार पोर्ट ट्रस्ट एक कृत्रिम बंदरगाह है। यह तमिलनाडु में तीसरा अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह है और यह दूसरा ऑल वेदर पोर्ट है। 1 अप्रैल से 13 सितंबर 2008 तक सभी वी.ओ. चिदंबरनार पोर्ट ट्रस्ट का यातायात प्रबंधन 10 मिलियन टन को पार कर गया है, जिसमें 12.08 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गई है, जो पिछले वर्ष की इसी तरह की 8.96 मिलियन टन की हैंडलिंग को पार कर गया है। इसकी संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, यूरोप, श्रीलंका और भूमध्यसागरीय देशों में सेवाएं हैं। स्टेशन कमांडर, तटरक्षक स्टेशन थूथुकुडी, कमांडर, तटरक्षक क्षेत्र (पूर्व), चेन्नई के परिचालन और प्रशासनिक नियंत्रण के तहत वी.ओ. चिदंबरनार पोर्ट ट्रस्ट, तमिलनाडु में स्थित है। तटरक्षक स्टेशन वी.ओ. चिदंबरनार पोर्ट ट्रस्ट को 25 अप्रैल 1991 को वाइस एडमिरल एसडब्ल्यू लखर, एनएम, वीएसएम, तत्कालीन महानिदेशक तटरक्षक द्वारा कमीशन किया गया था। स्टेशन कमांडर मन्नार की खाड़ी में अधिकार क्षेत्र के इस क्षेत्र में तटरक्षक के संचालन के लिए जिम्मेदार है। वी.ओ. चिदंबरनार पोर्ट ट्रस्ट थूथुकुडी एक आईएसओ 9001:2008, आईएसओ 14001:2004 और आईएसपीएस अनुरूप पोर्ट है।

मेरीटाइम इंडिया विज़न-2030 के बारे में

  • यह भारत के समुद्री क्षेत्र हेतु अगले दशक का व्यापक दृष्टिकोण है जिसे भारत के प्रधानमंत्री द्वारा मैरीटाइम इंडिया शिखर सम्मेलन 2021 (Maritime India Summit 2021) में जारी किया गया।
  • यह सागरमाला पहल को आगे बढ़ाएगा और जलमार्ग को बढ़ावा देकर जहाज़ निर्माण उद्योग को गति प्रदान करेगा तथा भारत में क्रूज़ पर्यटन (Cruise Tourism) को प्रोत्साहित करेगा।

नीतिगत पहल और विकास परियोजनाएं:

  • समुद्री विकास निधि:
    • समुद्री क्षेत्र हेतु 25,000 करोड़ रुपए की निधि जिसमें केंद्र द्वारा 2,500 करोड़ रुपए की सहायता भी शामिल होगी, निम्न दर पर सात वर्ष के लिये उपलब्ध कराई जाएगी।
  • पोर्ट नियामक प्राधिकरण:
    • प्रमुख बड़े एवं छोटे बंदरगाहों की निगरानी हेतु नए भारतीय बंदरगाह अधिनियम के तहत (पुराने भारतीय बंदरगाह अधिनियम 1908 को बदलने के लिये) एक अखिल भारतीय बंदरगाह प्राधिकरण (Pan-India Port Authority) की स्थापना की जाएगी। इस प्राधिकरण द्वारा बंदरगाहों हेतु संस्थागत कवरेज में वृद्धि और निवेशकों का विश्वास बढ़ाने हेतु बंदरगाह क्षेत्र में संरचात्मक वृद्धि की जाएगी।
  • पूर्वी जलमार्ग संपर्क परिवहन ग्रिड परियोजना:
    • इस परियोजना का उद्देश्य बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्याँमार के साथ क्षेत्रीय संपर्क स्थापित करना है।
  • तटीय विकास कोष:
    • यह तटीय विकास निधि (RDF) के समर्थन से अंतर्देशीय जहाज़ों हेतु कम लागत वाले तथा दीर्घावधिक वित्तपोषण को बढ़ाने एवं टन भार टैक्स योजना (Tonnage Tax Scheme) जो कि महासागरों में उतरने वाले जहाज़ों और निकर्षण पोतों पर लागू है, को अंतर्देशीय जहाज़ों तक विस्तारित करने का आह्वान करती है ताकि ऐसे जहाज़ों की उपलब्धता में वृद्धि की जा सके।
  • बंदरगाह शुल्कों का युक्तिकरण:
    • शिप लाइनर (Ship Liners) द्वारा अधिरोपित सभी हिडन चार्जेज़ (Hidden Charges) को समाप्त करने में अधिक पारदर्शिता के साथ यह उन्हें अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाएगा।
  • जल परिवहन को बढ़ावा देना:
    • शहरी क्षेत्रों में विखंडन/विंसकुलन तथा शहरी परिवहन के वैकल्पिक साधन के रूप में जलमार्गों को विकसित करना।

SOURCE-PIB

 

प्लास्टिक-मिश्रित हस्तनिर्मित कागज को
अपशिष्ट प्लास्टिक के पुनर्चक्रण के
आविष्कार के लिए पेटेंट प्राप्त हुआ

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने प्रकृति से प्लास्टिक के खतरे को कम करने के लिए विकसित अपने अभिनव प्लास्टिक-मिश्रित हस्तनिर्मित कागज के लिए पेटेंट पंजीकरण प्राप्त कर लिया है। पेटेंट प्रमाणपत्र केवीआईसी के कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट (केएनएचपीआई) जयपुर को 2 अगस्त 2021 को भारत के पेटेंट महानियंत्रक बौद्धिक संपदा द्वारा जारी किया गया। प्लास्टिक-मिश्रित हस्तनिर्मित कागज विकसित करने का विचार सितंबर 2018 में कल्पित हुआ और मात्र दो महीनों में ही यानी कि, नवंबर 2018 में इस परियोजना को केएनएचपीआई में वैज्ञानिकों के एक दल द्वारा निष्पादित किया गया था।

प्लास्टिक-मिश्रित हस्तनिर्मित कागज को प्रोजेक्ट रिप्लान (प्रकृति से प्लास्टिक को कम करना) के तहत विकसित किया गया था। यह भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है, जहां प्लास्टिक कचरे को डि-स्ट्रक्चर्ड, डिग्रेडेड, डाइलूटड किया जाता है तथा इसे हस्तनिर्मित कागज बनाते समय पेपर पल्प के साथ इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार प्रकृति से प्लास्टिक कचरे को कम करने में सहायता मिलती है। यह उपलब्धि सिंगल यूज प्लास्टिक के खतरे से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान के अनुरूप है।

इस पेटेंट को प्राप्त करना वास्तव में केवीआईसी के अद्वितीय नवाचार को एक बड़ी मान्यता है, जो पूरी दुनिया में अभूतपूर्व है। अपशिष्ट-प्लास्टिक मिश्रित हस्तनिर्मित कागज के उत्पादन से स्थायी रोजगार के अवसरों के सृजन के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा के दोहरे उद्देश्यों की पूर्ति होने की संभावना है।

केवीआईसी और राज्य खादी बोर्डों के तहत देश में लगभग 2640 हस्तनिर्मित कागज बनाने वाली इकाइयों में हर वर्ष वातावरण से करीब 3000 मीट्रिक टन अपशिष्ट प्लास्टिक का शोधन करने की क्षमता है। साथ ही इसके माध्यम से अपशिष्ट प्लास्टिक के संग्रह, सफाई और प्रसंस्करण जैसे हजारों नए रोजगार भी पैदा किये जा सकते हैं। इसलिए, कहा जा सकता है कि, यह सतत विकास का एक उपयुक्त मॉडल है। केवीआईसी शीघ्र ही उद्यमियों को प्लास्टिक मिश्रित हस्तनिर्मित कागज बनाने के लिए प्रशिक्षण देना शुरू करेगा और घरेलू कागज उद्योग के साथ इस तकनीकी की जानकारी को साझा करेगा।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा विकसित तकनीक उच्च एवं निम्न घनत्व अपशिष्ट पॉलिथीन दोनों का उपयोग करती है, जो न केवल कागज को अतिरिक्त मज़बूती देती है बल्कि लागत को 34 प्रतिशत तक कम करती है। यह उत्पाद पुनः चक्रित करने योग्य और पर्यावरण के अनुकूल है। केवीआईसी ने प्लास्टिक मिश्रित हस्तनिर्मित कागज का उपयोग करके कैरी बैग, लिफाफे, फाइल / फोल्डर आदि जैसे कई उत्पाद विकसित किए हैं। केवीआईसी ने अब तक जयपुर शहर के लगभग 40 मीट्रिक टन अपशिष्ट प्लास्टिक का उपयोग करते हुए 13 लाख से अधिक प्लास्टिक मिश्रित हस्तनिर्मित पेपर कैरी बैग बेचे हैं, और इससे लगभग 1.30 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित हुआ है।

खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) (Khadi and Village Industries Commission), संसद के ‘खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम 1956’ के तहत भारत सरकार द्वारा निर्मित एक वैधानिक निकाय है। यह भारत में खादी और ग्रामोद्योग से संबंधित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार) के अन्दर आने वाली एक शीर्ष संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य है – “ग्रामीण इलाकों में खादी एवं ग्रामोद्योगों की स्थापना और विकास करने के लिए योजना बनाना, प्रचार करना, सुविधाएं और सहायता प्रदान करना है, जिसमें वह आवश्यकतानुसार ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्यरत अन्य एजेंसियों की सहायता भी ले सकती है।”

अप्रैल 1957 में, पूर्व के अखिल भारतीय खादी एवं ग्रामीण उद्योग बोर्ड का पूरा कार्यभार इसने संभाल लिया।इसका मुख्यालय मुंबई में है, जबकि अन्य संभागीय कार्यालय दिल्ली, भोपाल, बंगलोर, कोलकाता, मुंबई और गुवाहाटी में स्थित हैं। संभागीय कार्यालयों के अलावा, अपने विभिन्न कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करने के लिए 29 राज्यों में भी इसके कार्यालय हैं।

SOURCE-PIB

 

रवि दहिया

भारत के युवा पहलवान रवि कुमार दहिया ने ओलिंपिक में कुश्ती में 57 किलोग्राम भारवर्ग में रजत पदक जीत लिया है। वे फाइनल में रूसी पहलवान जौर उगेव से 7-4 से हारे।

मुख्य बिंदु

इससे पहले फाइनल में पहुँचने के लिए रवि दहिया ने कज़ाकिस्तान के नूरीस्लाम सनायेव को पराजित किया था।

रवि कुमार दहिया (Ravi Kumar Dahiya)

रवि कुमार दहिया (Ravi Kumar Dahiya) भारत के युवा पहलवान हैं। उनका जन्म 12 दिसम्बर, 1997 को हरियाणा के सोनीपत में हुआ था। रवि कुमार दहिया फ्रीस्टाइल पहलवान हैं।  उन्होंने 2020 टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक और 2019 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में 57 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता है। वे एशियाई चैंपियनशिप में 2 बार स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। इसके अलावा 2019 विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक जीता था।

SOURCE-DANIK JAGARAN

 

भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलिंपिक में
कांस्य पदक जीत कर रचा इतिहास

भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीत कर इतिहास रच दिया है। गौरतलब है कि भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 वर्ष बाद ओलिंपिक में कोई पदक जीता है। इससे पहले भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 1980 के ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीता था।

मुख्य बिंदु

कांस्य पदक के लिए मैच में भारत का मुकाबला जर्मनी से हुआ। इस मुकाबले में शुरुआत में भारत 1-3 से पिछड़ रहा था, बाद में भारत ने शानदार वापसी करते हुए यह मैच 5-4 से जीत लिया।

ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम

भारतीय हॉकी टीम ने ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन किया है। अब तक भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ओलिंपिक में 8 स्वर्ण पदक, 1 रजत पदक और 3 कांस्य पदक जीते हैं।

हॉकी इंडिया

हॉकी इंडिया भारत में पुरुष और महिला हॉकी दोनों के लिए सभी गतिविधियों का निर्देशन और संचालन करती है। इसे युवा मामले व खेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त है। यह भारत में हॉकी को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार एकमात्र निकाय है। 2008 में IOA द्वारा भारतीय हॉकी महासंघ को बर्खास्त करने के बाद इसका गठन किया गया था। नई दिल्ली में मुख्यालय के साथ हॉकी इंडिया की स्थापना 20 मई, 2009 को हुई थी और यह अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH), भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) और एशियाई हॉकी महासंघ (AHF) से संबद्ध है।

SOURCE-GK TODAY

 

केंद्र सरकार ने ओबीसी सूचियां बनाने के लिए
राज्यों की शक्तियां बहाल की

केंद्र सरकार ने 4 अगस्त, 2021 को एक संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दी, जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी ओबीसी सूची बनाने के लिए सशक्त बनाने का प्रयास करता है।

मुख्य बिंदु

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में विधेयक को मंजूरी दी गई। अब इसे संसद में पारित कराने के लिए पेश किया जाएगा।

पृष्ठभूमि

5 मई, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत द्वारा बहुमत के फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया था। इस फैसले के अनुसार 102वें संविधान संशोधन ने नौकरियों और प्रवेश में कोटा देने के लिए “सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग (SEBC)” घोषित करने की राज्यों की शक्ति को वापस ले लिया था।

102वां संविधान संशोधन अधिनियम

2018 के 102वें संविधान संशोधन अधिनियम में एक नया अनुच्छेद 338B सम्मिलित किया गया। यह अनुच्छेद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की संरचना, कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है। अधिनियम में अनुच्छेद 342ए का भी प्रावधान है जो राष्ट्रपति को किसी विशेष जाति को SEBC के रूप में अधिसूचित करने और सूची को बदलने के लिए संसद को शक्ति प्रदान करता है।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes – NCBC)

NCBC को 123वें संविधान संशोधन विधेयक और संविधान में 102वें संशोधन के तहत संवैधानिक निकाय का दर्जा दिया गया था। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 338B NCBC से संबंधित है। यह सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधीन काम करता है। NCBC  की स्थापना 14 अगस्त 1993 को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के अनुसार की गई थी।

SOURCE-INDIAN EXPRESS

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