Current Affair 7 December 2021

Current Affairs – 7 December, 2021

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस

भारत के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा को अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनावी सहायता संस्थान (आईडीईए) के सलाहकार बोर्ड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। श्री सुनील अरोड़ा अंतरराष्ट्रीय संस्थान के कामकाज में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए समृद्ध नेतृत्व अनुभव, ज्ञान और कौशल रखते हैं। संस्थान को 15 सदस्यीय सलाहकार बोर्ड द्वारा सहायता प्रदान की जाती है जिनमें विभिन्न प्रकार की पृष्ठभूमि से आए प्रतिष्ठित व्यक्ति या विशेषज्ञ शामिल हैं।

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस (इंटरनेशनल आईडीईए), 1995 में स्टॉकहोम, स्वीडन में स्थापित एक अंतरसरकारी संगठन है, जिसका लक्ष्‍य दुनिया भर में स्थायी लोकतंत्र का समर्थन करना है। इंटरनेशनल आईडीईए में वर्तमान में 34 सदस्य देश हैं जिनमें सभी महाद्वीपों के बड़े और छोटे, पुराने और नए लोकतंत्र शामिल हैं। भारत आईडीईए के संस्थापक सदस्यों में से एक रहा है।

श्री सुनील अरोड़ा 2 दिसंबर 2018 से 12 अप्रैल, 2021 तक भारत के 23वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे थे। श्री अरोड़ा भारत के निर्वाचन आयुक्त के रूप में 1 सितंबर 2017 को भारत निर्वाचन आयोग में शामिल हुए थे। आयोग में उनके 42 महीने से अधिक के कार्यकाल के दौरान, आयोग ने 2019 में 17वीं लोकसभा के आम चुनाव और 24 राज्य विधानसभाओं के चुनावों के साथ-साथ उप-चुनाव और द्विवार्षिक चुनाव सफलतापूर्वक कराए। 1980 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री अरोड़ा इससे पहले भारत सरकार और राजस्थान राज्य सरकार के विभिन्न प्रमुख विभागों का नेतृत्व कर चुके हैं।

श्री सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में, भारत के निर्वाचन आयोग ने 930 मिलियन से अधिक मतदाताओं का एकीकृत डेटाबेस और एक राष्ट्रव्यापी हेल्पलाइन 1950 बनाकर अपने डिजिटल कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाया। सिटीजन विजिल की सहायता के लिए एक और तकनीकी नवाचार- एक सीविजिलऐप एक बेहद उपयुक्‍त उपकरण बन गया है। यह एक ऐसा उपकरण है जो चुनाव वाले क्षेत्रों में नागरिकों को आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामलों की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाता है। वरिष्ठ नागरिकों और विकलांग व्यक्तियों को अपने घरों से वोट डालने में सक्षम करने के लिए डाक मतपत्र सुविधा प्रदान करने की श्री अरोड़ा की व्यक्तिगत पहल की बहुत सराहना की गई। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि चुनावों को सुगम और समावेशी बनाने के लिए मतदान केन्‍द्रों को निश्चित न्यूनतम सुविधाओं के साथ भूतल पर स्थानांतरित कर दिया जाए। इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र भी सशस्‍त्र सैनिकों के लिए अपने पोस्टिंग स्थान से वोट डालने के लिए एक उपयोगी सुविधा के रूप में उभरा।

ईसीआई चुनाव प्रबंधन निकायों के बीच ज्ञान साझा करने के माध्यम से दुनिया भर में लोकतंत्रों को गहरा और मजबूत करने में दृढ़ विश्वास रखता है। श्री अरोड़ा के कार्यकाल में एसोसिएशन ऑफ वर्ल्ड इलेक्शन बॉडीज (एडब्‍ल्‍यूईबी) और फोरम ऑफ द इलेक्शन मैनेजमेंट बॉडीज ऑफ साउथ एशिया (एफईएमबीओएसए) के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए, भारत के निर्वाचन आयोग ने क्षमता निर्माण में और वृद्धि सुनिश्चित की। प्रलेखन, अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट, नई दिल्ली में ईएमबी केसदस्यों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं और क्षमता निर्माण को साझा करने के लिए एक ए-वेब केन्‍द्र स्थापित किया गया है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

 

वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज मिसाइल

आज ओडिशा के तट से दूर एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर से वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। यह प्रक्षेपण बहुत कम ऊंचाई पर एक इलेक्ट्रॉनिक लक्ष्य के खिलाफ एक वर्टिकल लांचर से किया गया था। आईटीआर, चांदीपुर द्वारा तैनात कई ट्रैकिंग उपकरणों का उपयोग करके तकनीकी मापदंडों के साथ इस वाहन के उड़ान पथ की निगरानी की गई। सभी उप-प्रणालियों ने अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन किया।

भारतीय नौसेना के जहाजों से मिसाइल के भविष्य के प्रक्षेपण के लिए आवश्यक नियंत्रक, कनस्तरीकृत उड़ान वाहन, हथियार नियंत्रण प्रणाली आदि के साथ वर्टिकल लॉन्चर यूनिट सहित सभी हथियार प्रणाली घटकों के एकीकृत ऑपेरशन को मान्य करने के लिए आज प्रणाली का शुभारंभ किया गया। परीक्षण प्रक्षेपण की निगरानी डीआरडीओ और भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई। पहला परीक्षण 22 फरवरी 2021 को आयोजित किया गया था और यह कॉन्फ़िगरेशन और एकीकृत ऑपेरशन के निरंतर प्रदर्शन को साबित करने के लिए पुष्टिकरण परीक्षण है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (अंग्रेज़ी : DRDO, डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ऑर्गैनाइज़ेशन) भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिये देश की अग्रणी संस्था है। यह संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक आनुषांगिक इकाई के रूप में काम करता है। इस संस्थान की स्थापना १९५८ में भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी। वर्तमान में संस्थान की अपनी इक्यावन प्रयोगशालाएँ हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण इत्यादि के क्षेत्र में अनुसंधान में कार्यरत हैं। पाँच हजार से अधिक वैज्ञानिक और पच्चीस हजार से भी अधिक तकनीकी कर्मचारी इस संस्था के संसाधन हैं। यहां राडार, प्रक्षेपास्त्र इत्यादि से संबंधित कई बड़ी परियोजनाएँ चल रही हैं।

संगठन की दृष्टि (विज़न) है :

विश्व-स्तरीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीय आधार स्थापित कर भारत को समृद्ध बनाना और अपनी रक्षा सेना को अंतर्राष्ट्रीय रूप से प्रतिस्पर्धी प्रणालियों और समाधानों से लैसकर उन्हें निर्णायक लाभ प्रदान करना। – इसके अलावा डीआरडीओ के ध्येय इस प्रकार से हैं :

  • अपनी रक्षा सेवाओं के लिए अत्याधुनिक सेंसर, शस्त्र प्रणालियां, मंच और सहयोगी उपकरण अभिकल्पित करना, विकसित करना और उत्पादन के लिए तैयार करना।
  • संग्रामी प्रभावकारिता अधिकतम करने और सैनिकों की बेहतरी को बढ़ावा देने के लिए रक्षा सेवाओं को तकनीकी समाधान प्रदान करना।
  • अवरचना तथा गुणवत्तापूर्ण प्रतिबद्ध श्रमशक्ति विकसित करना और मजबूत प्रौद्योगिकी आधार निर्मित करना।
  • संगठन ने अनेक उन्नत रक्षा प्रणालियां विकसित कर चुके डीआरडीओ ने रक्षा प्रौद्योगिकियों के एक व्यापक वर्णक्रम में विशेषज्ञता अर्जित कर ली है। संगठन की आधारभूत योग्यता वाले क्षेत्रों में शामिल हैं : संश्लिष्ट सेंसरों, शस्त्र प्रणालियों तथा मंचों का प्रणाली अभिकल्प एवं एकीकरण; संश्लिष्ट उच्च-स्तरीय सॉफ्टवेयर पैकेजों का विकास; कार्यात्मक सामग्रियों का विकास; परीक्षण एवं मूल्यांकन; प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं समावेशन।
  • इसके अतिरिक्त, रक्षा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, गुणवत्ता आश्वासन एवं सुरक्षा, परियोजना एवं प्रौद्योगिकी प्रबंधन के लिए प्रासंगिक क्षेत्रों में मौलिक/प्रयुक्त अनुसंधान के लिए विशेषज्ञता तथा अवरचना भी निर्मित की गई है। यह विभिन्न प्रकार की आधूनिक सेवाओं को प्रदान करता है तथा पोजीशनिंग सिस्टम (GPS) प्रदान करता है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1PRE

 

शी इज ए चेंजमेकर

मीनी स्तर की महिला राजनीतिक नेताओं के नेतृत्व कौशल में सुधार करने के लिए, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने आज ग्राम पंचायतों से लेकर संसद सदस्यों और राष्ट्रीय/राज्य राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं सहित सभी स्तरों पर महिला प्रतिनिधियों के लिए एक अखिल भारतीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम ‘शी इज ए चेंजमेकर’ (वह एक नवप्रवर्तक) शुरू किया। क्षमता निर्माण कार्यक्रम क्षेत्रवार प्रशिक्षण संस्थानों के सहयोग से किया जाएगा, जिसका उद्देश्य महिला राजनीतिक नेताओं की क्षमता निर्माण करना और उनके निर्णय लेने और संवाद संबंधी कौशल, जिसमें भाषण, लेखन आदि शामिल हैं, में सुधार करना है।

रंभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी, ठाणे, महाराष्ट्र के सहयोग से आज ‘शी इज ए चेंजमेकर’ श्रृंखला के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आधिकारिक शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा सुश्री रेखा शर्मा ने किया। नगर निगम में महिलाओं के लिए तीन दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन 7 से 9 दिसंबर तक किया जाएगा। कार्यक्रम की शुरुआत में, सुश्री शर्मा ने कहा कि राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना समय की आवश्यकता है और आयोग उन्‍हें संसद पहुंचाने की यात्रा में उनकी मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि इस कार्यक्रम से हर उस महिला को फायदा होगा जो राजनीति में अपनी पहचान बनाना चाहती है और उसे राजनीति में अपना सही स्थान दिलाने में मदद करेगी। सुश्री शर्मा ने कहा, मुझे उम्मीद है कि ‘शी इज ए चेंजमेकर’ परियोजना उन महिलाओं के जीवन में एक नई शुरुआत का प्रतीक होगी जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए दृढ़ हैं।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1 PRE

 

नई मंजिल योजना

‘नई मंजिल योजना’ (Nai Manzil Scheme) अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा 2015 में शुरू की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यक युवाओं को रोजगार योग्य कौशल से लैस करना है। दिसंबर 2021 तक 6,57,802 अल्पसंख्यकों ने योजना के तहत कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त किया।

नई मंजिल योजना (Nai Manzil Scheme)

यह योजना मुख्य रूप से 17 से 35 वर्ष के आयु वर्ग के अल्पसंख्यक युवाओं पर केंद्रित है। वे स्कूल छोड़ने वाले और मदरसों जैसे सामुदायिक शिक्षा संस्थानों में शिक्षित युवा हैं। चयनित युवाओं को ‘नई मंजिल योजना’ के तहत प्रमाणन के साथ कौशल प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है। यह योजना युवाओं को संगठित क्षेत्र में बेहतर रोजगार तलाशने में मदद करती है। इस योजना में अल्पसंख्यक लड़कियों के लिए 30% सीट आरक्षित है।

योजना का मुख्य उद्देश्य

  • इस योजना का उद्देश्य देश के युवाओं को कौशल प्रदान करना है।
  • इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक युवाओं और स्कूल छोड़ने वालों के लिए रोजगार संबंध स्थापित करना है।
  • इसका मुख्य लक्ष्य देश में मानव संसाधन क्षमता को बढ़ाने में योगदान देना है।
  • उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करके, इस योजना का उद्देश्य मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान की राष्ट्रीय आकांक्षाओं को साकार करना है।

योजना किन अल्पसंख्यक समुदायों को लक्षित करती है?

  • यह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों को लक्षित करता है। वे बौद्ध, मुस्लिम, सिख, जैन, ईसाई और पारसी हैं। इसमें गैर-अधिसूचित समुदाय (denotified communities) भी शामिल हैं। गैर-अधिसूचित समुदाय वे हैं जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। वे अल्पसंख्यक समुदाय नहीं हैं।
  • यह मुख्य रूप से उन युवाओं को लक्षित करता है जिनके पास उचित स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र नहीं है। एक संगठित क्षेत्र में बेहतर रोजगार पाने के लिए प्रमाण पत्र अनिवार्य होता है।

अन्य योजनायें

सीखो और कमाओ : यह एक प्लेसमेंट लिंक्ड स्किल डेवलपमेंट स्कीम है। इसका उद्देश्य 14 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के अल्पसंख्यक युवाओं को कौशल प्रदान करना है। इसमें योग्यता, बाजार की क्षमता और आर्थिक प्रवृत्तियों के आधार पर आधुनिक और पारंपरिक कौशल शामिल हैं। यह महिला लाभार्थियों के लिए कुल आवंटन का 33% आरक्षित रखता है।

उस्ताद : उस्ताद (USTTAD) का अर्थ Upgrading the Skills and Training in Traditional Arts or Crafts for Development है। इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों की पारंपरिक कला और शिल्प की समृद्ध विरासत को बढ़ावा देना और संरक्षित करना है।

हमारी धरोहर योजना : इस योजना का उद्देश्य देश में अल्पसंख्यक समुदायों की संस्कृति, प्रथाओं, विश्वासों, रीति-रिवाजों और परंपराओं को संरक्षित करना है।

प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम : इसका उद्देश्य मुख्य रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य में अल्पसंख्यक समुदायों को बेहतर बुनियादी ढांचा सुविधाएं प्रदान करना है।

नया सवेरा योजना : प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को सशक्त बनाने का लक्ष्य।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.2

 

भारत रूस शिखर सम्मेलन

6 दिसंबर, 2021 को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने भारत का दौरा किया। उन्होंने अपने समकक्ष नरेंद्र मोदी के साथ 21वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लिया। उनकी यात्रा के दौरान, भारत और रूस ने 28 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। उनमें से कुछ अर्ध-गोपनीय थे। इस प्रकार, विदेश मंत्रालय ने इन सभी के विवरण जारी नहीं किए।

शिखर सम्मेलन

  • दोनों देश सैन्य तकनीकी सहयोग को और दस वर्षों तक बढ़ाने पर सहमत हुए। वर्तमान में, इस सहयोग के तहत स्वदेशी उत्पादन में T-90 टैंक, मिग 29K विमान, SU-30 MKI, मिग का अपग्रेडेशन और मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर स्मर्च (Multi Barrel Rocket Launcher Smerch) की आपूर्ति शामिल है। भारत और रूस दोनों वर्तमान में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान और बहु-भूमिका परिवहन विमान विकसित कर रहे हैं।
  • भारतीय रिजर्व बैंक और बैंक ऑफ रशिया ने साइबर हमलों का जवाब देने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए।
  • नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि दोनों देश अफगानिस्तान की स्थिति पर समान दृष्टिकोण साझा करते हैं। वे अफगानिस्तान पर कार्रवाई के लिए बनाए गए एक द्विपक्षीय रोडमैप को लागू करने पर सहमत हुए।
  • सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग पर अंतर-सरकारी आयोग का आयोजन किया गया। यह आयोग 2000 में स्थापित किया गया था।

शिखर सम्मेलन के दौरान चर्चा

  • दोनों नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारे (जो प्रस्ताव के तहत है) के बारे में भी चर्चा की।
  • रूस ने “अफगानिस्तान पर दिल्ली घोषणा” का स्वागत किया।
  • भारत ने NAM में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होने पर रूस को बधाई दी। और रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता के लिए बधाई दी।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.2

 

Imaging X–Ray Polarimetry Explorer (IXPE Mission)

Imaging X–Ray Polarimetry Explorer को IXPE कहा जाता है। यह नासा की अंतरिक्ष वेधशाला है। इसमें तीन समान टेलिस्कोप हैं जो ब्रह्मांडीय एक्स-किरणों के ध्रुवीकरण को मापती हैं।

IXPE मिशन

  • यह मिशन खगोलीय पिंडों का अध्ययन करता है।
  • यह न्यूट्रॉन सितारों, ब्लैक होल, पल्सर, मैग्नेटर्स, सुपरनोवाल अवशेष, क्वासर और सक्रिय परमाणु गांगेय नाभिक (active nuclear galactic nuclei) के चुंबकीय क्षेत्रों को मैप करता है।
  • यह पहला उपग्रह मिशन है जो विभिन्न ब्रह्मांडीय स्रोतों से एक्स-रे के ध्रुवीकरण को मापने के लिए समर्पित है।
  • IXPE मिशन को NASA के स्मॉल एक्सप्लोरर प्रोग्राम द्वारा विकसित किया गया था। इस मिशन की लागत 188 मिलियन अमरीकी डालर है।
  • इस मिशन का मुख्य लक्ष्य उच्च-ऊर्जा खगोलभौतिकीय प्रक्रियाओं और उनके स्रोतों को समझना है।

IXPE मिशन के विज्ञान उद्देश्य क्या हैं?

  • विशिष्ट ब्रह्मांडीय एक्स-रे स्रोतों की विकिरण प्रक्रियाओं को निर्धारित करना।
  • चरम वातावरण में सामान्य सापेक्षतावादी और क्वांटम प्रभावों का पता लगाना।

IXPE मिशन द्वारा अध्ययन

यह मिशन निम्नलिखित का अध्ययन करेगा:

  • पल्सर : पल्सर घूमने वाले तारे हैं। वे अपने चुंबकीय ध्रुवों से विद्युत चुम्बकीय विकिरण उत्सर्जित करते हैं।
  • सक्रिय गांगेय नाभिक : यह आकाशगंगा के केंद्र में एक सघन क्षेत्र है। इसके विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के कुछ हिस्से में इसकी सामान्य चमक से अधिक है। उन्हें रेडियो, इन्फ्रारेड, माइक्रोवेव, ऑप्टिकल, एक्स-रे और गामा रे वेवबैंड में देखा जा सकता है।
  • एक्स-रे बायनेरिज़ : एक्स-रे बायनेरिज़ बाइनरी स्टार हैं जो एक्स-रे में चमकदार होते हैं।
  • सुपरनोवा अवशेष : वे संरचना हैं जो सुपरनोवा में एक तारे के विस्फोट से बनती हैं।
  • पल्सर पवन नीहारिकाएं : यह एक प्रकार की नीहारिका है जो सुपरनोवा अवशेष के अंदर पाई जाती है।
  • गेलेक्टिक सेंटर : यह मिल्की वे गैलेक्सी का घूर्णन केंद्र है।

मिशन में टेलीस्कोप

इस मिशन में तीन टेलीस्कोप हैं। वे INAFINAF (Instituto Nazionale di AstroFisica) और INFN (Instituto Nazionale di Fiscial Nuclere) द्वारा डिजाइन किए गए हैं। वे ब्रह्मांडीय एक्स-रे के ध्रुवीकरण को मापने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

लॉन्च

मिशन को 9 दिसंबर, 2021 को स्पेसएक्स फाल्कन 9 लॉन्च व्हीकल पर लॉन्च किया जायेगा। इसे नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जायेगा।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.3

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