Current Affairs – 8 November, 2021
उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण के लिए विधिक माप विज्ञान (पैक किए गए
उत्पाद) नियम 2011 में संशोधन किया
उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने विधिक माप विज्ञान (पैक किए गए उत्पाद), नियम 2011 का नियम पांच हटा दिया है, जिसमें विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के पैक आकार को निर्धारित करने वाली अनुसूची 2 को परिभाषित किया गया था। पहले से पैक की गई वस्तुओं पर इकाई बिक्री मूल्य को इंगित करने के लिए एक नया प्रावधान पेश किया गया है, जिससे खरीद के समय वस्तुओं की कीमतों की तुलना करना आसान हो जाएगा।
इससे पहले, जिस महीने और साल में उत्पाद का निर्माण या प्री-पैक या आयात किया जाता है, उसका पैकेज में उल्लेख किया जाना आवश्यक था। इस अस्पष्टता को दूर करने के लिए इस संबंध में उद्योग और संघों से अभ्यावेदन प्राप्त हुआ।
अनुपालन से जुड़े बोझ को कम करने और उपभोक्ताओं के लिए पहले से पैक वस्तुओं पर तारीख की घोषणा की अस्पष्टता को दूर करने के लिए, अब उस महीने और वर्ष के लिए घोषणा की आवश्यकता है जिसमें पहले से पैक की गई वस्तुओं के लिए वस्तु का निर्माण किया जाता है।
एमआरपी की घोषणा के प्रावधानों को सभी करों सहित भारतीय मुद्रा में एमआरपी की अनिवार्य घोषणा करने के लिए चित्रण को हटाकर और प्रदान करके सरल बनाया गया है। इससे निर्माता/पैकर/आयातक को पहले से पैक की गई वस्तुओं पर एमआरपी को सरल तरीके से घोषित करने की मंजूरी दी गयी है।
निर्माता/आयातक/पैकर के अनुपालन संबंधी बोझ को कम करने के लिए पहले से पैक वस्तुओं में बेची गई वस्तुओं को संख्या में घोषित करने के नियमों में ढील दी गई है। पहले इस तरह की घोषणाओं को केवल ‘एन’ या ‘यू’ के रूप में दर्शाया जा सकता था। अब मात्राओं को संख्या या इकाई या टुकड़े या जोड़ी या सेट या ऐसे अन्य शब्द के रूप में व्यक्त किया जा सकता है जो पैकेज में मात्रा का प्रतिनिधित्व करता हो। इससे पहले से पैक की गई वस्तुओं में संख्या के आधार पर बेची गई मात्रा की घोषणा की अस्पष्टता दूर होगी।
विधिक मापविज्ञान अधिनियम, 2009: इस अधिनियम को 13 जनवरी, 2018 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई तथा यह 01 अप्रैल, 2011 से प्रवृत्त हुआ। उपभोक्ता मामले विभाग इस अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी है। इस अधिनियम के अंतर्गत विशिष्ट-उपबंध इस प्रकार हैं:-
- विधिक मापविज्ञान अधिनियम, 2009 एक ऐसा अधिनियम है जिसमें बाट तथा माप मानक अधिनियम, 1976 तथा बाट तथा माप मानक (प्रवर्तन) अधिनियम, 1985 को कवर किया गया है।
- इस अधिनियम में केवल 57 धाराएं हैं।
- बाटों तथा मापों के प्रयोक्ताओं को पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है।
- विभिन्न अपराधेों के दंडात्मक उपबंधों में वृद्धि कर दी गई है।
- मीट्रिक प्रणाली पर आधारित बाटों तथा मापों के यूनिटों का मानकीकरण।
- पूर्व पैकबंद वस्तुओं की घोषणा।
- विनिर्माण/आयात से पूर्व बाट अथवा माप के मॉडल का अनुमोदन।
- लाइसेंस के बगैर बाट अथवा माप के विनिर्माण, अध्ययन अथवा बिक्री पर प्रतिबंध।
- बाट अथवा माप का सत्यापन और स्टाम्पिंग।
- कम्पनी का केवल एक मनोनीत निदेशक विधिक मापविज्ञान अधिनियम के अंतर्गत कम्पनी द्वारा किए गए अपराधों के लिए उत्तरदायी होगा।
- सहकारी अनुमोदित परीक्षण केन्द्र के उपबंध को प्रवृत्त कर दिया गया है।
इस अधिनियम के अंतर्गत निम्नलिखित 7 नियम तैयार किए गए हैं:-
विधिक मापविज्ञान (सामान्य) नियम, 2011: बाट तथा माप यंत्रों के लिए विनिर्देश विधिक माप-विज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 में विहित किए गए हैं तथा इसमें इलैक्ट्रानिक बाट, यंत्र तौल हेतु, पैट्रोल-पम्प, वाटर-मीटर, स्फिग्मोमैनोमीटर, क्लिीनिकल-थर्मोमीटर आदि जैसे 40 प्रकार के बाट तथा माप यंत्र हैं। ये बाट तथा मापन यंत्र उद्योग- जगत, व्यापारियों, अस्पतालों तथा विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा बाट तथा मापन प्रयोजन के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं और बाट तथा माप के परिणामस्वरूप आम लोगों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलता है। इन बाट तथा माप यंत्रों की राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा मानक बाटों तथा मापों तथा नियमों में विहित प्रक्रिया का प्रयोग करते हुए जांच की जाती है।
विधिक माप विज्ञान (पैकबंद वस्तुएं) नियम, 2011
- पूर्व पैकबंद वस्तु को अधिनियम के अंतर्गत एक वस्तु जिसे क्रेता की अनुपस्थिति में किसी भी प्रकार के स्वरूप, चाहे वह सील बंद हो अथवा नहीं, संकेत में प्रस्तुत किया जाता है, ताकि उसमें उपलब्ध उत्पाद पर्वू-निर्धारित गया हो, के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- विधिक माप विज्ञान (पैकबंद वस्तु) नियम, 2011 के अनुसार प्रत्येक पैकेज पर कुछेक अनिवार्य घोषणाएं की जानी होती हैं, जो इस प्रकार हैं:-
- विनिर्माता/पैकर/आयातक का नाम तथा पता;
- आयातित पैकेजों के मामले में मूल देश
- पैकेज में उपलब्ध वस्तु का सामान्य अथवा प्रजाति-नाम
- वजन के मानक यूनिट के संदर्भ में अथवा माप अथवा संख्या में निवल-मात्रा।
- विनिर्माण/पैक/आयात का माह वर्ष
- अधिकतम खूदरा मूल्य (एम.आर.पी.) के रूप में खुदरा बिक्री मूल्य रुपये —— सभी करों सहित
- उपभोक्ता देखरेख ब्यौरे।
- उपर्युक्त के अतिरिक्त, सरकार ने आम उपभोक्ताओं के हित में 19 वस्तुओं को निर्धारित आकारों में पैक करने के लिए इसे अनिवार्य बनाया है।
विधिक माप विज्ञान (मॉडल्स की स्वीकृति) नियम, 2011:
बाट तथा माप उपकरण के विनिर्माता/आयातक जिन्हें विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009 तथा इसके अंतर्गत बनाए गए नियमों में निर्धारित किया गया है, को विनिर्माण/आयात से पूर्व भारत सरकार का अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
कास्ट आयरन, प्रास, बुलियन,अथवा कराट वजन अथवा कोई बीम-मापदंड लम्बाई माप (माप अैप न किए जा रहे हों) जैसे कुछेक उपकरण,जो साधारणतया वस्त्र अथवा लकड़ी, क्षमता-माप, जो क्षमता में 20 लीटर से अधिक न हों, को मॉडल अनुमोदन प्राप्त करने की जरूरत नहीं है।
विधिक माप-विज्ञान (राष्ट्रीय मानक) नियम, 2011:
- नियमों के अंतर्गत राष्ट्रीय फोटो टाइप के उपबन्ध का कोई उपबंध नहीं है। विभिन्न मानक राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला में रखे जाते हैं।
- बाट तथा माप के निर्देश मानक क्षेत्रीय निर्देश, मानक प्रयोगशाला, अहमदाबाद, बंगलोर, फरीदाबाद, भुवनेश्वर तथा गुवाहाटी में रखते जाते हैं।
- निेर्दश मानक बाट तथा माप के सेकेण्डरी मानकों के सत्यापन के लिए प्रयोग किए जाते हैं और जो राज्य सरकार की प्रयोगशालाओं के भाग हैं।
- क्रियाशील मानक बाट तथा माप जिला स्तर पर उपलब्ध है जो व्यापारियों तथा विनिर्माताओं द्वारा लेन-देन तथा संरक्षण प्रयोजन हेतु किसी भी बाट तथा माप के सत्यापन के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। क्रियाशील मानक बाटों तथा मापों द्वारा किया जाता है।
विधिक माप-विज्ञान (गणन) नियम, 2011: इन नियमों के अंतर्गत उपबन्ध गणन तथा उस तरीके के लिए किया जाता है जिसमें संस्थाएं लिखी जाएंगी।
भारतीय विधिक माप-विज्ञान संस्थान नियमावली, 2011: भारतीय विधिक माप-विज्ञान संस्थान, रांची इस विभाग के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों/भारत संघ के विधिक माप-विज्ञान अधिकारियों को विधिक माप-विज्ञान अधिकारियों को विधिक माप-विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिक्षण प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण संस्थान है। इन नियमों के अंतर्गत संस्थान में प्रदान किए जाने वाले पाठ्यक्रमों, संस्थान के बाध्यकार, संस्थान में प्रत्येक के लिए पात्र होने वाले व्यक्तियों की अर्हता के संबंध में उपलब्ध निर्धारित किए जाते हैं।
विधिक माप विज्ञान (सरकार द्वारा अनुमोदित परीक्षण केन्द्र) नियम, 2013
सरकार द्वारा अनुमोदित परीक्षण केन्द्र (जी.ए.टी.सी.) नियम राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा किए गए सत्यापन के अतिरिक्त, कुछेक बाटों तथा मापों के सत्यापन के लिए प्राइवेट व्यक्तियों द्वारा स्थापित किए गए जीएटीसी के अनुमोदन के लिए तैयार किए जाते हैं। जी.ए.टी.सी. द्वारा सत्यापन के लिए इन नियमों के अंतर्गत निर्धारित किए बाट तथा माप हैं: (i) वाटर मीटर (ii) स्फिग्नोमैनोमीटर (iii) क्लिीनकल- थर्मामीटर (iv) स्वचालित रेल तौल-सेतु (v) टेप-मीटर (vi) एक्योरेसी क्लास – III/क्लास III (150कि.ग्रा. तक) के गैर-स्वचालित तौल उपकरण, (vii) भार-प्रत्येक (viii) बीम- मानदंड (ix) काउन्टर-मशीन; (x) सभी श्रेणियों के बाट। राज्य सरकारों ने भी अधिनियम, 2009 के क्रियान्वयन के लिएअपने-आपने राज्य विधिक माप-विज्ञान (प्रवर्तन) नियम बनाए हैं।
विधिक माप-विज्ञान के प्रकार्य-
माप में परिशुद्धता तथा सुस्पष्टता दैनिक जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है। एक पारदर्शी तथा इन विधिक मापविज्ञान प्रणाली व्यापार, उद्योग तथा उपभोक्ता में विश्वास के प्रेरित करती है तथा (i) विभिन्न क्षेत्रों में राजस्व में वृद्धि करके देश की अर्थव्यवस्था में योगदान करके, (ii) कोयला, खानों, उद्योगों, पैट्रोल, टेल में राजस्व घाटे को कम करे में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करके; (iii) अवसंरचना क्षेत्र में हानि तथा अपव्यय में कमी करके व्यवसाय को संचालित करने के लिए सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाती है।अत: विधिक माप विज्ञान द्वारा निष्पादित कार्य, जनहित में महत्वपूर्ण है। निदेशक, विधिक माप-विज्ञान एक सांविधिक प्राधिकारी जिसे पूर्व-पैकबंद वस्तुओं सहित हों तथा मापों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा वाणिज्य से संबंधित विधिक – माप-विज्ञान अधिनियम, 2009 के अंतर्गत निर्धारित अधिकार तथा उत्तरदायिवत्व प्राप्त है। निदेशक, विधिक माप-विज्ञान, विधिक माप-विज्ञान के मानक स्थापित करने तथा विधिक माप विज्ञान से सम्बन्धित मानकों की अनुमार्गनीयता को बनाए रखने के लिए भी उत्तरदायी है। निदेशक के प्रमुख उत्तरदायित्व तकनीकी क्षेत्र के निरीक्षण करके खोज करने अभिग्रहण करने कार्यालयों का पंजीकरण करने तथा अभियोजन आरंभ्ज्ञ करने के लिए विनियमन, प्रवर्तन और अनुसंधा, विनियमत और प्रवर्तन की प्रकृति के हैं।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
“टेली-लॉ ऑन व्हील्स”
आजादी का अमृत महोत्सव के देशव्यापी समारोह में शामिल होते हुए, न्याय विभाग ने 8 नवंबर से लेकर 14 नवंबर, 2021 तक सप्ताह भर चलने वाले “टेली-लॉ ऑन व्हील्स” अभियान की शुरुआत की। इस अभियान के एक हिस्से के रूप में, लोगों को उनके अधिकारों के संबंध में सही तरीके से दावा करने और उनकी कठिनाइयों का समय से समाधान के बारे में मुकदमे से पहले दिए जाने वाली सलाह के माध्यम से सशक्त बनाने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियों की एक श्रृंखला शुरू की जा रही है।
इस एक सप्ताह को जरूरतमंदों और वंचितों के डिजिटल कानूनी सशक्तिकरण के जरिए सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य के लिए समर्पित करना आजादी का अमृत महोत्सव से जुड़े कार्यक्रमों की श्रृंखला की एक और अहम गतिविधि होगी। आजादी का अमृत महोत्सव को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी द्वारा एक प्रगतिशील एवं नए भारत के सपनों को साकार करने और हमारे लोगों, हमारी संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का जश्न मनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
कानूनी सलाह और परामर्श लेने के इच्छुक लोगों को टेली-लॉ सेवाएं प्रदान करने वाले अपने निकटतम कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) पर पहुंचने का आग्रह करके और टेली एवं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कानूनी सलाह एवं परामर्श लेने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पूरे देश में एक विशेष लॉग-इन सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इन कॉमन सर्विस सेंटरों को इस कार्य के लिए कनूनी सलाह सहायक केन्द्रों के रूप में निरूपित किया गया है। टेली-लॉ ऑन व्हील्स अभियान सीएससी ई-गवर्नेंस की सहायता से चलाया जा रहा है, जिसके पास देश भर में डिजिटल रूप से सक्षम चार लाख से अधिक सीएससी का नेटवर्क है।
इस अभियान के संदेश को प्रदर्शित करने वाली विशेष मोबाइल वैन भी चलायी गई हैं। इस किस्म की पहली वैन को न्याय विभाग के सचिव द्वारा न्याय विभाग के परिसर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है। ये वैन प्रतिदिन 30-40 किलोमीटर की दूरी तय करेंगी, टेली-लॉ से संबंधित सूचना – पत्रक वितरित करेंगी, टेली-लॉ सेवाओं के बारे में फिल्मों एवं रेडियो जिंगल आदि का प्रसारण करेंगी। साथ ही, हिंदी और अंग्रेजी में एसएमएस के माध्यम से ग्रामीणों को जागरूक करते हुए उन्हें कानूनी सलाह, परामर्श और जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने मामलों या समस्याओं को टेली-लॉ के तहत पंजीकृत कराने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
सप्ताह भर चलने वाले इस अभियान का मुख्य आकर्षण 13 नवंबर, 2021 को केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री और विधि एवं न्याय राज्यमंत्री द्वारा नागरिकों के लिए टेली-लॉ मोब%E