इंटरनेशनल को- ऑपरेशन एंड कन्वेंशन सेंटर– रुद्राक्ष
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एंड कन्वेंशन सेंटर– रुद्राक्ष का उद्घाटन किया, जिसका जापान की सहायता से निर्माण किया गया है। उसके बाद उन्होंने बीएचयू की मातृ और शिशु स्वास्थ्य इकाई का निरीक्षण किया।
इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड के बावजूद काशी में विकास की गति बरकरार रही। उन्होंने कहा कि ‘इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एंड कन्वेंशन सेंटर- रुद्राक्ष’ इस रचनात्मकता और गतिशीलता का परिणाम है। उन्होंने कहा कि इस केंद्र से भारत और जापान के बीच मजबूत जुड़ाव का पता चलता है। उन्होंने इस कन्वेंशन सेंटर के निर्माण में मदद करने के लिए जापान के प्रयासों की सराहना की।
श्री मोदी ने याद किया कि जापान के प्रधानमंत्री श्री शुगा योशीहिदे मुख्य कैबिनेट सचिव थे। तब से लेकर जापान के प्रधानमंत्री बनने तक, वह व्यक्तिगत रूप से इस परियोजना से जुड़े रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि भारत के प्रति उनके अपनेपन के लिए हर भारतीय उनका आभारी है।
उन्होंने उस क्षण को याद किया, जब उनकी जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ रुद्राक्ष की योजना पर चर्चा हुई थी, जब वह काशी आए थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस इमारत में आधुनिकता की चमक और संस्कृति की आभा दोनों मौजूद हैं, इसमें भारत जापान संबंधों के संयोजन के साथ ही भविष्य में सहयोग की संभावनाएं भी छिपी हुई हैं। श्री मोदी ने कहा कि उनकी जापान यात्रा से इस प्रकार के जनता से जनता के बीच संबंधों की परिकल्पना होती है और रुद्राक्ष व अहमदाबाद में जेन गार्डन जैसी परियोजनाएं इसी संबंध की प्रतीक हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, पिछले 7 साल में काशी को कई विकास परियोजनाओं से सुशोभित किया गया है, तो यह श्रृंगार बिना रुद्राक्ष के कैसे पूरा हो सकता था? अब काशी जो वास्तविक शिव है, ने इस रुद्राक्ष को धारण कर लिया है तो काशी का विकास और भी ज्यादा चमकेगा और काशी की सुंदरता और भी ज्यादा बढ़ जाएगी।
SOURCE –PIB
विश्व युवा कौशल दिवस
विश्व युवा कौशल दिवस (World Youth Skills Day) हर साल 15 जुलाई को दुनिया भर में मनाया जाता है।
विश्व युवा कौशल दिवस (World Youth Skills Day)
पृष्ठभूमि
18 दिसंबर 2014 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने सर्वसम्मति से श्रीलंका के नेतृत्व में एक प्रस्ताव अपनाया, और 15 जुलाई को विश्व युवा कौशल दिवस के रूप में घोषित किया। वैश्विक स्तर पर युवा कौशल विकास के महत्व को उजागर करने के लिए श्रीलंका ने G77 (77 देशों का समूह) और चीन की सहायता से इस संकल्प की शुरुआत की थी।
उद्देश्य
आज के युवाओं के लिए बेहतर सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को प्राप्त करना जो बेरोजगारी और कम रोजगार की चुनौतियों का समाधान करने के साधन के रूप में कार्य करेगा।
विश्व युवा कौशल दिवस पारंपरिक रूप से पुर्तगाल और श्रीलंका के स्थायी मिशनों द्वारा यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन), ILO (अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन) और युवाओं पर महासचिव के दूत के कार्यालय के साथ मिलकर आयोजित किया जाता है ।
महत्व
विश्व युवा कौशल दिवस महत्वपूर्ण है क्योंकि आज की दुनिया में बढ़ती युवा बेरोजगारी को विकसित और विकासशील देशों के लिए समान रूप से अर्थव्यवस्थाओं और समाजों के सामने सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक के रूप में देखा जाता है।
आगे का रास्ता
वर्तमान में लगभग 73 मिलियन युवा बेरोजगार हैं, जिनमें हर साल 40 मिलियन श्रम बाजार में शामिल होते हैं। इस विशाल बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए, अगले दशक में कम से कम 475 मिलियन नए रोजगार सृजित करने की आवश्यकता है।
SOURCE-GK TODAY
प्रधानमंत्री ने विश्व युवा कौशल दिवस कार्यक्रम को सम्बोधित किया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि नई पीढ़ी का कौशल विकास राष्ट्रीय आवश्यकता और आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद है, क्योंकि यही पीढ़ी हमारे गणराज्य को 75 वर्ष से 100 वर्ष तक ले जायेगी। उन्होंने आह्वान किया कि पिछले छह वर्षों के दौरान जो भी अर्जित किया गया है, उससे लाभ उठाने के लिये स्किल इंडिया मिशन को गति देनी होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति में कुशलता की बहुत अहमियत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कौशल विकास और ‘अप-स्किलिंग’ के महत्त्व को समाज की प्रगति से जोड़ना होगा। श्री मोदी ने कहा कि विजयदशमी, अक्षय तृतीया और विश्वकर्मा पूजन की तरह ही कुशलता को भी उत्सव की तरह मनाया जाना चाहिये। इन सभी त्योहारों में कुशलता और श्रम की पूजा की जाती है। इन परंपराओं के हवाले से प्रधानमंत्री ने कहा कि बढ़ई, कुम्हार, लोहार, सफाई कर्मी, माली और बुनकर जैसे पेशों को उचित सम्मान दिया जाना चाहिये। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया की गुलामी के लंबे दौर में हमारे समाज और शिक्षा प्रणाली में कुशलता की अहमियत कम कर दी गई थी।
दैनिक जीवन में कुशलता की आवश्यकता पर जोर देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि कमाने के साथ-साथ हमेशा सीखते रहना चाहिये; सीखना कभी नहीं छोड़ना चाहिये। केवल कुशल व्यक्ति ही आज की दुनिया में आगे बढ़ सकता है। यह लोगों और देशों, दोनों पर लागू होता है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया को हुनरमंद और कुशल श्रम-शक्ति प्रदान कर रहा है। हमें अपने युवाओं को कुशल बनाने के लिये इसे अपनी रणनीति का अहम हिस्सा बनाना चाहिये। उन्होंने ‘ग्लोबल स्किल गैप मैपिंग’ की पहल की सराहना की और कहा कि हितधारकों को लगातार ‘स्किल,’ ‘री-स्किल’ और ‘अपस्किल’ करते रहना चाहिये। इस प्रक्रिया में तेजी लानी होगी, क्योंकि तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी के मद्देनजर री-स्किलिंग की भारी मांग पैदा होने वाली है। प्रधानमंत्री ने याद किया कि कैसे महामारी के खिलाफ असरदार जंग में हमारे कुशल कामगारों ने मदद की थी।
प्रधानमंत्री ने बाबा साहेब अम्बेडकर के विजन का हवाला देते हुये कहा कि उन्होंने हमेशा कमजोर वर्ग को कुशल बनाने पर जोर दिया था। श्री मोदी ने कहा कि देश स्किल इंडिया मिशन के जरिये बाबासाहेब के स्वप्न को आकार दे रहा है। उदाहरण के लिये ‘गोइंग ऑनलाइन एज़ लीडर्स- गोल’ जनजातीय आबादी की सहायता कर रहा है, जिसमें कला, संस्कृति, दस्तकारी, बुनकरी और डिजिटल साक्षरता जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इस पहल के जरिये जनजातीय आबादी को उद्यमशील बनाया जा रहा है। इसी तरह, वन धन योजना भी जनजातीय समाज को नये-नये अवसरों से जोड़ रही है। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, “आने वाले समय में, हमें ऐसे अभियानों को और बढ़ाना होगा और खुद को तथा देश को कौशल विकास के जरिये आत्मनिर्भर बनाना होगा।”
स्किल इंडिया मिशन
देश की विशाल युवा आबादी को कौशल प्रशिक्षण देकर जॉब उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में स्किल इंडिया मिशन की शुरुआत की थे. जमीनी स्तर पर कुशल मानव शक्ति के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री ने कौशल विकास योजना की शुरूआत की थी. स्किल इंडिया योजना के तहत देश में हर साल कम से कम 24 लाख युवाओं को कुशलता की ट्रेनिंग देने का लक्ष्य रखा गया था.
स्किल इंडिया मिशन का मकसद देश भर में कौशल विकास योजनाओं को एकीकृत करना और उनकी निगरानी करना है. स्किल इंडिया मिशन का उद्देश्य भारतीय युवाओं को उद्योग से संबंधित कौशल प्रशिक्षण लेने में सक्षम बनाना है. इससे उन्हें बेहतर आजीविका हासिल करने में मदद मिल सकती है. मोदी सरकार स्किल इंडिया योजना के जरिये कम पढ़े लिखे या 10वीं, 12वीं कक्षा बीच में स्कूल छोड़ने वाले युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देती है.
पीएम स्किल इंडिया मिशन की मुख्य बातें: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत युवाओं को कोई फीस नहीं चुकानी पड़ती है. 3 महीने, 6 महीने और 1 साल के कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन होते हैं. कोर्स पूरा करने के बाद डिजिटल लॉकर में सर्टिफिकेट दिया जाता है, यह पूरे देश में मान्य है. रोजगार मेले के जरिए सरकार प्रशिक्षित युवाओं को नौकरी दिलाने में सहायता करती है. भारत के युवाओं में छिपी हुई योग्यता को बढ़ावा देने में स्किल इंडिया मिशन बड़ी भूमिका निभा रही है. स्किल इंडिया मिशन के माध्यम से युवाओं को प्रशिक्षित करके सरकार भारत में बेरोजगारी कीसमस्या का निवारण करना चाहती है. स्किल इंडिया मिशन के नए अवतार में भारत सरकार इसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए स्किल ट्रेनिंग की क्वालिटी बढ़ाना चाहती है. सरकार स्किल ट्रेनिंग की क्वालिटी को अंतरराष्ट्रीय मापदंड के अनुसार लाना चाहती है और देश के करोड़ों युवाओं को हर साल वर्क फोर्स में शामिल करना चाहती है.
स्किल इंडिया मिशन क्या है?
स्किल इंडिया मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में शुरू की गई एक योजना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना की शुरुआत की थी. आज पूरे देश में स्किल इंडिया मिशन सरकारी योजना काम कर रही है. स्किल इंडिया को राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन भी कहा जाता है. स्किल इंडिया मिशन कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है.
पीएम मोदी ने स्किल इंडिया मिशन क्यों शुरू किया?
• प्रधानमंत्री ने तेजी से बदलते व्यवसाय, माहौल एवं बाजार स्थितियों में संगत बने रहने के लिए युवाओं को कौशल, पुनर्कौशल तथा कुशलता बढ़ाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने स्किल इंडिया की शुरुआत करते हुए देश के युवाओं को बधाई दी. पीएम मोदी ने कहा कि यह दुनिया युवाओं की है क्योंकि उनमें हर वक्त नए कौशल सीखते रहने की क्षमता है.स्किल इंडिया मिशन ने स्किलिंग, रिस्किलिंग तथा अपस्किलिंग के लिए एक विशाल अवसंरचना का सृजन किया है. इससे स्थानीय एवं वैश्विक दोनों ही स्तर पर रोजगार की सुविधा प्राप्त करने के लिए अवसरों को बढ़ाया है.
स्किल इंडिया मिशन का उद्देश्य क्या है?
स्किल इंडिया मिशन का उद्देश्य युवाओं को प्रशिक्षित कर न सिर्फ न सिर्फ उन्हें रोजगार प्रदान करना है, बल्कि उन्हें स्वावलंबी बनाकर रोजगार उत्पन्न करने के लिए प्रेरित करना भी है. कौशल विकास योजना के माध्यम से सरकार का लक्ष्य हर पांच साल में 1 करोड़ से अधिक युवाओ को कौशल प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाना है.
पीएम कौशल विकास योजना की शुरुआत कब हुई?
पीएम मोदी ने 15 जुलाई 2015 को स्किल इंडिया मिशन की शुरुआत की थी. भारत के पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि युवाओं के कौशल विकास का यह अभियान मूल रूप से अगस्त 2010 में शुरू किया गया था. कौशल विकास की मुख्य योजना ‘स्टार’ अगस्त 2013 में शुरू की गयी थी. पांच जनवरी 2014 को प्रशिक्षित युवाओं को पहले प्रमाणपत्र बांटे गए थे. उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय कौशल विकास निगम ने 160 प्रशिक्षण सहयोगी और 1722 प्रशिक्षकों को शामिल किया है.”
SOURCE-PIB
गगनयान
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने तरल ईंधन संचालित, विकास इंजन (Vikas Engine) का तीसरा लंबी अवधि का गर्म परीक्षण सफलतापूर्वक किया है।
मुख्य बिंदु
• इस परीक्षण के साथ, ISRO अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए और आगे बढ़ गया है।
• ह्यूमन रेटेड Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mk III (GSLV Mk III) के कोर L110 तरल चरण (इंजन) के लिए तरल प्रणोदक विकास इंजन (Vikas Engine) का तीसरा लंबी अवधि का गर्म परीक्षण किया गया था।
• यह परीक्षण गगनयान कार्यक्रम के लिए इंजन योग्यता आवश्यकताओं का एक हिस्सा था।
• तमिलनाडु में महेंद्रगिरि के इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स (IPRC) की इंजन परीक्षण सुविधा में 240 सेकंड के लिए इंजन को फायर किया गया था।
• इसरो ने तीसरे रॉकेट में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने से पहले दो मानव रेटेड मानव रहित GSLV-Mk III रॉकेट उड़ाने की योजना बनाई है।
गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission)
गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) की योजना भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा बनाई गई है। इस मिशन के तहत तीन उड़ानें कक्षा में भेजी जाएंगी। इसमें दो मानव रहित उड़ानें और एक मानव अंतरिक्ष उड़ान शामिल होगी। ऑर्बिटल मॉड्यूल नामक गगनयान सिस्टम मॉड्यूल में एक महिला सहित तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे। यह स्पेसफ्लाइट पृथ्वी से 300-400 किमी की ऊंचाई पर निम्न-पृथ्वी-कक्षा में 5 से 7 दिनों तक पृथ्वी के चारों ओर घूमेगा।
मिशन के पेलोड
इस मिशन के पेलोड में शामिल हैं :
1. क्रू मॉड्यूल, जो इंसानों को ले जाएगा।
2. सर्विस मॉड्यूल, जो दो तरल प्रणोदक इंजनों द्वारा संचालित होगा।इसमें आपातकालीन पलायन (emergency escape) और आपातकालीन मिशन निरसन (emergency mission abort) शामिल होगा।
इसे कैसे लॉन्च किया जाएगा?
गगनयान मिशन को GSLV Mk III या LVM-3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-3) नामक तीन चरणों वाले भारी लिफ्ट लॉन्च वाहन के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा क्योंकि इसमें आवश्यक पेलोड क्षमता है।
SOURCE-THE HINDU
नागरिक विमानन मंत्रालय ने ड्रोन नियम, 2021 का मसौदा
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सार्वजनिक परामर्श के लिए पुनर्गठित “ड्रोन नियम, 2021” जारी किये हैं।
मुख्य बिंदु
• ड्राफ्ट नियम ट्रस्ट, सेल्फ-सर्टिफिकेशन और गैर-घुसपैठ निगरानी (non-intrusive monitoring) के आधार पर बनाए गए थे।
• यह UAS नियम 2021 की जगह लेगा जो 12 मार्च, 2021 को जारी किया गया था।
ड्राफ्ट ड्रोन नियम 2021
• नए नियमों के अनुसार, डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर न्यूनतम मानव इंटरफेस होगा और अधिकांश अनुमतियां स्वयं उत्पन्न (self-generated) होंगी।
• यह भविष्य में ‘नो परमिशन – नो टेक-ऑफ’ (NPNT), रीयल-टाइम ट्रैकिंग बीकन, जियो-फेंसिंग आदि सुरक्षा सुविधाओं को भी सूचित करेगा।
• इन नियमों के तहत, ड्रोन और ड्रोन घटकों के आयात को विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
• सभी ड्रोन प्रशिक्षण एक अधिकृत ड्रोन स्कूल द्वारा किए जाएंगे।
• नागरिक उड्डयन महानिदेशालय प्रशिक्षण आवश्यकताओं को निर्धारित करेगा, ड्रोन स्कूलों की देखभाल करेगा और ऑनलाइन पायलट लाइसेंस प्रदान करेगा।
• बिना विशिष्ट पहचान संख्या (unique identification number) वाले ड्रोन के संचालन की अनुमति तब तक नहीं दी जाएगी जब तक इसे छूट नहीं दी जाती। ड्रोन ऑपरेटरों को डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर अपेक्षित विवरण प्रदान करके ड्रोन की एक विशिष्ट पहचान संख्या उत्पन्न करने की आवश्यकता होती है।
हवाई क्षेत्र के नक्शे में तीन क्षेत्र
ड्रोन नियम 2021 हरे, पीले और लाल क्षेत्रों के साथ एक इंटरेक्टिव हवाई क्षेत्र का नक्शा प्रदान करता है। इन जोनों को डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित किया जाएगा। येलो जोन को पास के एयरपोर्ट परिधि से 45 किमी से घटाकर 12 किमी कर दिया गया है। ग्रीन जोन में, हवाई अड्डे की परिधि से 8 से 12 किमी के बीच 400 फीट और 200 फीट तक के क्षेत्र में किसी भी उड़ान की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म
यह पहल नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा NPNT जैसे ड्रोन प्रौद्योगिकी ढांचे का समर्थन करने के लिए एक सुरक्षित और स्केलेबल प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी।
SOURCE-INDIAN EXPRESS
दुशांबे में SCO बैठक
दुशांबे में SCO की बैठक के दौरान भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation – SCO) के सदस्यों से आतंकवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया।
मुख्य बिंदु
• इस बैठक में अफगानिस्तान में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर व्यापक चर्चा की गयी।
• इस बैठक में SCO और SCO सदस्यों के साथ पर्यवेक्षक का दर्जा रखने वाले देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
• भारत के विदेश मंत्री एस .जयशंकर ने SCO राज्यों के अपने समकक्षों के साथ शामिल होने पर इन मुद्दों को उठाया।
• सदस्यों द्वारा अफगानिस्तान, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक सुधार पर मुख्य रूप से चर्चा की गयी। इसके अलावा, आतंकवाद और उग्रवाद का मुकाबला करने के मुद्दों को उठाया गया था।
भारत की मांग
• भारत ने आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की मांग की।
• इसने कोविड-19 के खिलाफ शीघ्र सार्वभौमिक टीकाकरण की आवश्यकता का भी आग्रह किया।
• भारतीय मंत्री ने सुधारित बहुपक्षवाद पर भी बल दिया।
शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation – SCO)
SCO, जिसे शंघाई पैक्ट भी कहा जाता है, एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा गठबंधन है। SCO बनाने की घोषणा 15 जून, 2001 को शंघाई, चीन में की गई थी। यह प्रस्ताव चीन, कजाकिस्तान, रूस, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के नेताओं ने रखा था।
किस चार्टर के कारण SCOका निर्माण हुआ?
शंघाई सहयोग संगठन चार्टर पर जून, 2002 में हस्ताक्षर किए गए थे जिसने औपचारिक रूप से संगठन की स्थापना की थी।
पृष्ठभूमि
SCO के मूल पांच सदस्य; चीन, रूस, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान; पहले शंघाई फाइव ग्रुप के सदस्य थे जिसे अप्रैल, 1996 में स्थापित किया गया था। तब से, संगठन ने अपनी सदस्यता को आठ देशोंमें विस्तारित किया है। SCO के नवीनतम सदस्य भारत और पाकिस्तान हैं। दोनों देश 9 जून, 2017 को SCO के अस्ताना शिखर सम्मेलन में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुए थे।
SOURCE-GK TODAY