Current Affairs – 7 January, 2022
स्टार्टअप इंडिया नवाचार सप्ताह
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) 10 जनवरी से 16 जनवरी 2022 तक स्टार्टअप इंडिया नवाचार सप्ताह का आयोजन करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। वर्चुअल तरीके से सप्ताह भर चलने वाले इस नवाचार उत्सव का उद्देश्य भारत की आज़ादी के 75वें वर्ष ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मनाना है और इसे पूरे भारत में उद्यमिता के प्रसार और उसकी पहुंच को प्रदर्शित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
स्टार्टअप इंडिया नवाचार सप्ताह में बाजार तक पहुंच के अवसरों को बढ़ाना,उद्योग जगत की हस्तियों के साथ चर्चा, राज्यों द्वारा अपनाई गई सर्वोत्कृष्ट कार्य प्रणालियों, सक्षम लोगों का क्षमता निर्माण, इन्क्यूबेटरों की नई भूमिका, प्रौद्योगिकी प्रदर्शनियों, कॉर्पोरेट से जुड़ाव और ऐसे ही कई विषयों को लेकर कई सत्र आयोजित किए जाएंगे।
इस कार्यक्रम में दुनिया भर के शीर्ष नीति निर्माताओं, उद्योग, शिक्षाविदों, निवेशकों, स्टार्टअप्स और माहौल को अनुकूल बनाने में सक्षम सभी लोगों के साथ आने की उम्मीद है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1PRE
मोबाइल हनी प्रोसेसिंग वैन
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के सिरोरा गांव में देश की पहली मोबाइल हनी प्रोसेसिंग वैन लांच की। मोबाइल वैन का डिजाइन 15 लाख रूपये की लागत से केवीआईसी ने अपने बहुविषयक प्रशिक्षण केंद्र, पंजोखेड़ा में आंतरिक रूप किया है। यह मोबाइल हनी प्रोसेसिंग यूनिट 8 घटों में 300 किग्रा तक शहद का प्रसंस्करण कर सकती है। यह वैन जांच प्रयोगशाला से भी सुसज्जित है जो तत्काल शहद की गुणवत्ता की जांच कर सकती है।
मोबाइल हनी प्रोसेसिंग वैन केवीआईसी शहद मिशन के तहत एक बड़ी उपलब्धि है जिसका उद्देश्य मधुमक्खी पालकों को प्रशिक्षण देना, किसानों को मधुमक्खी के बक्से वितरित करना तथा गांवों के शिक्षित और बेरोजगार युवकों को मधुमक्खी पालन गतिविधियों के माध्यम से अतिरिक्त आय अर्जित करने में सहायता करना है। शहद उत्पदन के जरिये प्रधानमंत्री के “मीठी क्रांति” के विजन को दृष्टि में रखते हुए, केवीआईसी ने मधुमक्खी पालकों तथा किसानों को उनकी शहद की उपज का उचित मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए यह अनूठा नवोन्मेषण प्रस्तुत किया है। मोबाइल हनी प्रोसेसिंग वैन को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि यह मधुमक्खी पालकों के शहद का प्रसंस्करण उनके द्वार पर ही करेगी और इस प्रकार प्रसंस्करण के लिए शहद को दूर के शहरों में स्थित प्रसंस्करण केंद्रों तक ले जाने में होने वाली परेशानी तथा लागत की बचत करेगी। जहां यह मधुमक्खी पालन को छोटे मधुमक्खी पालकों के लिए अधिक लाभदायक बनाएगी, वहीं शहद की शुद्धता तथा सर्वोच्च गुणवत्ता मानकों का रखरखाव भी करेगी।
खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) (Khadi and Village Industries Commission), संसद के ‘खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम 1956’ के तहत भारत सरकार द्वारा निर्मित एक वैधानिक निकाय है। यह भारत में खादी और ग्रामोद्योग से संबंधित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार) के अन्दर आने वाली एक शीर्ष संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य है – “ग्रामीण इलाकों में खादी एवं ग्रामोद्योगों की स्थापना और विकास करने के लिए योजना बनाना, प्रचार करना, सुविधाएं और सहायता प्रदान करना है, जिसमें वह आवश्यकतानुसार ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्यरत अन्य एजेंसियों की सहायता भी ले सकती है।” अप्रैल 1957 में, पूर्व के अखिल भारतीय खादी एवं ग्रामीण उद्योग बोर्ड का पूरा कार्यभार इसने संभाल लिया।
इसका मुख्यालय मुंबई में है, जबकि अन्य संभागीय कार्यालय दिल्ली, भोपाल, बंगलोर, कोलकाता, मुंबई और गुवाहाटी में स्थित हैं। संभागीय कार्यालयों के अलावा, अपने विभिन्न कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करने के लिए 29 राज्यों में भी इसके कार्यालय हैं।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1PRE
कोप्पल टॉय क्लस्टर
कोप्पल टॉय क्लस्टर (Koppal Toy Cluster) पहला खिलौना निर्माण क्लस्टर है। इसे मार्च 2022 से चालू किया जायेगा।
कोप्पल टॉय क्लस्टर (Koppal Toy Cluster)
इसे 400 एकड़ जमीन में स्थापित किया जायेगा। इसमें खिलौना बनाना, उपकरण बनाना, पैकेजिंग का उत्पादन, इलेक्ट्रॉनिक्स विकसित करना, पेंट बनाना और अन्य सभी सामान शामिल हैं। पूरा होने के बाद, टॉय क्लस्टर में विशेष आर्थिक क्षेत्र में 100 छोटी और बड़ी निर्माण इकाइयां होंगी। इसमें घरेलू विनिर्माण और निर्यात के लिए इकाइयां भी शामिल हैं।
यह क्लस्टर 4,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करेगा। इससे 25,000 प्रत्यक्ष रोजगार और एक लाख अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। इसमें महिलाओं की अधिक भागीदारी की उम्मीद है।
इस क्लस्टर विभिन्न प्रकार के खिलौनों का निर्माण किया। इसमें इलेक्ट्रॉनिक खिलौने, प्री-स्कूल खिलौने, आउटडोर खिलौने, शिशु खिलौने, गुड़िया, शैक्षिक खिलौने शामिल हैं। रिमोट से नियंत्रित कारों, इलेक्ट्रॉनिक वाहनों और राइड-ऑन खिलौनों के लिए काफी बड़ा बाजार उपलब्ध हैं।
महत्व
भारत का खिलौना उद्योग अत्यधिक खंडित है। भारत में 4,000 से अधिक खिलौना निर्माण इकाइयाँ काम कर रही हैं। हालांकि, इनमें से केवल 10% खाते ही संगठित क्षेत्र की हैं। इसलिए, इस तरह के और अधिक क्लस्टर बनाना आवश्यक है।
पृष्ठभूमि
फरवरी 2021 में, भारत सरकार ने 2,300 करोड़ रुपये की लागत से आठ खिलौना निर्माण समूहों को मंजूरी दी। इनमें से तीन मध्य प्रदेश में, एक-एक उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में और दो राजस्थान में स्थापित किये जायेंगे।
भारतीय टॉय स्टोरी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना का हिस्सा
इस योजना के तहत क्लस्टर लांच किये जायेंगे। इसका मकसद आयात पर निर्भरता कम करना है। 2020 में भारत का खिलौना आयात 1.5 बिलियन डालर था। इनमें से 90% चीन और ताइवान से थे। इस योजना का लक्ष्य देश में 35 टॉय क्लस्टर स्थापित करना है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1 PRE
डिजिटल युआन वॉलेट एप्स
डिजिटल युआन चीन की डिजिटल मुद्रा है। इसे पहली बार 2014 में लॉन्च किया गया था और तब से यह काम कर रहा है (टेस्ट वर्किंग)। डिजिटल युआन क्रिप्टोकरेंसी नहीं है। इसे सेंट्रल बैंक ऑफ चाइना द्वारा नियंत्रित किया जाता है। चीन सरकार की शीतकालीन ओलंपिक 2022 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्रा को लॉन्च करने की योजना है। यह फिएट मुद्रा (कागज मुद्रा) के मूल्य के बराबर है।
डिजिटल युआन कैसे काम करता है?
डिजिटल युआन के कामकाज में दो पहलू हैं। वितरण और व्यय (लोग इसे कैसे खर्च करते हैं?)। डिजिटल युआन चीन के केंद्रीय बैंक द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को वितरित किया जाता है। वाणिज्यिक बैंक तब जनता को डिजिटल मुद्रा प्रदान करते हैं। ग्राहक डिजिटल युआन के लिए नकद का आदान-प्रदान कर सकते हैं। लोगों को डिजिटल युआन प्राप्त करने के लिए मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करना होगा। इन्हें डिजिटल युआन वॉलेट एप्स कहा जाता है।
यह अब सुर्ख़ियों में क्यों है?
डिजिटल युआन वॉलेट एप्स अब Android और Apple स्टोर्स में उपलब्ध हैं। इस एप्प को पहली बार 2019 में लॉन्च किया गया था। एप्प का उपयोग करने वाले यूजर्स की संख्या बढ़कर 10 मिलियन हो गई है।
क्या यह बिटकॉइन के समान है?
नहीं, यह बिटकॉइन की तरह अन्य डिजिटल मुद्राओं की तरह काम नहीं करता है। बिटकॉइन को केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है। यह बाजार द्वारा नियंत्रित किया जाता है। मान लीजिए कोई कंपनी डिजिटल करेंसी X जारी करती है। कंपनी का कारोबार बढ़ने पर बाजार में X की वैल्यू बढ़ जाती है। यदि इसका निर्यात आयात से अधिक है। हालाँकि, डिजिटल युआन के साथ ऐसा नहीं है। डिजिटल युआन का मूल्य पूरी तरह से केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.3
भारत में चीता (Cheetah) लाने के लिए कार्य योजना
5 जनवरी, 2022 को, केंद्र सरकार ने भारत में चीता को लाने के लिए एक कार्य योजना लांच की।
मुख्य बिंदु
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) की 19वीं बैठक में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा ‘Action Plan for Introduction of Cheetah in India’ जारी की गई।
- इस कार्य योजना के तहत, अगले पांच वर्षों में भारत में 50 चीता लाये जायेंगे।
- दक्षिण अफ्रीका या नामीबिया से लगभग 12 से 14 चीतों का आयात किया जाएगा।
- प्रत्येक चीता उपग्रह-जीपीएस-हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो-कॉलर से सुसज्जित होगा।
अंतर्राष्ट्रीय परिवहन
चीतों का अंतर्राष्ट्रीय परिवहन या तो एक वाणिज्यिक एयरलाइन या चार्टर्ड उड़ान द्वारा किया जाएगा। उन्हें मध्य प्रदेश के कुनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान (Kuno Palpur National Park – KNP) ले जाया जाएगा।
सहयोग के लिए रूपरेखा
इस योजना के तहत केंद्र सरकार, पर्यावरण मंत्रालय और चीता टास्क फोर्स नामीबिया और/या दक्षिण अफ्रीका की सरकारों के साथ सहयोग करने के लिए एक औपचारिक ढांचा तैयार करेंगे।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण
- यह पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है, जो 2006 में संशोधित वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत गठित है।
- इसकी स्थापना पर्यावरण और वन मंत्री के अध्यक्षता में की गई है।
- इस प्राधिकरण में आठ विशेषज्ञ या पेशेवर होते हैं, जिनके पास वन्यजीव संरक्षण और आदिवासियों सहित अन्य लोगों के कल्याण का अनुभव होता है।
- इन आठ में से तीन संसद सदस्य होते हैं, जिनमें से दो लोक सभा तथा एक राज्य सभा का सदस्य होता है।
- प्रोजेक्ट टाइगर के प्रभारी वनों का महानिरीक्षक इसमें पदेन सदस्य सचिव के रूप में कार्य करता है।
कार्य
- एनटीसीए भारत में बाघों के संरक्षण के लिए व्यापक निकाय है।
- इसका मुख्य प्रशासनिक कार्य राज्य सरकारों द्वारा तैयार बाघ संरक्षण योजना को स्वीकार करना है और फिर टिकाऊ पारिस्थितिकी के विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन करना और बाघों के आरक्षित क्षेत्र के भीतर किसी भी पारिस्थितिक रूप से अस्थिर भूमि उपयोग जैसे खनन, उद्योग और अन्य परियोजनाओं को अस्वीकार करना है।
भारत में चीता
- इस योजना के तहत भारत में उन क्षेत्रों में चीता की आबादी की पेश करना शामिल है जहां वे पहले मौजूद थे। लेकिन राजाओं और मुगल काल के साथ-साथ ब्रिटिश राज के दौरान अत्याधिक शिकार के कारण वे विलुप्त हो गये। मुगल बादशाह अकबर चिकारे और काले हिरणों का शिकार करने के लिए चीता पालते थे। 1948 में कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने भारत के तीन आखिरी एशियाई चीतों को मार गिराया था।
चीता (Cheetah)
- चीता का वैज्ञानिक नाम एसिनोनिक्स जुबेटस (Acinonyx jubatus) है। वे अफ्रीका और मध्य ईरान के मूल निवासी हैं। वे 80 से 128 किमी/घंटा की गति से दौड़ने वाले सबसे तेज जमीन वाले जानवर हैं। उन्हें IUCN रेड लिस्ट में ‘कमजोर’ (vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
SOURCE-THE HINDU
PAPER-G.S.3