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पनामा नहर को ‘वापस मांगने’ की डोनाल्ड ट्रंप की धमकी:

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पनामा नहर को ‘वापस मांगने’ की डोनाल्ड ट्रंप की धमकी:

चर्चा में क्यों है?

  • अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 21 दिसंबर को पनामा पर अमेरिकी जहाजों को पनामा नहर का उपयोग करने देने के लिए अत्यधिक शुल्क लेने का आरोप लगाया। पनामा नहर अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ने वाला कृत्रिम जलमार्ग है।
  • उल्लेखनीय है कि डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “हमारी नौसेना और वाणिज्यिक जहाजों के साथ बहुत ही अनुचित और अविवेकपूर्ण तरीके से व्यवहार किया गया है। हमारे देश के साथ यह पूरा ‘धोखा’ तुरंत बंद हो जाना चाहिए”। साथ ही धमकी दी कि “अगर पनामा ने इसका पालन नहीं किया तो अमेरिका नहर को अपने नियंत्रण में ले लेगा”।

पनामा नहर क्या है और यह अमेरिका के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

  • आज, पनामा नहर में प्रतिवर्ष लगभग 14,000 पारगमन दर्ज किए जाते हैं, हालांकि, हाल के वर्षों में झील के सूखने के कारण यह संख्या कम हो गई है। विश्व व्यापार का लगभग 6 प्रतिशत (मूल्य के हिसाब से) इसके माध्यम से गुजरता है।
  • उल्लेखनीय है कि पनामा नहर के निर्माण की कल्पना लंबे समय से की जा रही थी, क्योंकि दक्षिण अमेरिका के सिरे से होकर अटलांटिक से प्रशांत महासागर तक जाना महंगा और समय लेने वाला काम था।
  • इसका निर्माण 1904 और 1914 के बीच हुआ था, जिसका श्रेय मुख्य रूप से अमेरिकी प्रयासों को जाता है। तब तक, इस क्षेत्र की अनूठी चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति के कारण नहर का निर्माण करना मुश्किल माना जाता था। लेकिन यह भौगोलिक चुनौती संयुक्त राज्य अमेरिका को नहीं रोक पाया।
  • राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने कांग्रेस को दिए एक भाषण में इस परियोजना के बारे में कहा, “इस महाद्वीप पर किया जाने वाला कोई भी महान भौतिक कार्य… अमेरिकी लोगों के लिए इतना महत्वपूर्ण नहीं है”।

  • उल्लेखनीय है कि 1903 तक पनामा, कोलंबिया के नियंत्रण में था, लेकिन अमेरिका समर्थित तख्तापलट ने पनामा को स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद की। बदले में, अमेरिका को 1903 की ‘हे-बुनौ-वरिला’ संधि के माध्यम से नहर बनाने और संचालन करने के अधिकार और ‘पनामा नहर क्षेत्र’ के स्थायी अधिकार प्राप्त हुए।

पनामा नहर के निर्माण में अमेरिका की क्या भूमिका थी?

  • पनामा नहर के निर्माण से जुड़ी इंजीनियरिंग समस्या का अमेरिकी समाधान “लॉक” या प्रवेश और निकास द्वार वाले डिब्बों की एक प्रणाली थी जो खुल या बंद हो सकते थे। “लॉक” पानी को ऊपर उठाने का काम करते हैं: वे जहाजों को समुद्र तल से गतुन झील (समुद्र तल से 26 मीटर ऊपर) के स्तर तक उठाते हैं; इस प्रकार, जहाज पनामा नहर के चैनल से होकर गुजरते हैं।
  • हालांकि पनामा नहर का निर्माण प्रयास अंततः सफल हुए, लेकिन वे 30 करोड़ डॉलर से अधिक की लागत पर हुआ, जो उस समय अमेरिकी इतिहास की सबसे महंगी निर्माण परियोजना थी और इसमें हजारों श्रमिकों की जान चली गई।

अमेरिका ने पनामा नहर का नियंत्रण, पनामा क्यों दे दी?

  • उल्लेखनीय है कि पनामा नहर के खुलने के बाद से ही इसका नियंत्रण पनामा और अमेरिका के बीच विवाद का विषय बन गया, जिसके कारण 1964 में इस क्षेत्र में दंगे हुए। कई बार बातचीत के प्रयास भी किए गए, लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिली।
  • लेकिन राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा 1977 में टोरीजोस-कार्टर संधियों पर हस्ताक्षर किए गए।

टोरीजोस-कार्टर संधियां:

  • टोरीजोस-कार्टर संधियों ने 1903 की ‘हे-बुनौ-वरिला संधि’ का स्थान लिया।
  • इन संधियों से अमेरिका को “अपनी तटस्थता के लिए किसी भी खतरे” के खिलाफ पनामा नहर की सैन्य रूप से रक्षा करने की शक्ति मिली।
  • इसके अलावा, इसके अनुसार पनामा नहर क्षेत्र 1 अक्टूबर, 1979 को अस्तित्व में नहीं रहा और पनामा नहर को 31 दिसंबर, 1999 को पनामा वासियों को सौंप दिया गया।
  • डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि ऐसा करके अमेरिका ने पनामा के साथ “असाधारण उदारता” दिखाया है और “यदि इस उदार दान के नैतिक और कानूनी दोनों सिद्धांतों का पालन नहीं किया जाता है, तो हम मांग करेंगे कि पनामा नहर हमें पूरी तरह से और बिना किसी सवाल के वापस कर दी जाए”।

पनामा नहर के प्रबंधन में चीन की भूमिका:

  • डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि चीन को नहर का प्रबंधन नहीं करना चाहिए। थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डैनियल एफ. रुंडे ने 2021 में लिखा था कि “चीनी कंपनियां पनामा के लॉजिस्टिक, बिजली और निर्माण क्षेत्रों में नहर और उसके आसपास के बुनियादी ढांचे से संबंधित अनुबंधों में भारी रूप से शामिल रही हैं”।
  • यह चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना से भी संबंधित है। दक्षिण अमेरिका में पिछले दशक में चीनी निवेश में वृद्धि देखी है। जबकि यह एक ऐसा क्षेत्र जिसे पारंपरिक रूप से अमेरिका अपने प्रभाव क्षेत्र के रूप में देखता है।
  • उल्लेखनीय है कि 2018 में BRI पर हस्ताक्षर करने वाला पहला लैटिन अमेरिकी देश पनामा ही था। वहीं पिछले महीने ही, पेरू में चीन द्वारा निर्मित और स्वामित्व वाले एक विशाल शिपिंग टर्मिनल का उद्घाटन किया गया है।

 

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