भारत में कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी को विश्व औसत के बराबर पहुंचाने का प्रयास:
परिचय:
- राष्ट्रीय कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को वैश्विक औसत तक बढ़ाने के लिए भारत सरकार एक खाका तैयार कर रहा है, जिसे सरकार 2047 तक अपने विकसित राष्ट्र लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण मानती है।
- उल्लेखनीय है कि विचाराधीन प्रस्ताव में रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहन, देखभाल अर्थव्यवस्था का विकास, तथा अधिकाधिक महिलाओं को श्रम बल में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु वित्त तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना शामिल है।
सरकार के स्तर पर नीति को लेकर प्रयास:
- महिला एवं बाल विकास तथा श्रम एवं रोजगार मंत्रालयों के साथ-साथ नीति आयोग के बीच संभावित हस्तक्षेपों पर चर्चा शुरू हो गई है।
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा नीति बनाने से पहले हितधारकों के साथ परामर्श करने के लिए एक समिति गठित करने की संभावना है।
- उल्लेखनीय है कि आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार, भारत में महिला श्रम बल भागीदारी 2022-23 में 37% तक सुधरी है, जो 2021-22 में 32.8% थी।
- हालांकि, यह अभी भी 50% से अधिक के वैश्विक औसत की तुलना में बहुत कम है।
‘विमेनोमिक्स (Womenomics)’ का क्या मतलब है?
- उल्लेखनीय है कि महिलाएं लंबे समय से दुनिया में एक अप्रयुक्त आर्थिक संसाधन रही हैं। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय शिंजो आबे ने 2013 में ‘विमेनोमिक्स’ की नीति शुरू करके इसे बदलने का फैसला किया।
- उन्होंने महिलाओं के रोजगार को बढ़ाने और उनके सशक्तिकरण के लिए एक योजना शुरू की, जो ‘विमेनोमिक्स’ के रूप में जानी जाती है, और अबे की आर्थिक विकास रणनीति का एक स्तंभ रही है।
- ‘विमेनोमिक्स’ इस विचार पर आधारित एक नीति है कि एक देश महिलाओं को, उनके कौशल, प्रतिभा और महत्वाकांक्षाओं से मेल खाने वाली नौकरियों और वेतन से पुरस्कृत करके, कार्यबल में उनकी भागीदारी बढ़ाकर, अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकता है।
- ‘विमेनोमिक्स’ का विचार है कि महिलाओं की आर्थिक उन्नति से समग्र रूप से अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।
कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी कैसे बढ़ाई जा सकती है?
- उल्लेखनीय है कि सरकार के सामने एक प्रमुख चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि महिला कार्यबल की मांग और पूर्ति दोनों उपलब्ध हों।
- इसके लिए घरेलू काम के मुद्दे को संबोधित करने की जरूरत है, जिससे महिलाओं को बाहर नौकरी करने के लिए स्वतंत्र किया जा सके।
- इसके अलावा, देखभाल अर्थव्यवस्था का विकास कार्यबल में महिलाओं की मांग को काफी हद तक बढ़ सकता है और उनके लिए बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा कर सकता है।
- पिछले हफ्ते प्रकाशित रॉयटर्स की जाँच के अनुसार फॉक्सकॉन द्वारा संचालित और आईफोन बनाने वाली एक फैक्ट्री ने घर पर अपनी जिम्मेदारियों के कारण विवाहित महिलाओं को काम पर रखने से परहेज़ किया है।
महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी बढ़ाने में विनिर्माण क्षेत्र मददगार हो सकता है:
- चूंकि अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड कुछ विनिर्माण भारत में स्थानांतरित करके चीन पर अपनी निर्भरता सीमित कर रहे हैं, इसलिए इस प्रवृत्ति में विनिर्माण क्षेत्र में महत्वपूर्ण संख्या में नौकरियां पैदा करने की क्षमता है।
- पिछली आधी सदी में कई एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में, विनिर्माण का उदय ऊपर की ओर सामाजिक गतिशीलता का एक शक्तिशाली बल रहा है। महिलाएं इस परिवर्तन के केंद्र में थीं।
- विश्व बैंक द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, वियतनाम में, जहाँ कारखानों में उछाल विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा है, 15 वर्ष से अधिक आयु की 68% से अधिक महिलाएँ और लड़कियाँ किसी न किसी प्रकार के वेतन पर काम कर रही हैं। चीन में यह दर 63% है; थाईलैंड में 59%; और इंडोनेशिया में 53%।
- जबकि भारत में, आधिकारिक सर्वेक्षणों में गिने गए नौकरियों में 33% से कम महिला वेतनभोगी काम में लगी हुई है।
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