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1975 का आपातकाल और राष्ट्रीय आपातकाल को लेकर संवैधानिक प्रावधान:

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1975 का आपातकाल और राष्ट्रीय आपातकाल को लेकर संवैधानिक प्रावधान:  

पृष्ठभूमि: 

  • 49 साल पहले 1975 में 25 जून को इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली सरकार ने देश पर इमरजेंसी थोपी थी। इस दौरान लोगों से उनके मौलिक अधिकार तक छीन लिए गए थे।
  • वैसे यह पहली बार नहीं था जब देश में आपातकाल लगाया गया, लेकिन जिस वजह से और जिन परिस्थितियों में इसकी घोषणा की गई थी, उससे पूरे देश में उथल-पुथल मच गई थी। 1975 के पहले भी देश में दो बार इमरजेंसी लगाई गई थी, लेकिन दोनों ही बार इसके पीछे ठोस वजह थी।

राष्ट्रीय आपातकाल कब और कैसे लगता है?

  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार है। राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा तब की जा सकती है जब राष्ट्रपति को लगता है कि भारत या उसके किसी हिस्से की सुरक्षा युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह से ख़तरे में है।
  • राष्ट्रपति ऐसी घोषणा केवल मंत्रिमंडल की लिखित सलाह पर ही कर सकते हैं। ऐसी उद्घोषणा का संकल्प संसद के प्रत्येक सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थिति व मतदान करने वाले सदस्यों को 2/3 बहुमत द्वारा पारित किया जाना आवश्यक होगा।
  • राष्ट्रीय आपात की घोषणा को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाता है तथा एक महीने के अंदर अनुमोदन न मिलने पर यह प्रवर्तन में नहीं रहती, किंतु एक बार अनुमोदन मिलने पर छह माह के लिये प्रवर्तन में बनी रह सकती है।
  • जब आपातकाल की घोषणा युद्ध अथवा बाह्य आक्रमण के आधार पर की जाती है, तब इसे बाह्य आपातकाल के नाम से जाना जाता है। दूसरी ओर, जब इसकी घोषणा सशस्त्र विद्रोह के आधार पर की जाती है तब इसे ‘आंतरिक आपातकाल’ के नाम से जाना जाता है।
  • राष्ट्रीय आपात की उद्घोषणा संपूर्ण देश अथवा केवल इसके किसी एक भाग पर लागू हो सकती है।
  • मिनर्वा मिल्स मामले (1980) में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा को अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
  • राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 19 (भाषण, सभा आदि की स्वतंत्रता) द्वारा प्रदत्त अधिकार स्वतः ही निलंबित हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रपति अन्य मूल अधिकारों के निलंबन (अनुच्छेद 20 तथा 21 द्वारा प्रदत्त अधिकारों को छोड़कर) से संबंधित प्रवर्तन के लिए न्यायालय जाने के अधिकार को भी निलंबित कर सकते हैं।
  • भारत में अब तक 1962, 1971 तथा 1975 में कुल तीन बार, अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया था।

1962 में लगा पहला आपातकाल:

  • पहली बार देश में आपातकाल 26 अक्टूबर 1962 से 10 जनवरी 1968 के बीच लगा। यह वह दौर था जब भारत और चीन के बीच युद्ध चल रहा था।
  • उस समय आपातकाल की घोषणा इसलिए की गई, क्योंकि तब “भारत की सुरक्षा” को “बाहरी आक्रमण से खतरा” घोषित किया गया था। इस वक्त देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे।

 1971 में दूसरा आपातकाल:

  • दूसरी बार 3 से 17 दिसंबर 1971 के बीच आपातकाल लगाया गया। यह वह वक्त था जब भारत-पाकिस्तान युद्ध चल रहा था। इस वक्त भी देश की सुरक्षा को खतरा देखते हुए आपातकाल की घोषणा की गई थी। 1971 में भी बाहरी आक्रमण का खतरा देखते हुए आपातकाल की घोषणा की गई थी। उस समय वीवी गिरी राष्ट्रपति थे।

1975 का आपातकाल:

  • तीसरी बार इमरजेंसी की घोषणा इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए 25 जून 1975 को की गई, तब आपातकाल लागू करने के पीछे कारण देश में आंतरिक अस्थिरता को बताया गया। इंदिरा कैबिनेट ने तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से आपातकाल की घोषणा करने की सिफारिश की। यह आपातकाल 21 मार्च 1977 तक लागू रहा।

तीसरे आपातकाल पर क्यों मचता है इतना बवाल?

  • तीसरे आपातकाल को राजनीतिक दल अलोकतांत्रिक फैसला बताते हुए इंदिरा सरकार और कांग्रेस को घेरते रहते हैं।
  • जिन परिस्थितियों में आपातकाल लागू करने की घोषणा की गई थी, जिस तरीके से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसकी जानकारी दी, उसे लेकर सवाल उठे हैं। इंदिरा सरकार के फैसले को तानाशाही बताते हुए विभिन्न संगठन इसके खिलाफ उतर आए और भारी विरोध शुरू हो गया था।
  • दरअसल, 1975 में आपातकाल लागू करने की घोषणा इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद आया था, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर 12 जून 1975 को फैसला सुनाया था।
  • हाईकोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रायबरेली से निर्वाचन को रद्द कर दिया था और अगले 6 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लगा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था। इसके बाद आपातकाल की घोषणा की गई थी।
  • घटनाओं के एक आश्चर्यजनक मोड़ में, इंदिरा गांधी ने 18 जनवरी, 1977 को चुनावों की घोषणा की और सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा कर दिया। आम चुनाव 16 मार्च से 20 मार्च के बीच हुए और 21 मार्च, 1977 को आधिकारिक तौर पर आपातकाल हटा लिया गया। यह स्वतंत्रता के बाद भारत के इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक का अंत था।

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