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नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन द्वारा फिलिस्तीन को औपचारिक मान्यता:

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नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन द्वारा फिलिस्तीन को औपचारिक मान्यता:

 चर्चा में क्यों है? 

  • नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन ने 22 मई को घोषणा की कि वे औपचारिक रूप से फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देंगे, जिसकी अरब और मुस्लिम दुनिया के कई देशों ने प्रशंसा की। फिलिस्तीन को मान्यता 28 मई को मिलने की उम्मीद है।
  • इजरायल ने इन घोषणाओं पर उग्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इन देशों में अपने राजदूतों को वापस बुला लिया।
  • यूरोपीय देशों की यह घोषणा संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासभा में 193 देशों में से 143 द्वारा फिलिस्तीन राज्य के लिए यूएन की पूर्ण सदस्यता के लिए मतदान करने के कुछ सप्ताह बाद आई है।

इन देशों द्वारा फिलिस्तीन को मान्यता की घोषणा क्यों की गयी है?

  • आयरलैंड का मत:
  • आयरलैंड के प्रधानमंत्री साइमन हैरिस ने इस मान्यता को ब्रिटेन से आयरलैंड के स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा।
  • आयरलैंड का मानना ​​है कि फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने से पश्चिम एशिया में शांति और सुलह होगी। आयरलैंड ने अपने पड़ोसियों के साथ “सुरक्षित रूप से और शांति से रहने” के इजरायल के अधिकार को भी मान्यता दी है।
  • आयरलैंड के प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि रफा में कोई और सैन्य हमला नहीं होनी चाहिए, तथा हमास और हिजबुल्लाह द्वारा इजरायल पर कोई और रॉकेट नहीं दागा जाना चाहिए।
  • नॉर्वे का मत:
  • नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोरे ने कहा कि युद्ध के बीच, जिसमें हजारों लोग मारे गए हैं और घायल हुए हैं, हमें एकमात्र विकल्प को जीवित रखना होगा जो इजरायलियों और फिलिस्तीनियों दोनों के लिए एक राजनीतिक समाधान प्रदान करता है: दो राज्य, शांति और सुरक्षा में एक साथ रहते हुए। फिलिस्तीन की मान्यता अब संघर्ष के समाधान तक इंतजार नहीं कर सकती।
  • नॉर्वे दशकों से इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति वार्ता में शामिल रहा है, जिसमें ओस्लो प्रक्रिया की शुरुआत की मेजबानी भी शामिल है, जिसकी परिणति 1990 के दशक के मध्य में ‘ओस्लो शांति समझौते’ के रूप में हुई, ये समझौते संघर्ष के समाधान और दो राज्य समाधान की ओर अग्रसर थे।
  • स्पेन का मत: स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने संसद को बताया कि स्पेन द्वारा यह घोषणा कि वह फिलिस्तीन को मान्यता देगा, इजरायल के विरुद्ध नहीं है, बल्कि यह “शांति, न्याय और नैतिक स्थिरता” के पक्ष में उठाया गया कदम है।

इजराइल की इसको लेकर आलोचनात्मक प्रतिक्रिया:

  • इज़राइल ने आरोप लगाया कि फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास द्वारा 7 अक्टूबर को किए गए हमले के बाद यह कदम “आतंकवाद को बढ़ावा देना” है, जिससे गाजा युद्ध छिड़ गया।
  • इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि यह कदम फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास द्वारा 7 अक्टूबर को किए गए हमले के बाद “आतंकवाद के लिए इनाम” के समान है।
  • इजरायल ने तत्काल कहा कि वह डबलिन, ओस्लो और मैड्रिड में अपने दूतों को “तत्काल परामर्श” के लिए वापस बुला रहा है, तथा उसने तीन यूरोपीय राजदूतों को भी तलब किया है।

अमेरिकी प्रतिक्रिया:

  • अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने फिलिस्तीनी राज्य की एकतरफा मान्यता का विरोध करते हुए कहा कि इसे “सीधी बातचीत के माध्यम से” साकार किया जाना चाहिए। अमेरिका सहित अधिकांश पश्चिमी देश कहते रहें हैं कि वे एक दिन फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने के लिए तैयार हैं – लेकिन ऐसा तब तक नहीं होगा जब तक कि अंतिम सीमाओं और यरुशलम की स्थिति सहित अन्य जटिल मुद्दों का समाधान नहीं हो जाता।

 

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