भारत में पहली बार ICA वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024 का आयोजन:
चर्चा में क्यों है?
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 नवंबर को दिल्ली के भारत मंडपम में ग्लोबल वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024 की शुरुआत की।
- प्रधानमंत्री ने सहकारिता आंदोलन को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के लिए कोऑपरेटिव एक मॉडल है। लेकिन, भारत के लिए यह संस्कृति का आधार है, जीवनशैली है।
- प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सहकारिताएं केवल संगठनात्मक संरचना नहीं हैं, बल्कि सहयोग और आपसी प्रगति के भारत के सांस्कृतिक लोकाचार का प्रतीक हैं।
अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA):
- अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) एक वैश्विक संगठन है जो दुनिया भर में सहकारी समितियों को एकजुट करता है, उनका प्रतिनिधित्व करता है और उनकी सेवा करता है। इसके 105 देशों में 306 से अधिक संगठन सदस्य हैं।
- 1895 में लंदन, इंग्लैंड में प्रथम सहकारी कांग्रेस के दौरान स्थापित यह सबसे पुराने और सबसे बड़े गैर-सरकारी संगठनों में से एक है, जो वैश्विक स्तर पर 1 अरब सहकारी सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है।
- दुनिया भर में लगभग 30 लाख सहकारी समितियों के साथ, ICA सहकारी आंदोलन के लिए शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है, जो सहयोग, ज्ञान के आदान-प्रदान और समन्वित कार्रवाई के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करता है।
- इसके सदस्यों में कृषि, बैंकिंग, उपभोक्ता सामान, मत्स्य पालन, स्वास्थ्य, आवास, बीमा और उद्योग और सेवाओं जैसे आर्थिक क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करने वाले अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय सहकारी संगठन शामिल हैं।
सहकारी समितियाँ क्या होती हैं?
- सहकारी समितियाँ समान आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों का स्वैच्छिक संगठन है जो समान आर्थिक हितों की प्राप्ति के लिए हाथ मिलाते हैं। इसका उद्देश्य स्वयं सहायता और पारस्परिक सहायता के सिद्धांत के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों के हितों की सेवा करना है।
- इसका मुख्य उद्देश्य सदस्यों को सहायता प्रदान करना है। कोई भी व्यक्ति लाभ कमाने के लिए सहकारी समिति में शामिल नहीं होता है। लोग एक समूह के रूप में आगे आते हैं, अपने व्यक्तिगत संसाधनों को एकत्रित करते हैं, उनका सर्वोत्तम संभव तरीके से उपयोग करते हैं, और इससे कुछ साझा लाभ प्राप्त करते हैं।
- भारत में किसी सहकारी समिति का गठन सहकारी समिति अधिनियम, 1912 के प्रावधानों के अनुसार किया जा सकता है। 18 वर्ष से अधिक आयु के कम से कम दस व्यक्ति सहकारी समिति का गठन कर सकते हैं।
भारत में विविध प्रकार की सहकारी समितियां:
- भारत में विविध प्रकार की सहकारी समितियां हैं, जो कई तरह के उद्देश्यों और क्षेत्रों में काम करती हैं। सहकारी समितियों के कुछ प्रमुख प्रकारों में शामिल हैं:
- उपभोक्ता सहकारी समितियां: ये बिचौलियों को हटाकर उचित मूल्य पर उपभोक्ता वस्तुएँ उपलब्ध कराती हैं। उदाहरणों में केंद्रीय भंडार और अपना बाज़ार शामिल हैं।
- उत्पादकों की सहकारी समितियाँ: ये कच्चे माल और उपकरण उपलब्ध कराकर छोटे उत्पादकों की सहायता करती हैं। उदाहरणों में APPCO और हरियाणा हैंडलूम शामिल हैं।
- सहकारी विपणन समितियाँ: ये छोटे उत्पादकों को सामूहिक रूप से अपने माल का विपणन करने में सहायता करती हैं। गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ, AMUL इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
- सहकारी ऋण समितियाँ: ये जमा स्वीकार करके और उचित ब्याज दरों पर ऋण प्रदान करके सदस्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं।
- सहकारी कृषि समितियाँ: ये छोटे किसानों को सामूहिक कृषि पद्धतियों, जैसे लिफ्ट-सिंचाई सहकारी समितियों से लाभ उठाने में सक्षम बनाती हैं।
- आवास सहकारी समितियाँ: ये सदस्यों के लिए भूमि खरीदकर और उसे विकसित करके किफायती आवास विकल्प प्रदान करती हैं।
भारत में सहकारिता क्षेत्र की वस्तुस्थिति:
- भारत का सहकारी क्षेत्र, जो विश्व स्तर पर सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है, 98% ग्रामीण क्षेत्रों को कवर करता है और 8 लाख से अधिक सहकारी समितियों के माध्यम से 30 करोड़ नागरिकों को जोड़ता है।
- भारत में इन सहकारी समितियों ने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की है।
- भारत में सहकारी समितियों के सदस्यों में 60% से अधिक महिलाएं हैं।
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