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भारत भविष्य की नौकरियों के लिए तैयार, लेकिन कौशल में गंभीर अंतर:

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भारत भविष्य की नौकरियों के लिए तैयार, लेकिन कौशल में गंभीर अंतर:

चर्चा में क्यों है?

  • QS वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स 2025 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ग्रीन स्किल्स सहित भविष्य की नौकरियों के लिए तैयारियों के मामले में भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका से बाद दूसरे स्थान पर रखा गया है। लेकिन आर्थिक परिवर्तन के मामले में, भारत को सूचकांक में 40वें स्थान पर और भविष्य की नौकरियों के लिए वांछित कौशल रखने वाले कार्यबल के मामले में 37वें स्थान पर रखा गया है।
  • कुल मिलाकर, भारत सभी संकेतकों में 25वें स्थान पर रहा, जिसमें कौशल और नियोक्ता की जरूरतों, शैक्षणिक तत्परता और आर्थिक परिवर्तन के बीच संरेखण भी शामिल है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यह समग्र रैंकिंग भारत को “भविष्य के कौशल का दावेदार” बनाती है।

QS सर्वेक्षण ने किन संकेतकों को मापा है? 

  • QS वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स विशिष्ट संकेतकों का उपयोग करके यह मूल्यांकन करता है कि देश अंतरराष्ट्रीय नौकरी बाजार की उभरती मांगों को पूरा करने के लिए कितने सुसज्जित हैं।
  • QS (क्वाक्वेरेली साइमंड्स) वैश्विक उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए दुनिया के अग्रणी डेटा विश्लेषण और समाधान प्रदाताओं में से एक है। इस सर्वेक्षण ने QS द्वारा पहचाने गए चार व्यापक संकेतकों का मूल्यांकन किया:
  • भविष्य की नौकरियां: यह भविष्य की नौकरियों में आवश्यक कौशल के लिए भर्ती करने के लिए देश की तत्परता का मूल्यांकन करता है।
  • कौशल फिट: यह मापता है कि देश स्नातकों को नियोक्ताओं की इच्छा के अनुसार कौशल से कितनी अच्छी तरह लैस कर रहे हैं।
  • शैक्षणिक तत्परता: यह मापता है कि काम के भविष्य के लिए कोई देश कितनी अच्छी तरह तैयार है।
  • आर्थिक परिवर्तन: यह विभिन्न प्रमुख संकेतकों की जांच करके काम और कौशल के विकास और भविष्य का समर्थन करने के लिए देश की तत्परता का आकलन करने के लिए एक भारित सूत्र का उपयोग करता है।

इन संकेतकों पर भारत का प्रदर्शन कैसा रहा है?

‘भविष्य के नौकरियों’ संकेतक में भारत दूसरे स्थान पर:

  • भारत ‘भविष्य के नौकरियों’ संकेतक में दूसरे स्थान पर है, जो केवल संयुक्त राज्य अमेरिका से पीछे है, और जर्मनी और कनाडा जैसे देशों से आगे है।
  • यह संकेतक मापता है कि डिजिटल, AI और हरित कौशल की बढ़ती मांग, जो अर्थव्यवस्थाओं के प्रौद्योगिकी-संचालित और टिकाऊ उद्योगों की ओर संक्रमण के लिए महत्वपूर्ण है, को पूरा करने के लिए नौकरी बाजार कितनी अच्छी तरह तैयार है।
  • सर्वेक्षण का मूल्यांकन बड़े पैमाने पर मांग पक्ष से किया गया है, यानी नौकरी पोस्टिंग के माध्यम से। यह स्कोर दुनिया भर में 28 करोड़ से अधिक नौकरी पोस्टिंग के विश्लेषण से प्राप्त किया गया है।

‘कौशल फिट’ में टॉप 30 देशों में भारत सबसे निचले पायदान पर:

  • ‘कौशल फिट’ के मामले में भारत का स्कोर 59.1 रहा, जो कुल मिलाकर शीर्ष 30 देशों में सबसे खराब है।
  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत भर के नियोक्ता तेजी से बदलते आर्थिक परिदृश्य की मांगों को पूरा करने के लिए कार्यबल की क्षमता में एक महत्वपूर्ण अंतर को उजागर कर रहे हैं।
  • यह कमी भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली के लिए एक व्यापक चुनौती को रेखांकित करती है, जो नियोक्ताओं की बदलती जरूरतों के साथ तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रही है।

‘सततता से जुड़े भविष्योन्मुखी नवाचार’ उप-मापदंड में प्रदर्शन सबसे खराब:

  • इस विश्लेषण में भारत को ‘आर्थिक क्षमता’ के मामले में पूरे 100 अंक दिए गए हैं, लेकिन ‘सततता से जुड़े भविष्योन्मुखी नवाचार’ के पैरामीटर पर उसका प्रदर्शन सबसे खराब है, जो दोनों ही ‘आर्थिक परिवर्तन’ के बड़े दायरे के अंतर्गत उप-मापदंड हैं।
  • सततता से जुड़े भविष्योन्मुखी नवाचार’ में भारत को 100 में से केवल 15.6 अंक मिले हैं। इसकी तुलना में G7 देशों को 68.3, यूरोपीय संघ के देशों को 59, एशिया-प्रशांत देशों को 44.7 और अफ्रीकी देशों को 25.4 अंक मिले हैं।

भारत ‘आर्थिक परिवर्तन’ पैरामीटर पर 40वें स्थान पर है:

  • भारत ने ‘आर्थिक परिवर्तन’ पैरामीटर पर 58.3 अंक प्राप्त किए हैं, और 40वें स्थान पर है। भारत का आर्थिक परिवर्तन विकास, श्रमबल दक्षता और उच्च शिक्षा की उभरती भूमिका के परस्पर क्रिया द्वारा संचालित है।
  • हालांकि, निवेश और नवाचार क्षमता में अंतर ऐसी चुनौतियां पेश करता है जो दीर्घकालिक विकास को धीमा कर सकती हैं।
  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अपनी क्षमता को पूरी तरह से साकार करने के लिए, भारत को आर्थिक गति को मजबूत उच्च शिक्षा सुधारों और कौशल विकास के साथ जोड़ना होगा, ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक गतिशील और प्रतिस्पर्धी स्थिति सुनिश्चित हो सके।

‘शैक्षणिक तत्परता’ सूचकांक में भारत 26वें स्थान पर:

  • ‘शैक्षणिक तत्परता’ सूचकांक पर भारत का स्कोर 89.9 है, जो देश को इस पैरामीटर के लिए 26वें स्थान पर रखता है।

भारत की शिक्षा प्रणाली और शिक्षा नीति के बारे में क्या कहा गया है?

  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के स्नातक “आवश्यक प्रासंगिक कौशल में बदलाव की गति के साथ तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं”। भारत का समग्र ‘कौशल फिट’ स्कोर APAC (एशिया-प्रशांत) के समकक्षों की तुलना में कम है।
  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के नियोक्ता तेजी से बदलते आर्थिक परिदृश्य की मांगों को पूरा करने के लिए कार्यबल की क्षमता में एक महत्वपूर्ण अंतर को उजागर कर रहे हैं।
  • यह कमी “भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली के लिए एक व्यापक चुनौती को रेखांकित करती है”। इसे संबोधित करने के लिए, “विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रम में रचनात्मकता, समस्या समाधान और उद्यमशीलता की सोच को शामिल करने को प्राथमिकता देनी चाहिए और शिक्षा को श्रमबल की मांगों के साथ बेहतर ढंग से संरेखित करने के लिए उद्योग के साथ मजबूत सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए”।
  • सरकारी नीति और उच्च शिक्षा नीति को “निरंतर और आजीवन पुनः कौशल कार्यक्रमों में श्रमिकों को फिर से शामिल करने के लिए एक केंद्रित रणनीति की आवश्यकता होगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुशल श्रमिक प्रासंगिक और उत्पादकता में योगदानकर्ता बने रहें”।

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