भारत ने पन्नू मामले में अमेरिकी अदालत द्वारा जारी समन को खारिज कर दिया:
चर्चा में क्यों है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका की एक जिला अदालत ने खालिस्तान समर्थक अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा दायर एक सिविल मुकदमे पर भारत सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रॉ प्रमुख सामंत गोयल सहित अन्य को समन जारी किया है। गुरपतवंत सिंह पन्नू ने पिछले साल अमेरिका में उनकी हत्या की कथित साजिश के लिए हर्जाने की मांग की है।
- भारत ने इन आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है तथा विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 19 सितम्बर को इन्हें “पूरी तरह अनुचित और निराधार आरोप” बताया।
- उल्लेखनीय है कि पन्नू के खिलाफ हत्या की साजिश के आरोपों ने पिछले एक साल में भारत को कूटनीतिक रूप से मुश्किल में डाल दिया है। जबकि भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय संबंधों पर इसके प्रभाव को कम करने की कोशिश की है, पन्नू के इस मुकदमे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा से पहले आक्रामक रुख के रूप में देखा जा रहा है।
क्या है ‘पन्नू मामला’?
- इस मामले में न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले की अदालत से 18 सितंबर को एक समन जारी किया गया है, और इसमें 21 दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है।
- इसमें वरिष्ठ रॉ अधिकारी विक्रम यादव, भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता जो कथित साजिश और भाड़े पर हत्या के आरोप में न्यूयॉर्क जेल में बंद है, और अन्य “संभावित प्रतिवादी जिनकी पहचान फिलहाल अज्ञात है” का भी नाम शामिल है।
- भारत में बैन खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) द्वारा एक्स पर पोस्ट किए गए एक पोस्ट के अनुसार, भारतीय मूल के अमेरिकी-कनाडाई दोहरे नागरिक पन्नू ने एक वकील के माध्यम से मुकदमा दायर किया है।
- पन्नू की 28 पन्नों की शिकायत में कनाडा में सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की मौत का भी जिक्र है। भारत ने पहले भी इन आरोपों का खंडन किया था।
अमेरिकी अदालत द्वारा जारी समन पर भारत की प्रतिक्रिया:
- भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के अनुसार, NSA डोभाल 21-23 सितंबर तक प्रधानमंत्री के साथ अमेरिका की यात्रा पर रहेंगे। इस यात्रा के दौरान, मोदी डेलावेयर में क्वाड लीडर्स समिट और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के साथ-साथ एक उच्च-स्तरीय व्यापार गोलमेज सम्मेलन में भाग लेंगे।
- इस जुलाई में विदेश सचिव का पदभार संभालने वाले विक्रम मिस्री ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, “अब जब यह विशेष मामला दर्ज किया गया है। इससे अंतर्निहित स्थिति के बारे में हमारे विचार नहीं बदलते। मैं केवल आपका ध्यान इस विशेष मामले के पीछे के व्यक्ति की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ, जिसका इतिहास सर्वविदित है”।
- पन्नू को 2020 में गृह मंत्रालय द्वारा भारत की “संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा को चुनौती देने” और खालिस्तान के एक अलग राज्य की वकालत करने के लिए एक ‘व्यक्तिगत आतंकवादी’ नामित किया गया था। सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे), जिस संगठन की इसने स्थापना की थी, उसे 2019 से भारत में UAPA 1967 के तहत गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है।
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