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देश में साइबर धोखाधड़ी से होने वाला नुकसान सकल घरेलू उत्पाद के 0.7 प्रतिशत तक हो सकता है:

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देश में साइबर धोखाधड़ी से होने वाला नुकसान सकल घरेलू उत्पाद के 0.7 प्रतिशत तक हो सकता है:

चर्चा में क्यों है?

  • केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के एक अनुमान के अनुसार, साइबर धोखाधड़ी के कारण भारतीयों को अगले साल 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने की संभावना है।
  • I4C के इस अध्ययन के अनुसार, खच्चर (MULE) बैंक खाते ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में से एक हैं, जो संभावित रूप से देश के सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 प्रतिशत निकाल सकते हैं।
  • धोखाधड़ी का अधिकांश पैसा देश से बाहर ले जाया जा रहा है और अधिकांश घोटाले चीन या चीनी-संबंधित संस्थाओं से जुड़े हैं। घरेलू स्तर पर भी घोटाले चल रहे हैं, जहां कई खातों से गुजरने के बाद एटीएम से पैसा निकाला जाता है।

देश की अर्थव्यवस्था को अपंग करने वाले घोटाले:

  • साइबर घोटाले देश की अर्थव्यवस्था को अपंग करने की क्षमता रखते हैं। इनका इस्तेमाल आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, मार्च से मई के दौरान, भारतीय खातों का उपयोग करके ₹5.5 करोड़ की क्रिप्टो करेंसी खरीदी गई और 350 से अधिक लेन-देन में एक अंतरराष्ट्रीय क्रिप्टो एक्सचेंज के माध्यम से देश के बाहर लॉन्डरिंग की गई।
  • इस वर्ष की पहली छमाही के दौरान, 30 जून तक, गृह मंत्रालय के साइबर अपराध पोर्टल और 1930 हेल्पलाइन के माध्यम से रिपोर्ट की गई वित्तीय धोखाधड़ी से कुल नुकसान ₹11,269 करोड़ था। ऐसे मामले हैं जो पुलिस द्वारा अलग से दर्ज किए जाते हैं और ऐसे भी मामले हैं जब लोग अपराध की रिपोर्ट नहीं करते हैं।

वित्तीय साइबर धोखाधड़ी का वैश्विक तंत्र: 

  • I4C के मुख्य कार्यकारी राजेश कुमार ने 3 जनवरी को कहा था कि जिन साइबर अपराधों की शिकायत प्राप्त होती हैं उनमें से लगभग आधे चीन और कंबोडिया और म्यांमार के कुछ हिस्सों से उत्पन्न होते हैं।
  • I4C की नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली ने देश भर में 18 एटीएम हॉटस्पॉट की पहचान की है, जहाँ से धोखाधड़ी करके पैसे निकाले गए। दुबई, हांगकांग, बैंकॉक और रूस में खच्चर खातों के डेबिट कार्ड का उपयोग करके विदेशी एटीएम से भी नकदी निकासी की सूचना मिली है।
  • भारत सरकार ने कंबोडिया, म्यांमार और लाओस जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में “घोटाला परिसरों” की पहचान की है जो कॉल सेंटरों से मिलते जुलते हैं और निवेश घोटालों के केंद्र के रूप में उभरे हैं। हाल ही में अज़रबैजान में भी घोटाले के परिसरों की पहचान की गई है।

खच्चर (MULE) बैंक खातों पर लगाम लगाने की पहल:

  • I4C की एक प्रस्तुति के अनुसार, जांच एजेंसी हर दिन लगभग 4,000 खच्चर (MULE) बैंक खातों की पहचान करती है।
  • खच्चर खातों पर लगाम लगाने के लिए एक तंत्र विकसित करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक के साथ बैठक कर सकता है। क्योंकि बैंक कर्मियों की जानकारी के बिना खच्चर खाते संचालित नहीं हो सकते हैं।
  • ऐसे में बैंक अधिकारियों को इन खातों को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है अगर वे ऐसे खातों में असामान्य रूप से उच्च मूल्य के लेन-देन देखते हैं जिनमें कम शेष राशि है या जो वेतनभोगी लोगों के हैं। उल्लेखनीय है कि धोखाधड़ी का पैसा आमतौर पर क्रिप्टोकरेंसी के रूप में देश से बाहर ले जाने से पहले इन खातों में जमा किया जाता है।
  • साथ ही बैंकों को एक ही इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) पते से कई बैंक खाता लॉगिन की पहचान करने के लिए अपने सिस्टम को अपडेट करना चाहिए और अगर पता देश के बाहर स्थित है तो कानून प्रवर्तन अधिकारियों को सतर्क करना चाहिए। इसके अतिरिक्त लेन-देन की मात्रा और आवृत्ति में अचानक बदलाव को भी बैंकिंग प्रणाली द्वारा चिह्नित किया जाना चाहिए।

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