Register For UPSC IAS New Batch

‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बजट में नौ प्राथमिकताएं:

For Latest Updates, Current Affairs & Knowledgeable Content.

‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बजट में नौ प्राथमिकताएं:

प्राथमिकता 1: कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता

  • कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का आवंटन।
  • किसानों की खेतीबाड़ी के लिए 32 कृषि और बागवानी फसलों की नई 109 उच्च पैदावार वाली और जलवायु अनुकूल किस्में जारी की जाएगी।
  • प्रमाण-पत्र और ब्रांडिंग व्यवस्था के साथ अगले दो वर्षों में पूरे देश में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक कृषि से जोड़ा जाएगा।
  • प्राकृतिक खेती के लिए 10,000 आवश्यकता आधारित जैव-आदान संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
  • तीन साल में किसानों और उनकी जमीन को शामिल करने हेतु कृषि में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) को लागू किया जाएगा। 400 जिलों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण को अपनाना।
  • नाबार्ड द्वारा झींगा खेती, प्रसंस्करण और विपणन के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

प्राथमिकता 2: रोजगार और कौशल प्रशिक्षण 

  • प्रधानमंत्री पैकेज के भाग के रूप में ‘रोजगार संबद्ध प्रोत्साहन’ के लिए निम्नलिखित 3 योजनाओं योजना क- पहली बार रोजगार पाने वाले, योजना ख- विनिर्माण में रोजगार सृजन, योजना ग- नियोक्‍ताओं को मदद।
  • कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए औद्योगिक सहयोग से महिला छात्रावास और क्रेचों की स्‍थापना; महिला केन्द्रित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन और महिला स्वयं सहायता समूह उद्यम को बाजार तक पहुंच को बढ़ाना।

प्राथमिकता 3: समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय   

  • पूर्वोदय:
    • पूर्वी भारत, प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होने के बावजूद, विकास के मामले में पिछड़ा रहा है। विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, इस क्षेत्र में आर्थिक अवसरों का सृजन करना महत्वपूर्ण है। इसमें बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश शामिल हैं।
    • अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे के साथ गया में औद्योगिक नोड विकसित किया जाएगा।
    • पीरपैंती में 2400 मेगावाट के नए विद्युत संयंत्र सहित विद्युत परियोजनाएं 21,400 करोड़ रुपये की लागत से शुरू की जाएंगी।
  • आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम:
    • बहुपक्षीय विकास एजेंसियों के माध्यम से मौजूदा वित्त वर्ष में 15,000 करोड़ रुपये की विशेष वित्तीय सहायता।
    • विशाखापत्तनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारे में कोप्पर्थी क्षेत्र और हैदराबाद–बेंगलुरु औद्योगिक गलियारे में ओरवाकल क्षेत्र में औद्योगिक केन्द्र।
  • महिलाओं के नेतृत्व में विकास: महिलाओं और लड़कियों को फायदा पहुंचाने वाली योजनाओं के लिए कुल तीन लाख करोड़ रुपये का आवंटन।
  • प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान: जनजातीय-बहुल गांवों और आकांक्षी जिलों में जनजातीय परिवारों का सामाजिक-आर्थिक विकास, इसमें 63,000 गांवों के 5 करोड़ जनजातीय लोग लाभार्थी होंगे।

प्राथमिकता 4: विनिर्माण और सेवाएं

  • एमएसएमई को ऋण सहायता: गिरवी या तृतीय पक्ष गारंटी के बिना मशीनरी और उपकरण की खरीद के लिए विनिर्माण क्षेत्र की एमएसएमई को आवधिक ऋण की सुविधा देने के लिए ऋण गारंटी योजना। एमएसएमई को उनके संकट अवधि के दौरान बैंक ऋण जारी रखने की सुविधा के लिए एक नई व्यवस्था।
  • मुद्रा लोन: ‘तरुण’ श्रेणी के अंतर्गत मुद्रा ऋणों की सीमा को उन उद्यमियों के लिए मौजूदा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया जाएगा जिन्होंने पहले के ऋणों को सफलतापूर्वक चुका दिया है।
  • एमएसएमई क्षेत्र में 50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इरेडिएशन इकाइयां स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।
  • एमएसएमई तथा पारंपरिक कारीगरों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने में सक्षम बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
  • महत्वपूर्ण खनिज मिशन: घरेलू उत्पादन, महत्वपूर्ण खनिजों की रिसाइक्लिंग और विदेशों में महत्वपूर्ण खनिज संपदा का अधिग्रहण करने के लिए महत्वपूर्ण खनिज मिशन की स्थापना होगी।
  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना अनुप्रयोग: ऋण, ई-कॉमर्स, शिक्षा, स्वास्थ्य, विधि और न्याय, लॉजिस्टिक्स, एमएसएमई, सेवा प्रदायगी और शहरी शासन के क्षेत्र में डीपीआई अनुप्रयोगों का विकास।

प्राथमिकता 5: शहरी विकास

  • पारगमन उन्मुख विकास: 30 लाख से अधिक जनसंख्या वाले 14 बड़े शहरों के कार्यान्वयन और वित्तपोषण के लिए पारगमन उन्मुख विकास योजनाओं और रणनीतियों का निर्माण।
  • शहरी आवास: प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी 2.0 के अंतर्गत, 2.2 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता सहित 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश से अगले पांच वर्ष में 1 करोड़ शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों की आवास जरूरतों का समाधान किया जाएगा।
  • स्ट्रीट मार्केट: अगले पांच वर्षों में प्रत्येक वर्ष चुनिंदा शहरों में 100 साप्ताहिक ‘हाट’ या स्ट्रीट फूड हब के विकास में सहायता के लिए नई योजना।

प्राथमिकता 6: ऊर्जा सुरक्षा

  • रोजगार, विकास और पर्यावरण स्थायित्व की आवश्यकता के बीच संतुलन कायम करने के लिए समुचित ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में एक नीतिगत दस्तावेज।
  • विद्युत भंडारण के लिए पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं को बढ़ावा देने की एक नीति।
  • सरकार भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टर तथा परमाणु ऊर्जा के लिए नई प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास के लिए निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करेगी तथा भारत लघु रिएक्टरों की स्थापना करेगी।

प्राथमिकताः 7 अवसंरचना

  • केंद्र सरकार द्वारा अवसंरचना में निवेश: पूंजीगत व्यय के लिए 11,11,111 करोड़ रुपये (जीडीपी का 3.4 प्रतिशत) का प्रावधान।

  • बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए राज्यों को सहायता देने हेतु दीर्घकालिक ब्याज मुक्त ऋण हेतु 1.5 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान।
  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: 25,000 ग्रामीण बसावटों के लिए बारहमासी सड़क संपर्क उपलब्ध कराने हेतु PMGSY का चरण IV आरंभ किया जाएगा।
  • सिंचाई और बाढ़ शमन:
    • बिहार में कोसी-मेची अंतरराज्यीय संपर्क और अन्य योजनाओं के लिए 11,500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता।
    • सरकार असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम को बाढ़, भूस्खलन और अन्य संबंधित परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान करेगी।
  • पर्यटन:
    • विष्णुपद मंदिर गलियारा, महाबोधि मंदिर गलियारा और राजगीर का व्‍यापक विकास।
    • ओडिशा के मंदिरों, स्मारक, शिल्प, वन्य जीव अभयारण्य, प्राकृतिक भू-दृश्य और प्राचीन समुद्री तट के विकास हेतु सहायता।

प्राथमिकता 8: नवाचार, अनुसंधान और विकास

  • बुनियादी अनुसंधान और प्रोटोटाइप विकास के लिए अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान कोष का संचालन किया जाएगा।
  • वाणिज्यिक स्तर पर निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का वित्तपोषण पूल।
  • अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था: अगले 10 वर्षों में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को 5 गुणा बढ़ाने पर निरन्तर जोर देते हुए 1,000 करोड़ रुपये की उद्यम पूंजी निधि स्थापित किया जायेगा।

प्राथमिकता 9: अगली पीढ़ी के सुधार  

  • ग्रामीण भूमि संबंधी कार्यवाहियाँ:
  • सभी भूमियों के लिए विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (ULPIN) या ‘भू-आधार’।
  • संवर्गीय मानचित्रों का डिजिटलीकरण,
  • वर्तमान स्वामित्व के अनुसार मानचित्र उप-प्रभागों का सर्वेक्षण
  • भूमि रजिस्ट्री की स्थापना और
  • कृषक रजिस्ट्री से जोड़ना।
  • शहरी क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों को जीआईएस मैपिंग के साथ अंकीकृत किया जाएगा।
  • श्रमिकों के लिए सेवाएं:
  • ऐसे वन स्‍टॉप समाधान के लिए ई-श्रम पोर्टल को अन्‍य पोर्टलों से जोड़ना।
  • तेजी से बदलते श्रमिक बाजार, कौशल संबंधी जरूरतों और उपलब्‍ध रोजगार की भूमिकाओं के लिए मुक्‍त आर्किटेक्‍चर डाटाबेस।
  • रोजगार के इच्‍छुक लोगों को संभावित नियोक्‍ताओं और कौशल प्रदाताओं के साथ जोड़ने के लिए प्रणाली।

 

नोट : आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए Vajirao & Reddy Institute के साथ जुडें.

नोट : हम रविवार को छोड़कर दैनिक आधार पर करेंट अफेयर्स अपलोड करते हैं

Read Current Affairs in English

Request Callback

Fill out the form, and we will be in touch shortly.

Call Now Button