प्रवासी भारतीय नागरिक (OCI); OCI कार्ड धारकों के अधिकार और विशेषाधिकार:
चर्चा में क्यों है?
- कई प्रवासी भारतीय नागरिक (OCI) कार्ड धारकों द्वारा “विदेशी” के रूप में पुनर्वर्गीकरण किए जाने की शिकायत के मद्देनजर, विदेश मंत्रालय ने 28 सितंबर को कहा कि OIC नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
- इस संदर्भ में न्यूयॉर्क स्थित भारत के महावाणिज्य दूतावास ने स्पष्ट किया कि 2021 से राजपत्र अधिसूचना के प्रावधान लागू रहेंगे, और “OCI कार्ड धारकों के लिए हाल के दिनों में कोई नया बदलाव नहीं किया गया है”।
प्रवासी भारतीय नागरिक (OCI) योजना क्या है?
- अगस्त 2005 में शुरू की गई OCI योजना में भारतीय मूल के सभी व्यक्तियों (PIO) के पंजीकरण का प्रावधान है, जो 26 जनवरी, 1950 या उसके बाद भारत के नागरिक थे या उक्त तिथि को भारत के नागरिक बनने के पात्र थे। ऐसे व्यक्तियों को छोड़कर जो पाकिस्तान, बंगलादेश अथवा ऐसे किसी अन्य देश के नागरिक हैं अथवा थे, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा राजपत्र में निर्दिष्ट किया जाए।
- एक OCI कार्ड धारक – अनिवार्य रूप से एक विदेशी पासपोर्ट धारक – को भारत आने के लिए विदेशी नागरिकों की अपेक्षा कुछ वरीयता एवं विशेषाधिकार मिलता है। शुरुआत में तो, OCI कार्ड धारक को आर्थिक, वित्तीय और शैक्षिक क्षेत्रों में सुविधाओं का लाभ उठाने के मामले में अनिवासी भारतीयों (NRI) के समान सामान्य समानता का अधिकार था, सिवाय कृषि या बागान संपत्तियों के अधिग्रहण से संबंधित मामलों के।
- हालांकि OCI को ‘दोहरी नागरिकता’ नहीं समझा जाना चाहिए। क्योंकि OCI राजनीतिक अधिकार प्रदान नहीं करती है। OCI कार्ड धारक को वोट देने, विधान सभा या विधान परिषद या संसद का सदस्य बनने, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के न्यायाधीश जैसे भारतीय संवैधानिक पदों पर रहने का अधिकार नहीं है। वह लोक नियोजन में अवसरों की समानता के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 16 के अंतर्गत भारत के नागरिक के अधिकारों के हकदार नहीं हैं।
- सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, 2023 में 129 देशों से 45 लाख से अधिक पंजीकृत OCI कार्ड धारक थे। 16.8 लाख से अधिक OCI कार्ड धारकों के साथ अमेरिका सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद यूके (9.34 लाख), ऑस्ट्रेलिया (4.94 लाख) और कनाडा (4.18 लाख) हैं।
OCI के संबंध में नवीनतम नियम क्या हैं?
- 4 मार्च, 2021 को गृह मंत्रालय ने OCI कार्ड धारकों के संबंध में नियमों में संशोधन करते हुए एक गजट अधिसूचना जारी की। वे आज भी लागू हैं।
- इन नियमों के तहत OCI कार्ड धारकों पर कई नए प्रतिबंध लगाए गए, जिनमें OCI के लिए “कोई भी शोध” करने, कोई “मिशनरी” या “तबलीगी” या “पत्रकारिता संबंधी गतिविधियां” करने या भारत में “संरक्षित”, “प्रतिबंधित” या “निषिद्ध” के रूप में अधिसूचित किसी भी क्षेत्र का दौरा करने के लिए विशेष परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता शामिल है। जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश जाने वाले विदेशी नागरिकों पर भी यही प्रतिबंध लागू होते हैं।
- अंत में, अधिसूचना ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 2003 के प्रयोजनों के लिए “अन्य सभी आर्थिक, वित्तीय और शैक्षिक क्षेत्रों” के संबंध में OCI को “विदेशी नागरिकों” के बराबर रखा।
- उल्लेखनीय है कि इसने उस स्थिति को उलट दिया जिसमें OCI को उनके आर्थिक, वित्तीय और शैक्षिक अधिकारों के प्रयोजनों के लिए NRI के बराबर माना जाता था।
क्या यह OCI नियमों में किया गया पहला बदलाव है?
- नहीं। 2021 की अधिसूचना ने 11 अप्रैल, 2005, 5 जनवरी, 2007 और 5 जनवरी, 2009 को जारी की गई तीन पिछली अधिसूचनाओं को हटा दिया, जिसमें OCI के अधिकारों को निर्धारित किया गया था।
- 11 अप्रैल, 2005 के आदेश ने OCI के लिए बहु-प्रवेश आजीवन वीज़ा, किसी भी अवधि के प्रवास के लिए FRRO पंजीकरण से छूट और कृषि और बागान संपत्तियों को छोड़कर सभी आर्थिक, शैक्षिक और वित्तीय क्षेत्रों में NRI के साथ समानता को सक्षम किया।
- 6 जनवरी, 2007 को, कुछ नए खंडों ने OCI को अंतर्देशीय गोद लेने के संबंध में NRI के बराबर माना, घरेलू क्षेत्रों में हवाई किराए में भारतीय नागरिकों के बराबर, और वन्यजीव अभयारण्यों और पार्कों में घरेलू आगंतुकों के समान प्रवेश शुल्क की भी अनुमति दी।
- जनवरी 2009 में किए गए अन्य संशोधनों के तहत, स्मारकों और ऐतिहासिक स्थलों, संग्रहालयों में प्रवेश शुल्क के संबंध में OCI को NRI के साथ समानता प्रदान की गई; डॉक्टरों, सीए, अधिवक्ताओं और वास्तुकारों जैसे व्यवसायों के संबंध में NRI के समकक्ष दर्जा दी गई; तथा अखिल भारतीय पीएमटी या अन्य ऐसे परीक्षाओं में उपस्थित होने के लिए NRI के समकक्ष दर्जा दी गई।
साभार: द इंडियन एक्सप्रेस
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