केंद्र सरकार द्वारा ‘फोर्टिफाइड चावल’ वितरण की योजना का आगे बढ़ाया जाना:
परिचय:
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 9 अक्टूबर को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2021 के तहत मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करने वाली सभी केंद्र सरकार की योजनाओं में फोर्टिफाइड चावल की सार्वभौमिक आपूर्ति को इसके वर्तमान स्वरूप में दिसंबर 2028 तक बढ़ा दिया। कैबिनेट के इस निर्णय का उद्देश्य “एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करना” है।
- उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2022 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने मार्च 2024 तक चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में चावल फोर्टिफिकेशन पहल को लागू करने का निर्णय लिया था। अब सभी तीन नियोजित चरण सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं, और मार्च 2024 तक सार्वभौमिक कवरेज का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है।
खाद्य फोर्टिफिकेशन क्या है?
- भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) की परिभाषा के अनुसार “खाद्य फोर्टिफिकेशन खाद्य पदार्थ में आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा को जानबूझकर बढ़ाना, ताकि खाद्य पदार्थ की पोषण गुणवत्ता में सुधार हो सके और स्वास्थ्य को न्यूनतम जोखिम के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ मिल सके”।
चावल फोर्टिफिकेशन की आवश्यकता क्यों है?
- उल्लेखनीय है कि भारत में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण का स्तर बहुत अधिक है। खाद्य मंत्रालय के अनुसार, देश में हर दूसरी महिला एनीमिया से पीड़ित है और हर तीसरा बच्चा बौनेपन (Stunted) है।
- वहीं 2019 और 2021 के बीच किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, एनीमिया भारत में एक व्यापक समस्या बनी हुई है, जो विभिन्न आयु समूहों और आय स्तरों के बच्चों, महिलाओं और पुरुषों को प्रभावित करती है। आयरन की कमी के अलावा, विटामिन B12 और फोलिक एसिड जैसे अन्य विटामिन और खनिज की कमी भी बनी रहती है, जिससे आबादी के समग्र स्वास्थ्य और उत्पादकता पर असर पड़ता है।
- कुपोषण से निपटने के लिए भोजन को फोर्टिफाइड करना सबसे उपयुक्त तरीकों में से एक माना जाता है। चावल भारत के मुख्य खाद्य पदार्थों में से एक है, जिसका सेवन लगभग दो-तिहाई आबादी करती है। ऐसे में चावल को सूक्ष्म पोषक तत्वों से फोर्टिफाइड करना गरीबों के आहार को पूरक बनाने का एक विकल्प है।
चावल को फोर्टिफाइड करने की प्रक्रिया क्या है?
- कोटिंग, डस्टिंग और ‘एक्सट्रूज़न’ जैसी कई तकनीकें नियमित चावल में सूक्ष्म पोषक तत्व जोड़ने के लिए उपलब्ध हैं। ‘एक्सट्रूडर’ मशीन का उपयोग करके मिश्रण से फोर्टिफाइड चावल कर्नेल (FRK) का उत्पादन शामिल है। इसे भारत के लिए सबसे अच्छी तकनीक माना जाता है। FRK की शेल्फ लाइफ कम से कम 12 महीने होती है। फोर्टिफाइड चावल बनाने के लिए कर्नेल को नियमित चावल के साथ मिलाया जाता है।
- भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत, 10 ग्राम FRK को 1 किलो नियमित चावल के साथ मिलाया जाना चाहिए।
- FSSAI के मानदंडों के अनुसार, 1 किलो फोर्टिफाइड चावल में निम्नलिखित शामिल होंगे: आयरन (28 mg-42.5 mg), फोलिक एसिड (75-125 माइक्रोग्राम), और विटामिन बी-12 (0.75-1.25 माइक्रोग्राम)।
भारत में अब तक फोर्टिफिकेशन पहल कैसी काम कर रही है?
- 2015 में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और स्कूलों में मध्याह्न भोजन (MDM) योजना जैसी विभिन्न केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत वितरित चावल को 2024 तक फोर्टिफाइड किया जाएगा।
- अप्रैल 2022 में, केंद्र ने चावल फोर्टिफिकेशन पहल को लागू करने के लिए एक चरणबद्ध योजना को मंजूरी दी।
- चावल फोर्टिफिकेशन की चरणबद्ध योजना:
- चरण 1: केंद्र की योजना को मंजूरी मिलने से पहले ही चरण 1 को लागू किया जा चुका था। मार्च 2022 तक दो कार्यक्रम – ‘एकीकृत बाल विकास सेवा’ और ‘पीएम पोषण’ – को कवर किया गया।
- चरण 2: इस चरण में 27 राज्यों के 112 आकांक्षी जिलों और 291 उच्च बौनेपन (Stunted) वाले जिलों में पीडीएस और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति मार्च 2023 तक बढ़ा दी गयी।
- चरण 3: इस चरण में देश के सभी शेष जिलों को मार्च 2024 तक इस पहल के तहत कवर किया गया।
- भारत में चावल के फोर्टिफिकेशन की लागत लगभग 2,700 करोड़ रुपये प्रति वर्ष है – जो भारत के वार्षिक कुल खाद्य सब्सिडी बजट का 2% से भी कम है।
- केंद्र ने भारत में फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने के लिए 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
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