सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का रोकथाम) अधिनियम, 2024 लागू:
चर्चा में क्यों है?
- पेपर लीक विवाद के बीच केंद्र सरकार ने 21 जून रात को एक सख्त कानून लागू कर दिया जिसका मकसद प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं को रोकना है।
- उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति द्वारा इस अधिनियम को मंजूरी दिए जाने के लगभग चार महीने बाद 21 जून से लागू हुए इस कानून में अपराधियों के लिए अधिकतम 10 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
सरकार द्वारा यह कानून क्यों लाया गया है?
- हाल के वर्षों में देशभर में भर्ती परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक होने के मामले बहुत बड़ी संख्या में सामने आए हैं।
- द इंडियन एक्सप्रेस की एक जांच में पिछले पांच वर्षों में 16 राज्यों में पेपर लीक के कम से कम 48 मामले सामने आए, जिसमें सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती प्रक्रिया बाधित हुई। पेपर लीक ने लगभग 1.2 लाख पदों के लिए कम से कम 1.51 करोड़ आवेदकों के जीवन को प्रभावित किया।
- ऐसे में इस कानून का उद्देश्य सार्वजनिक परीक्षा प्रणालियों में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता लाना है और युवाओं को आश्वस्त करना है कि उनके ईमानदार और वास्तविक प्रयासों को उचित रूप से पुरस्कृत किया जाएगा और उनका भविष्य सुरक्षित है।
NEET और NET से जुड़ा हालिया विवाद:
- यह कदम 2024 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी-नेट) को रद्द करने को लेकर चल रहे विवाद के बीच महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रथम दृष्टया संकेत मिले हैं कि परीक्षा की सत्यनिष्ठा से समझौता किया गया है। 317 शहरों में 9 लाख से अधिक उम्मीदवारों के इसमें शामिल होने के एक दिन बाद ही इसे रद्द कर दिया गया।
- केंद्र सरकार द्वारा नया पेपर लीक विरोधी कानून पेश किए जाने के बाद यह पहली केंद्रीय रूप से आयोजित सार्वजनिक परीक्षा भी रद्द हो गई।
- शिक्षा मंत्रालय के इस फैसले से एनटीए के वरिष्ठ अधिकारियों को आश्चर्य हुआ, क्योंकि यह पहले से ही नीट स्नातक परीक्षा के आयोजन में कथित अनियमितताओं के लिए आलोचनाओं का सामना कर रहा था, जिसके परिणाम 4 जून को घोषित किए गए थे।
परीक्षा में “अनुचित साधन” के प्रयोग का क्या मतलब है?
- इस अधिनियम में कम से कम 15 कार्यों को सूचीबद्ध किया गया है जो सार्वजनिक परीक्षाओं में “मौद्रिक या गलत लाभ के लिए” अनुचित साधनों का उपयोग करने के बराबर हैं।
- इनमें “प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी या उसके हिस्से का लीक होना और इस तरह के लीक में मिलीभगत”, “सार्वजनिक परीक्षा के दौरान किसी अनधिकृत व्यक्ति द्वारा एक या अधिक प्रश्नों का समाधान प्रदान करना” और सार्वजनिक परीक्षा में “प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उम्मीदवार की सहायता करना” शामिल हैं।
- यह “उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग या किसी उम्मीदवार की योग्यता या रैंक को अंतिम रूप देने के लिए आवश्यक किसी दस्तावेज़ के साथ छेड़छाड़” को भी सूचीबद्ध करता है।
विधेयक में कौन सी परीक्षाएं “सार्वजनिक परीक्षा” के श्रेणी में हैं?
- “सार्वजनिक परीक्षा” को अधिनियम में सूचीबद्ध “सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण” या किसी “ऐसे अन्य प्राधिकरण जिसे केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जा सकता है” द्वारा आयोजित किसी भी परीक्षा के रूप में परिभाषित किया गया है।
- इसमें पांच सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरणों की सूची है: (i) संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी); (ii) कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी); (iii) रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी); (iv) बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस); और (v) नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए)।
- इन नामित सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरणों के अलावा, केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय या विभाग और कर्मचारियों की भर्ती के लिए उनसे जुड़े और अधीनस्थ कार्यालय” भी नए कानून के दायरे में आएंगे।
यह कानून उल्लंघन के लिए सजा का क्या प्रावधान करता है?
- इस अधिनियम के अनुसार सभी अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनयोग्य होंगे।
- “अनुचित साधनों और अपराधों का सहारा लेने वाले किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों” के लिए सजा तीन से पांच साल की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
- एक सेवा प्रदाता जो परीक्षा के संचालन में लगा हुआ है, उस पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना और अन्य दंड लगाया जा सकता है।
- संगठित पेपर लीक के मामलों में अपराध के लिए सजा “कम से कम पांच साल की कैद, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है” और जुर्माना “जो एक करोड़ रुपये से कम नहीं होगा” का प्रावधान है।
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