COVID-19 की दूसरी लहर ने असंगठित क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया: NSSO सर्वेक्षण
परिचय:
- राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा 2021-22 और 2022-23 में किए गए ‘असंगठित क्षेत्र उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण (ASUSE)’ के निष्कर्षों के अनुसार भारत का असंगठित गैर-कृषि क्षेत्र कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हुआ था।
- हालांकि, तब से धीरे-धीरे इसमें सुधार हुआ है, 2022-23 की दूसरी छमाही तक अनेकों असंगठित फर्मों और उनके कर्मचारियों की संख्या में क्रमशः लगभग 6% और 8% की वृद्धि हुई है।
असंगठित क्षेत्र उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण (ASUSE):
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015-16 के बाद से, जिसके बाद NSSO ने वार्षिक सर्वेक्षण करने का फैसला किया था, अनौपचारिक या असंगठित क्षेत्र के उद्यमों पर जारी की जाने वाली यह पहली रिपोर्ट हैं।
- NSSO ने अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 की अवधि के लिए पहला वार्षिक ASUSE सर्वेक्षण और अप्रैल 2020 – मार्च 2021 के लिए एक और सर्वेक्षण प्रस्तावित किया था। हालांकि सर्वेक्षण सालाना आयोजित किए जाते हैं, लेकिन रिपोर्ट कुछ समय के लिए विलंबित हो गई थी।
- NSSO द्वारा 14 जून को जारी किए गए इस सर्वेक्षण डेटा का उपयोग राष्ट्रीय खाता सांख्यिकी संकलित करने में किया जायेगा।
- ध्यातव्य है कि देश का असंगठित क्षेत्र रोजगार पैदा करने, आर्थिक मूल्य बनाने और समग्र सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ASUSE सर्वेक्षण रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
- NSSO के इस सर्वेक्षण का अनुमान है कि असंगठित विनिर्माण, व्यापार और अन्य सेवा गतिविधियां महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हुईं; हालांकि, जुलाई 2021 से स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हुआ।
- असंगठित क्षेत्र उद्यमों की संख्या एवं नौकरियों में तीव्र वृद्धि:
- दूसरे कोविड लॉकडाउन के दौरान अप्रैल से जुलाई 2021 की अवधि में असंगठित उद्यमों की संख्या घटकर 50.3 लाख रह गई, लेकिन बाद के महीनों में इसमें सुधार हुआ और वर्ष 2021-22 में यह बढ़कर 5.97 करोड़ हो गई। ऐसे उद्यमों की संख्या 2022-23 में 5.88% बढ़कर 6.5 करोड़ हो गई।
- सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, इन छोटे व्यवसायों में कार्यरत श्रमिकों की संख्या भी अप्रैल-जुलाई 2021 की अवधि में घटकर 85.6 लाख रह गई, जो पूरे वित्तीय वर्ष 2021-22 में बढ़कर 9.78 करोड़ हो गई।
- 2022-23 में इन फर्मों में कार्यरत श्रमिकों की संख्या बढ़कर 10.96 करोड़ हो गई, लेकिन 2015-16 के स्तर से नीचे रही।
- उल्लेखनीय है कि इससे पहले, ASUSE 2015-16 में, जिसे NSS के 73वें दौर के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था, देश में 6.33 करोड़ असंगठित प्रतिष्ठान थे जिनमें 11.12 करोड़ कर्मचारी कार्यरत थे।
- असंगठित क्षेत्र उद्यमों की सकल मूल्य संवर्धन (GVA) में भी वृद्धि:
- वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में अक्टूबर 2022 और मार्च 2023 की अवधि के दौरान ऐसे उद्यमों द्वारा सकल मूल्य वर्धन (GVA) में मौजूदा कीमतों पर 9.83% की वृद्धि हुई।
- इन प्रतिष्ठानों द्वारा सकल मूल्य संवर्धन (GVA) 2021-22 में 13.4 लाख करोड़ रुपये था और बाद में 2022-23 में बढ़कर 15.42 लाख करोड़ रुपये हो गया।
- 2015-16 के सर्वेक्षण में, इन प्रतिष्ठानों द्वारा जोड़ा गया सकल मूल्य 11.52 लाख करोड़ रुपये था।
- असंगठित क्षेत्र में अधिकांश श्रमिक अनौपचारिक: गैर-कृषि असंगठित क्षेत्र में अधिकांश श्रमिक अनौपचारिक श्रमिक हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, अनौपचारिक श्रमिकों की औसत वार्षिक आय 2021-22 में 1,06,381 रुपये से बढ़कर 2022-23 में 1,10,982 रुपये हो गई।
अनौपचारिक अर्थव्यवस्था क्या होती है?
- IMF के अनुसार अनौपचारिक अर्थव्यवस्था, जिसमें ऐसी गतिविधियां शामिल हैं जिनका बाजार मूल्य है और अगर उन्हें रिकॉर्ड किया जाए तो कर राजस्व और जीडीपी में वृद्धि होगी है।
- अर्थव्यवस्थाओं के विकास के साथ अनौपचारिक क्षेत्र का आकार धीरे-धीरे कम होता जाता है, लेकिन इसको लेकर विभिन्न देशों में व्यापक भिन्नताएँ होती हैं।
- अनौपचारिक क्षेत्र आज भी निम्न और मध्यम आय वाले देशों की आर्थिक गतिविधि का लगभग एक तिहाई हिस्सा है जबकि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में 15 प्रतिशत है।
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