डोनाल्ड ट्रम्प ने कनाडा, पनामा नहर और ग्रीनलैंड पर अपना दावा क्यों ठोका?
चर्चा में क्यों है?
- अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कनाडा, ग्रीनलैंड और पनामा नहर पर अमेरिका का क्षेत्रीय दावा पेश किया है। 75 वर्षों में यह पहली बार है कि संयुक्त राज्य अमेरिका नए क्षेत्रों को हासिल करने की कोशिश करेगा, यदि ट्रम्प 20 जनवरी को पदभार संभालने के बाद इस स्थिति को बनाए रखते हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी रखने के अपने इरादे की भी घोषणा की है।
डोनाल्ड ट्रम्प के ऐसा करने के पीछे की क्या वजहें हैं?
- ग्रीनलैंड की मांग करते हुए ट्रंप ने अपने दावे के लिए अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्र में चीनी और रूसी गतिविधि को आधार बनाया है। पनामा नहर के मामले में उन्होंने राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा और नहर पर चीनी “नियंत्रण” को कारण बताया है। और कनाडा के मामले में उन्होंने अमेरिका द्वारा कनाडा की सैन्य रूप से रक्षा करने और उसे आर्थिक रूप से समर्थन देने, फिर भी व्यापार घाटे से पीड़ित होने का हवाला देते हुए इसे अमेरिका के 51वें राज्य में बदलने का आधार बताया है।
- पहले दो मामलों में उन्होंने सैन्य बल प्रयोग की धमकी दी है, जबकि कनाडा के मामले में उन्होंने अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आर्थिक बल प्रयोग की धमकी दी है।
- अमेरिकी क्षेत्र का विस्तार करने के ट्रंप के घोषित इरादे ने सदियों के इतिहास, संधियों और संप्रभु प्रतिबद्धताओं को उलट दिया है, अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली के मूल आधार को चुनौती दी है और तीन प्रमुख सहयोगियों और भागीदारों – कनाडा, डेनमार्क जिसके पास ग्रीनलैंड पर संप्रभुता है और पनामा के साथ अमेरिका के संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है।
- ट्रंप की घोषणाएं, आव्रजन पर उनकी नीति का ध्यान, और विदेश विभाग में उनकी नियुक्तियां जिनमें विदेश मंत्री मार्को रुबियो की नियुक्ति भी शामिल है – इस पद पर पहले हिस्पैनिक हैं जिनकी लैटिन अमेरिका और चीन दोनों में गहरी रुचि और विशेषज्ञता है – यह भी संकेत देते हैं कि पश्चिमी गोलार्ध पर अमेरिकी प्रभुत्व बनाए रखना नए प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक होगा।
कनाडा पर ट्रंप का दावा:
- 7 जनवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “कनाडा द्वारा हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है। कनाडा को प्रति वर्ष लगभग 200 बिलियन डॉलर और अन्य चीजों की सब्सिडी दी जाती है। उनके पास बहुत छोटी सेना है। वे हमारी सेना पर निर्भर हैं। यह सब ठीक है, लेकिन अमेरिका को इसके लिए भुगतान करना पड़ता है। यह बहुत अनुचित है”।
- यह पूछे जाने पर कि क्या वे कनाडा को अपने अधीन करने के लिए सैन्य बल का उपयोग करने पर विचार करेंगे, ट्रम्प ने तुरंत “आर्थिक बल” जोड़ते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बहुत बेहतर होगा।
- उल्लेखनीय है कि कनाडा पर उनके दावे की शुरुआत नवंबर के अंत में एक रात्रिभोज के दौरान एक मजाक के रूप में शुरू हुआ था, जब पीएम जस्टिन ट्रूडो ने ट्रंप से मुलाकात की थी। उस बैठक के बाद से, ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर ट्रूडो को गवर्नर और कनाडा को 51वां राज्य बताया। लेकिन 7 जनवरी को पहली बार ट्रम्प ने अपने मामले का विस्तृत सिद्धांत पेश किया।
ग्रीनलैंड को ट्रंप क्यों नियंत्रित करना चाहते हैं?
- ग्रीनलैंड कनाडा के उत्तर-पूर्व में स्थित है और यह काफी हद तक ग्रीनलैंड आइस शीट से ढका हुआ है। दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप, लेकिन केवल 60,000 लोगों का घर, यह डेनमार्क के राज्य का एक अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र है, जिसकी अपनी चुनी हुई सरकार है।
- अमेरिका, रूस और यूरोप के बीच इसका स्थान इसे आर्थिक और रक्षा दोनों उद्देश्यों के लिए बेहद रणनीतिक बनाता है – खासकर जब पिघलती समुद्री बर्फ ने आर्कटिक के माध्यम से नए शिपिंग मार्ग खोल दिए हैं। यह सबसे उत्तरी अमेरिकी सैन्य अड्डे का स्थान भी है।
- डोनाल्ड ट्रंप ने 7 जनवरी को कहा कि “हमें राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों के लिए ग्रीनलैंड की आवश्यकता है”। “मैं मुक्त दुनिया की रक्षा के बारे में बात कर रहा हूँ। आप देखें – आपको दूरबीन की भी आवश्यकता नहीं है – आप बाहर देखें। आपके पास हर जगह चीन के जहाज हैं। आपके पास हर जगह रूसी जहाज हैं। हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम ऐसा नहीं होने देंगे”।
- विशेषज्ञों के अनुसार ग्रीनलैंड में तेल, प्राकृतिक गैस और दुर्लभ खनिज संसाधन भी हैं, जिनमें से कुछ का उपयोग सैन्य प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रिक वाहनों सहित अन्य उत्पादों में किया जाता है, जो वर्तमान में अधिकतर रूस और चीन से आते हैं।
ग्रीनलैंड का इतिहास:
- डेनमार्क साम्राज्य ने 18वीं शताब्दी की शुरुआत में ग्रीनलैंड पर उपनिवेश बनाना शुरू किया, सैकड़ों साल बाद उसी देश से वाइकिंग्स पहली बार यहां आकर बसे थे। द्वितीय विश्व युद्ध तक अमेरिका ने ग्रीनलैंड पर अपनी उपस्थिति स्थापित नहीं की थी, जब तक की अमेरिका में तत्कालीन डेनिश राजदूत हेनरिक कॉफ़मैन ने डेनमार्क के नाज़ी शासन के आगे आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया था।
- डेनमार्क को 1945 में नाज़ी कब्जे से आजाद कर दिया गया था, लेकिन अमेरिका ने अपना सैन्य अड्डा, ‘पिटफ़िक स्पेस बेस’ नहीं छोड़ा, जो आज भी अमेरिकी सेना का सबसे उत्तरी अड्डा बना हुआ है।
पनामा नहर क्या है और ट्रंप इसे क्यों चाहते हैं?
- वर्तमान में अमेरिका के लगभग 40% कंटेनर शिपिंग पनामा नहर से होकर गुजरते हैं। यह नहर प्रशांत महासागर और कैरिबियन सागर तथा उसके आगे अटलांटिक महासागर के बीच शॉर्टकट का काम करती है।
- उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति ट्रंप के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका को “आर्थिक सुरक्षा” के लिए पनामा नहर की आवश्यकता है।
- हालांकि पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस पर विरोध किया है। उन्होंने दिसंबर के अंत में कहा कि “पनामा नहर से संबंधित किसी भी मामले में चीन का कोई हस्तक्षेप या भागीदारी नहीं है”।
पनामा नहर अमेरिका के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
- उल्लेखनीय है कि पनामा नहर के निर्माण की कल्पना लंबे समय से की जा रही थी, क्योंकि दक्षिण अमेरिका के सिरे से होकर अटलांटिक से प्रशांत महासागर तक जाना महंगा और समय लेने वाला काम था।
- इसका निर्माण 1904 और 1914 के बीच हुआ था, जिसका श्रेय मुख्य रूप से अमेरिकी प्रयासों को जाता है। तब तक, इस क्षेत्र की अनूठी चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति के कारण नहर का निर्माण करना मुश्किल माना जाता था। लेकिन यह भौगोलिक चुनौती संयुक्त राज्य अमेरिका को नहीं रोक पाया।
- पनामा नहर के निर्माण से जुड़ी इंजीनियरिंग समस्या का अमेरिकी समाधान “लॉक” या प्रवेश और निकास द्वार वाले डिब्बों की एक प्रणाली थी जो खुल या बंद हो सकते थे। “लॉक” पानी को ऊपर उठाने का काम करते हैं: वे जहाजों को समुद्र तल से गैतुन झील (समुद्र तल से 26 मीटर ऊपर) के स्तर तक उठाते हैं; इस प्रकार, जहाज पनामा नहर के चैनल से होकर गुजरते हैं।
- हालांकि पनामा नहर का निर्माण प्रयास अंततः सफल हुए, लेकिन वे 30 करोड़ डॉलर से अधिक की लागत पर हुआ, जो उस समय अमेरिकी इतिहास की सबसे महंगी निर्माण परियोजना थी और इसमें हजारों श्रमिकों की जान चली गई।
अमेरिका ने पनामा नहर का नियंत्रण, पनामा क्यों दे दी?
- उल्लेखनीय है कि पनामा नहर के खुलने के बाद से ही इसका नियंत्रण पनामा और अमेरिका के बीच विवाद का विषय बन गया, जिसके कारण 1964 में इस क्षेत्र में दंगे हुए। कई बार बातचीत के प्रयास भी किए गए, लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिली।लेकिन राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा 1977 में टोरीजोस-कार्टर संधियों पर हस्ताक्षर किए गए।
टोरीजोस-कार्टर संधियां:
- टोरीजोस-कार्टर संधियों ने 1903 की ‘हे-बुनौ-वरिला संधि’ का स्थान लिया। इन संधियों से अमेरिका को “अपनी तटस्थता के लिए किसी भी खतरे” के खिलाफ पनामा नहर की सैन्य रूप से रक्षा करने की शक्ति मिली।
- इसके अलावा, इसके अनुसार पनामा नहर क्षेत्र 1 अक्टूबर, 1979 को अस्तित्व में नहीं रहा और पनामा नहर को 31 दिसंबर, 1999 को पनामा वासियों को सौंप दिया गया।
पनामा नहर के प्रबंधन में चीन की भूमिका:
- डोनाल्ड ट्रम्प के अनुसार चीन को नहर का प्रबंधन नहीं करना चाहिए। जबकि चीनी कंपनियां पनामा के लॉजिस्टिक, बिजली और निर्माण क्षेत्रों में नहर और उसके आसपास के बुनियादी ढांचे से संबंधित अनुबंधों में भारी रूप से शामिल रही हैं। यह चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना से भी संबंधित है। दक्षिण अमेरिका में पिछले दशक में चीनी निवेश में वृद्धि देखी है।
- उल्लेखनीय है कि 2018 में BRI पर हस्ताक्षर करने वाला पहला लैटिन अमेरिकी देश पनामा ही था।
अमेरिका का पश्चिमी गोलार्ध पर ध्यान:
- कनाडा, ग्रीनलैंड और पनामा नहर पर डोनाल्ड ट्रम्प के दावों को उनके प्रशासन की एक मजबूत पश्चिमी गोलार्ध केंद्रित विदेश नीति के एक और संकेत के रूप में देखा जा सकता है। दक्षिणी और उत्तरी सीमा दोनों से आव्रजन पर ट्रम्प का ध्यान, इसका मतलब है कि उनके प्रशासन का मुख्य ध्यान मेक्सिको, मध्य अमेरिकी राज्यों और कनाडा से निपटने पर होगा।
- डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा पश्चिमी गोलार्ध में प्रधानता प्राप्त करने के लिए क्षेत्रीय दावे किए जा रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे उनके पूर्ववर्तियों में से एक, जेम्स मोनरो ने 1823 में किया था जब उन्होंने अमेरिका में अमेरिकी प्रधानता का दावा करने के लिए ‘मुनरो सिद्धांत’ के रूप में जाना जाने वाला सिद्धांत व्यक्त किया था।
- ट्रंप की टिप्पणियों और इसकी उत्पत्ति की व्याख्या करते हुए, ट्रंप के पहले कार्यकाल में एक पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी अलेक्जेंडर ग्रे ने बताया कि “ट्रम्प जो करने की कोशिश कर रहे हैं, वह पश्चिमी गोलार्ध की बाहरी सीमाओं पर इस फोकस को फिर से जीवंत करना और उन्हें महान शक्ति प्रतियोगियों के खिलाफ बचाव करना है। यह विचार है कि हमारी पहली प्राथमिकता पश्चिमी गोलार्ध की रक्षा है। आपको इस संदर्भ में ग्रीनलैंड और पनामा को देखना होगा”।
नोट : आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए Vajirao & Reddy Institute के साथ जुडें.
नोट : हम रविवार को छोड़कर दैनिक आधार पर करेंट अफेयर्स अपलोड करते हैं
Read Current Affairs in English ⇒