वैश्विक स्तर पर ‘जलवायु वित्तीयन’ पर विवाद क्यों है?
चर्चा में क्यों है?
- भारत ने 24 नवंबर, 2024 को संयुक्त राष्ट्र के COP29 शिखर सम्मेलन में जलवायु वित्त समझौते पर असहमति व्यक्त की है, लेकिन उसकी आपत्ति तब उठाई गई जब समझौते को औपचारिक रूप से सर्वसम्मति से अपना लिया गया।
- भारतीय प्रतिनिधिमंडल की प्रतिनिधि चांदनी रैना ने शिखर सम्मेलन के समापन सत्र में कहा, “मुझे यह कहते हुए खेद है कि यह दस्तावेज़ एक ऑप्टिकल भ्रम से अधिक कुछ नहीं है। यह हम सभी के सामने आने वाली चुनौती की व्यापकता को संबोधित नहीं करेगा। इसलिए, हम इस दस्तावेज़ को अपनाने का विरोध करते हैं”। इस बीच, नाइजीरिया ने भारत के रुख का समर्थन किया और वित्त समझौते को “मज़ाक” करार दिया।
- इससे पहले, विकसित देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में विकासशील देशों की मदद के लिए 2035 तक सालाना 300 अरब डॉलर की अंतिम पेशकश की।
COP29 का क्या महत्व है?
- वार्ता में जाने से पहले, विकासशील देशों ने कहा था कि उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 2025-35 तक प्रति वर्ष कम से कम एक ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी। इसे जलवायु वित्त पर ‘न्यू कलेक्टिव क्वांटिफाइड गोल (NCQG)’ माना गया, जो उस धन को संदर्भित करता है जो विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों को जीवाश्म ईंधन के निरंतर उपयोग से दूर जाने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को रोकने के अपने लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करने के लिए दिया जाएगा। विकासशील देश बार-बार कह रहे हैं कि यह आंकड़ा “ट्रिलियन डॉलर” होना चाहिए।
- बाकू में वार्ता से एक संख्या पर निर्णायक रूप से सहमत होने की उम्मीद थी, लेकिन इस NCQG को किस तरह से देखना चाहिए, इसकी मात्रा और अन्य बुनियादी पहलुओं पर विकसित और विकासशील देशों के बीच तीखी असहमति बनी हुई है।
विकासशील देश क्या चाहते हैं?
- लगभग सभी विकासशील देश इस बात पर काफी हद तक सहमत हैं कि विकसित देशों को ही जलवायु वित्त का बड़ा हिस्सा देना चाहिए।
- इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने निर्दिष्ट किया कि यह धन न केवल देशों को उनके राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) को पूरा करने में मदद करने के लिए प्रदान किया जाना चाहिए, बल्कि जलवायु परिवर्तन के मौजूदा खतरों के खिलाफ भी बचाव करना चाहिए, और पहले से ही किए गए जलवायु नुकसान की भरपाई करनी चाहिए। इस परिप्रेक्ष्य में यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यदि सभी देश अपनी घोषित स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं को पूरा भी कर लें, तो भी अभी तक यह केवल 2% कटौती के बराबर ही होगा।
- विकासशील देशों का कहना है कि NCQG को वायुमंडल में मौजूदा कार्बन सांद्रता के साथ-साथ उनके प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में उनके ऐतिहासिक योगदान के आधार पर विकसित देशों द्वारा योगदान को भी प्रतिबिंबित करना चाहिए।
विकसित देशों का क्या कहना है?
- हालांकि यूरोपीय संघ के नेतृत्व में विकसित देशों का कहना है कि ये मांगें अनुचित रूप से बहुत ज्यादा है। उनका कहना है कि “सभी देशों” को सामूहिक रूप से 2035 तक जलवायु वित्तयन को बढ़ाकर 1.3 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष करने के लिए काम करना चाहिए। इस बात पर सहमत होते हुए कि उन्हें “नेतृत्व करना चाहिए” उन्होंने 2035 तक प्रति वर्ष केवल 250-300 बिलियन डॉलर का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- इसके अलावा इसमें “विभिन्न स्रोत” शामिल होंगे, जिनमें “सार्वजनिक और निजी, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय, और वैकल्पिक स्रोत” शामिल हैं।
- इससे पता चलता है कि विकासशील देशों की एक और बड़ी मांग, यह सुनिश्चित करना कि अधिकांश धन अनुदान या कम लागत वाले ऋण के रूप में हो, अभी भी पूरी नहीं हुई है।
COP 29 में क्या कोई ठोस समझौते किए गए हैं?
- सम्मेलन शुरू होने से एक सप्ताह पहले, चीन ने सम्मेलन में “जलवायु परिवर्तन से संबंधित एकतरफा प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों” पर चर्चा करने के लिए COP29 की अध्यक्षता में याचिका दायर की थी। चीन ने इसे BASIC (ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत, चीन) नामक देशों के समूह के हिस्से के रूप में प्रस्तावित किया। यह याचिका मुख्य रूप से कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) नामक यूरोपीय संघ के प्रस्ताव पर निर्देशित है। यह एक असामान्य अनुरोध है क्योंकि व्यापार मुद्दों पर विश्व व्यापार संगठन जैसे मंचों पर चर्चा की जाती है।
- सम्मेलन के पहले दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा पर्यवेक्षित कार्बन बाजारों पर एक समझौता हुआ। ऐसा बाजार देशों को कार्बन क्रेडिट – कार्बन उत्सर्जन में प्रमाणित कटौती – का आपस में व्यापार करने की अनुमति देगा और जिनकी कीमतें देशों द्वारा लगाए गए उत्सर्जन कैप के परिणामस्वरूप निर्धारित की जाती हैं। यह बाजार पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 नामक खंड से लिया गया है। अनुच्छेद के भीतर उपखंड बताते हैं कि देश आपस में कार्बन का द्विपक्षीय व्यापार कैसे कर सकते हैं (अनुच्छेद 6.2) और वैश्विक कार्बन बाजार (6.4) में भाग कैसे ले सकते हैं।
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