इंडो–पैसिफिक रीजनल डायलॉग (IPRD) – 2022
- IPRD भारतीय नौसेना का एक शीर्ष स्तर का अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन है, और रणनीतिक स्तर पर नौसेना के कार्यकलाप की मुख्य अभिव्यक्ति है। नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (एनएमएफ) इस आयोजन के प्रत्येक संस्करण में नौसेना का ज्ञान भागीदार तथा मुख्य आयोजक है।
- आईपीआरडी विचारों के आदान–प्रदान को बढ़ावा देना चाहता है और क्षेत्रीय व प्रासंगिक समुद्री मुद्दों पर विचार–विमर्श को बढ़ावा देना चाहता है।
- ट्रैक5 आयोजन होने के नाते इसका लक्ष्य सार्वजनिक नीति पर चर्चा को प्रोत्साहित करना है, आईपीआरडी सरकार और गैर–सरकारी एजेंसियों एवं संस्थानों से संतुलित प्रतिनिधित्व के लिए प्रयास करता है।
- आईपीआरडी के पहले दो संस्करण 2018 और 2019 में क्रमशः नई दिल्ली में आयोजित किए गए थे। कोविड -19 प्रकोप के कारण आईपीआरडी 2020 रद्द कर दिया गया था। आईपीआरडी का तीसरा संस्करण 2021 में ऑनलाइन मोड में आयोजित किया गया था।
- आईपीआरडी का उद्देश्य इंडो–प्रशांत क्षेत्र के भीतर उत्पन्न होने वाले अवसरों एवं चुनौतियों दोनों की समीक्षा करना है। इस वार्षिक संवाद के माध्यम से भारतीय नौसेना एवं एनएमएफ, इंडो–प्रशांत क्षेत्र के सामुद्रिक डोमेन को प्रभावित करने वाले भूरणनीतिक विकास से संबंधित गंभीर चर्चाओं के लिए एक मंच प्रदान करता है।
- आईपीआरडी का चौथा संस्करण 23 नवंबर से 25 नवंबर 2022 तक नई दिल्ली में भौतिक प्रारूप में आयोजित किया जाना है।
- आईपीआरडी -2022 का विषय ‘ऑपेरशनलाइज़िंग द इंडो पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव (आईपीओआई)’ है।
ऑपेरशनलाइज़िंग द इंडो पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव (आईपीओआई):
- इसे माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 04 नवंबर 2019 को 14वीं पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) में बैंकाक में व्यक्त किया गया था।
- आईपीओआई क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक व्यापक एवं समावेशी ढांचा है जो सात इंटरकनेक्टेड स्तंभों पर टिका है:
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- समुद्री सुरक्षा
- समुद्री पारिस्थितिकी
- समुद्री संसाधन
- आपदा जोखिम में कमी एवं प्रबंधन
- व्यापार-कनेक्टिविटी और समुद्री परिवहन
- क्षमता निर्माण एवं संसाधन साझाकरण
- विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं अकादमिक सहयोग।
- सरकार की प्रमुख समुद्री सुरक्षा एजेंसी होने के नाते भारतीय सेना आईपीओआई के सात स्तंभों में से प्रत्येक को अमलीजामा पहनाने में लगी हुई है।
- आईपीआरडी-2022 चौथा संस्करण उचित रूप से आईपीओआई एवं इसके क्रियान्वयन पर केंद्रित है– जिसमें अन्य विषयों के साथ साथ विशेष रूप से ‘समुद्री सुरक्षा’ पर ध्यान दिया जाना है।