जलवायु परिवर्तन को अपनाने से भारत को 2030 तक ₹85.6 लाख करोड़ की लागत आएगी: RBI रिपोर्ट
- भारतीय रिजर्व बैंक के आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग (DEPR) ने मुद्रा और वित्त 2022-23 पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के लिए संचयी कुल व्यय 2030 तक ₹85.6 लाख करोड़ (2011-12 की कीमतों पर) तक पहुंचने का अनुमान है।
रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु:
- आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग (DEPR) ने अपनी रिपोर्ट में ‘टुवार्ड्स ए ग्रीनर क्लीनर इंडिया‘ विषय पर कहा की 2070 तक शुद्ध शून्य लक्ष्य को प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य के लिए सकल घरेलू उत्पाद की ऊर्जा तीव्रता में सालाना लगभग 5% की कमी और 2070-71 तक नवीकरणीय ऊर्जा के पक्ष में लगभग 80% तक ऊर्जा–मिश्रण में महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता होगी।.
- जलवायु घटनाओं के कारण होने वाले बुनियादी ढांचे के अंतर या कमी को दूर करने के लिए 2030 तक भारत की हरित वित्तपोषण आवश्यकता सालाना सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 2.5% होने का अनुमान है। इस सन्दर्भ में वित्तीय प्रणाली को पर्याप्त संसाधन जुटाना पड़ सकता है तथा देश के शुद्ध-शून्य लक्ष्य में प्रभावी ढंग से योगदान करने के लिए मौजूदा संसाधनों को फिर से आवंटित करना पड़ सकता है।
- जलवायु प्रभाव-परीक्षण के परिणामों से पता चलता है कि निजी क्षेत्र के बैंकों की तुलना में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) अधिक जोखिम का सामना कर सकते हैं। हालांकि, वैश्विक स्तर पर जलवायु से संबंधित वित्तीय जोखिमों का मापन कार्य अभी चल ही रहा है।
- आरबीआई के नीति शोधकर्ताओं के अनुसार “भारत में वित्तीय प्रणाली में प्रमुख हितधारकों के एक पायलट सर्वेक्षण से पता चलता है कि जलवायु जोखिमों के बारे में बढ़ती जागरूकता और संस्थाओं के वित्तीय स्वास्थ्य पर उनके संभावित प्रभाव के बावजूद, जोखिम कम करने की योजनाएं काफी हद तक चर्चा के स्तर पर हैं और अभी तक व्यापक रूप से लागू की जानी हैं“।
ऊर्जा तीव्रता क्या होता है?
- ऊर्जा की तीव्रता को उत्पादन या गतिविधि के दिए गए स्तर का उत्पादन करने के लिए उपयोग की जाने वाली ऊर्जा की मात्रा के रूप में परिभाषित किया गया है।
- किसी उत्पाद का उत्पादन करने या सेवा प्रदान करने के लिए कम ऊर्जा का उपयोग करने से ऊर्जा की तीव्रता कम हो जाती है।