कच्छ के हड़प्पा कब्रिस्तान में, खोजी टीम रहस्य खोलने के लिए काम कर रही है:
- गुजरात के कच्छ जिले के ‘खाटिया‘ गांव ने कई आश्चर्य मिले हैं – एक सीप की चूड़ी, मिट्टी के बर्तन, पत्थर के ब्लेड, यहां तक कि मानव कंकाल के अवशेष भी प्राप्त हुए हाई हैं।
- 2018 के बाद से, पुरातत्वविदों की एक बहु-अनुशासनात्मक अंतरराष्ट्रीय टीम ने 500 कब्रों की खोज की है और उनमें से 197 की खुदाई की है।
- केरल विश्वविद्यालय में पुरातत्व विभाग में सहायक प्रोफेसर राजेश एस वी के नेतृत्व में, शोधकर्ताओं का कहना है कि यह स्थापित किया गया है कि ये कब्रिस्तान, जिसे 5,000 साल पुराना माना जाता है, हड़प्पा सभ्यता के ‘पूर्व–शहरी‘ चरण से संबंधित है।
- कहा जाता है कि हड़प्पा सभ्यता, दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है, जो लगभग 5,000 ईसा पूर्व से 1,000 ईसा पूर्व तक सिंधु नदी के किनारे पनपी थी।
- जबकि 5,000 ईसा पूर्व से 2,600 ईसा पूर्व तक की 2,500 साल की अवधि को ‘पूर्व–शहरी‘ हड़प्पा चरण के रूप में जाना जाता है, 2,600 ईसा पूर्व और 1,900 ईसा पूर्व के बीच ‘शहरी‘ हड़प्पा चरण माना जाता है। वहां से, सभ्यता में गिरावट आई और 1,900 ईसा पूर्व से 1,000 ईसा पूर्व को ‘शहर उपरांत‘ हड़प्पा काल माना जाता है।
- अब तक इस कब्र स्थल पर प्राप्त निष्कर्ष इसकी पूर्व-शहरी हड़प्पा चरण के अनुरूप दर्शाती है।
- उल्लेखनीय है कि यूनेस्को की एक अन्य विश्व धरोहर स्थल और हड़प्पा सभ्यता के सबसे बड़े महानगरों में से एक ‘धोलावीरा‘ भी कच्छ में स्थित है, यह ‘खाटिया‘ स्थल से 150 किलोमीटर दूर स्थित है जो भारत के सबसे पश्चिमी हड़प्पा स्थलों में से एक है। इस दूरी को देखते हुए, शोधकर्ताओं का कहना है, यह संभावना नहीं है कि धोलावीरा की शहरी बस्तियों में लोगों को खाटिया स्थल पर दफनाया गया होग।
- खोजकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम में गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, स्पेन, अमेरिका, जापान और स्वीडन के 27 पुरातत्वविद, डीएनए विश्लेषक, भूवैज्ञानिक और जीआईएस विशेषज्ञ शामिल हैं।