कश्मीर में अब अंतिम सांसें गिन रहा हिजबुल मुजाहिदीन
- कश्मीर में सुरक्षाबलों के शिकंजे और आम कश्मीरियों के घटते समर्थन के बीच आज कश्मीरी आतंकियों का बड़ा संगठन हिजबुल मुजाहिदीन अंतिम सांसें गिनने लगा है।
- कभी इस संगठन में करीब पांच हजार आतंकी थे, लेकिन आज महज पांच आतंकी रह गए हैं।
- इसके अलावा हिजबुल के ओवरग्रांउड वर्कर और वित्तीय नेटवर्क दोनों लगभग नष्ट हो चुके हैं। वहीं, पाकिस्तान ने कई नए आतंकी संगठन खड़े कर हिजबुल को हाशिए पर धकेल दिया है।
- कश्मीर का मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सैयद सलाहुद्दीन इसी संगठन का चीफ कमांडर है, जो 31 साल से गुलाम जम्मू-कश्मीर में छिपा है।
- सितंबर 1989 में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने हिजबुल मुजाहिदीन का गठन कराया था। उत्तरी कश्मीर में पट्टन बारामुला के रहने जमात–ए–इस्लामी के प्रमुख कार्यकर्ता मास्टर अहसान डार को पहला कमांडर बनाया था। सलाहुद्दीन ने वर्ष 1991 में ऑपरेशन चीफ कमांडर बना था।
- तीन वर्षों के दौरान तीन दर्जन स्थानीय युवा हिजबुल के आंतकी बने। इनमें अधिकांश मारे जा चुके हैं। करीब चार माह पहले तक हिजबुल आतंकियों की संख्या आठ से नौ तक थी। मौजूदा समय में पांच आतंकी रह गए हैं। पांचों आतंकी लगातार ठिकाने बदलते हुए कभी पुलवामा में तो कभी शोपियां में घूम रहे हैं।
- पुलिस के पूर्व महानिदेशक डा शेषपाल वैद ने कहा कि आज हिजबुल मुजाहिदीन की पाकिस्तान को जरूरत नहीं है। क्योंकि हिजबुल भी लश्कर और जैश की तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन हो चुका है।
- आम कश्मीरियों को भी आजादी और अलगाववाद के नारे की हकीकत समझ आ चुकी है।
- अनुच्छेद-370 हटने के बाद से पाकिस्तान ने पुराने आतंकी संगठनों के बजाय नए तैयार करना शुरू किया है। इनमें द रेजिस्टेंस फ्रंट, कश्मीरी फ्रीडम फाइटर्स और पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट शामिल हैं।