केरल में विझिनजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह (अडानी सी पोर्ट) के विरोध के कारण
- अडानी समूह (Adani Group) केरल में साल 2015 से एक मेगा पोर्ट का निर्माण कर रहा है। इसका नाम विझिनजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह है।
- इसे लेकर स्थानीय निवासियों और मछुआरों की ओर से विरोध किया जा रहा है। मछुआरों और स्थानीय लोगों का मानना है कि इस बंदरगाह के बनने से उनकी जीविका पर असर पड़ेगा और पोर्ट के निर्माण की वजह से उत्तर की तरफ तट को नुकसान भी हो रहा है। प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि पोर्ट के निर्माण की वजह से समंदर को हो रहे नुकसान के बारे में गहन वैज्ञानिक अध्ययन हो।
इस बंदरगाह का महत्व:
- इस बंदरगाह का निर्माण 75 हजार करोड़ रुपयों की लागत से हो रहा है। इस बंदरगाह का प्रस्ताव कांग्रेस और यूडीएफ़ के गठबंधन की सरकार के दौरान आया था।
- इस समय भारत में कोई डीप वॉटर पोर्ट नहीं है और बड़े कंटेनर जहाज़ दुबई, सिंगापुर और कोलंबो में ठहरते हैं। यह बंदरगाह इस कमी को पूरा करेगा।
बंदरगाह का विरोध क्यों हो रहा है?
- मछुआरे और स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि सरकार निर्माण कार्य पर रोक लगाकर बंदरगाह की वजह से मरीन इकोसिस्टम पर पड़ने वाले असर का स्वतंत्र ढंग से अध्ययन कराए। हालांकि, अडानी समूह का दावा है कि उनकी ये परियोजना पूरी तरह नियमबद्ध है और आईआईटी जैसी बड़ी संस्थाओं ने इसकी वजह से तटीय क्षरण होने की बात को नकारा है।
- बंदरगाह का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि अभी पोर्ट का 30 फीसदी काम ही पूरा हुआ है और इसका दुष्प्रभाव दिखने लगा है।
- इनकी मांगे हैं कि तट के क्षरण का स्थायी समाधान किया जाए, तटीय क्षरण की वजह से जिन लोगों के घर गए हैं और ज़मीन गई है उन्हें अस्थायी रूप से कहीं और बसाया जाये।