किसानों को उनकी कृषि उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाने का प्रयास
- भारत सरकार ने किसानों को उनकी कृषि उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए कई प्रयास किये है।
- उल्लेखनीय है कि कृषि विपणन राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में है और कृषि उपज के थोक विपणन को राज्यों के एपीएमसी अधिनियमों के प्रावधानों के तहत बढ़ावा और विनियमित किया जाता है।
- हालांकि, सरकार ने बाजारों के महत्व को समझते हुए और कृषि विपणन की पहेली को अच्छी तरह से समझते हुए वैकल्पिक विपणन व्यवस्था विकसित करने के लिए कई उपाय किए हैं।
- इन व्यवस्थाओं में लेनदेन की पूरी श्रृंखला में पारदर्शिता के तत्वों के साथ कई और प्रतिस्पर्धी विपणन चैनलों का विकास, निजी बाजारों और प्रत्यक्ष विपणन के प्रचार के माध्यम से बेहतर मूल्य की खोज शामिल है। जिनमे राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-NAM) व्यवस्था और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन शामिल है।
राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-NAM):
- भारत सरकार ने 14 अप्रैल, 2016 को राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-NAM) योजना शुरू की है।
- e-NAM एक आभासी मंच है जो विभिन्न राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) की भौतिक थोक मंडियों/बाजारों को एकीकृत करता है ताकि किसानों/किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को उनकी उपज के लिए बेहतर कीमत प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए पारदर्शी मूल्य खोज पद्धति के माध्यम से खाद्यान्न सहित कृषि वस्तुओं के ऑनलाइन व्यापार की सुविधा प्रदान की जा सके।
- 05 दिसंबर, 2022 तक, 22 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों की लगभग 1260 मंडियों को ई–एनएएम प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत किया गया है।
किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन:
- भारत सरकार ने 10,000 नए एफपीओ को बनाने और बढ़ावा देने के लिए “10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन” की केंद्रीय योजना शुरू की है, जो ‘स्केल ऑफ़ इकॉनमी‘ को बढ़ावा देगी, उत्पादन की लागत में कमी लाएगी और किसानों की आय में वृद्धि लायेगी।
- 30 नवंबर, 2022 तक कुल 4028 एफपीओ पंजीकृत किए जा चुके हैं। ये सभी बेहतर विपणन दक्षता और किसानों को बेहतर कीमत देने में योगदान करते हैं।