MQ-9 Reaper; क्यों खास है अमेरिकी ड्रोन?

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MQ-9 Reaper; क्यों खास है अमेरिकी ड्रोन?

संदर्भ: MQ-9 Reaper/Predator B रूस और अमेरिका के बीच हमेशा से तनातनी बनी रहती है। इस बीच बीते दिनों रूसी लड़ाकू विमान Su-27 द्वारा अमेरिका के एमक्यू-9 रीपर ड्रोन (MQ-9 Reaper Drone) को काला सागर में टक्कर मारकर गिराने की रिपोर्ट के बाद दोनों देशों के रिश्तों में और दरार आ गई है।

MQ-9 Reaper के बारे में:

  • एमक्यू-9 रीपर एक मानव रहित विमान यानी ड्रोन है, जिसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह 35 घंटे से अधिक समय तक 50,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है।
  • MQ-9 Reaper की दूसरी सबसे बड़ी खासियत यह है कि हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल जैसे हथियारों से भी लैस किया जा सकता है। यह ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात होकर जमीन के साथ समुद्री लक्ष्य को निशाना बना सकता है।
  • इसी ड्रोन की मदद से अमेरिका ने काबुल में छिपे अलकायदा आतंकी आयमान अल जवाहिरी को ढेर किया था।
  • एमक्यू-9 रीपर सॉलिड कैमरों, सेंसर और रडार के साथ घंटों हवा में रहकर खुफिया जानकारी एकत्र कर सकता है।
  • MQ-9 रीपर का निर्माण अमेरिकी कंपनीजनरल एटॉमिक्सद्वारा किया गया है
  • इस ड्रोन की कीमत 453 करोड़ 73 लाख से ज्यादा है।

क्या है फायदे?

  • अमेरिकी ड्रोन MQ-9 Reaper मानवयुक्त विमानों से कम खर्चीले होते हैं और ऑपरेटरों को इसे चलाना भी सुरक्षित होता है, क्योंकि इसमें पायलट की आवश्यकता नहीं है।
  • दूसरे विमानों के विपरीत ड्रोन कई घंटों तक हवा में रहकर खुफिया जानकारी एकत्र कर सकते हैं।
  • इन ड्रोन को संचालित करने के लिए केवल 3,500 डॉलर प्रति घंटे की लागत आती है। वहीं, दूसरे विमानों की लागत 8000 डॉलर प्रति घंटे की आती है।

क्यों खतरनाक है अमेरिकी ड्रोन?

  • MQ-9 रीपर ड्रोन 1900 किमी तक कहीं भी अपने लक्ष्य का सटीक निशाना लगा सकता है
  • यह हवा से हवा में मार करने वाली हथियार क्षमता से युक्त है, जो दुश्मनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। सेल्फ प्रोटेक्ट पॉड से युक्त होने के चलते यह बचने के लिए जवाबी हमले भी कर सकता है।

भारत भी खरीदना चाहता है इस ड्रोन को:

  • भारत MQ-9 रीपर ड्रोन को खरीदने की तैयारी में है। भारतीय सेना ने अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटॉमिक्ससे तीन अरब डालर में 30 ड्रोन खरीदने का प्रताव रखा है।
  • इसको लेकर एनएसए अजीत डोभाल ने भी अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से वार्ता की थी।
  • उल्लेखनीय है कि इस ड्रोन के भारत आने से चीन की नींद उड़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे LAC पर ऊंचाई वालों क्षेत्रों पर तैनात किया जा सकता है।

साभार: दैनिक जागरण

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