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NGT ने पश्चिम बंगाल सरकार पर लगाया 3,500 करोड़ रुपये का जुर्माना

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NGT ने पश्चिम बंगाल सरकार पर लगाया 3,500 करोड़ रुपये का जुर्माना

  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पश्चिम बंगाल सरकार पर 3,500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर बंगाल सरकार पर यह भारी जुर्माना लगाया है।
  • पीठ ने कहा कि दो मदों (ठोस और तरल अपशिष्ट) के तहत मुआवजे की अंतिम राशि 3,500 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसे पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दो महीने के भीतर अलग खाते में जमा किया जा सकता है।
  • एनजीटी ने ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन का कथित रूप से प्रबंधन नहीं करने के चलते जुर्माना भरने को कहा है
  • एनजीटी पैनल ने कहा कि राज्य सरकार सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं की स्थापना को प्राथमिकता नहीं दे रही है। हालांकि, राज्य के 2022-2023 के बजट के अनुसार शहरी विकास और नगरपालिका मामलों पर 12,818.99 करोड़ रुपये का प्रावधान है
  • यह देखते हुए कि स्वास्थ्य के मुद्दों को लंबे भविष्य के लिए टाला नहीं जा सकता। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा किप्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान करना राज्य और स्थानीय निकायों की संवैधानिक जिम्मेदारी है”।
  • साथ ही पीठ ने कहा कि यह निर्देश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नगर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों के अनुपालन की निगरानी के दौरान आए हैं।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) क्या है?     

  • दिनांक 10.2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के तहत पर्यावरण बचाव और वन संरक्षण और अन्य प्राकृतिक संसाधन सहित पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन और क्षतिग्रस्त व्यक्ति अथवा संपत्ति के लिए अनुतोष और क्षतिपूर्ति प्रदान करना और इससे जुडे़ हुए मामलों का प्रभावशाली और तीव्र गति से निपटारा करने के लिए किया गया है।

  • यह एक विशिष्ट निकाय है जो कि पर्यावरण विवादों बहु-अनुशासनिक मामलों सहित, सुविज्ञता से संचालित करने के लिए सभी आवश्यक तंत्रों से सुसज्जित है
  • यह अधिकरण सिविल प्रक्रिया संहिता-1908 के द्वारा दिए गए कार्यविधि से बधा नहीं है वरन प्रकृतिक न्याय सिद्धांतों से निर्देशित होता है
  • अधिकरण आवेदनों और याचिकाओं को उसके मिलने से 6 माह के अंदर, उसके निपटारा हेतु प्रयत्न के लिए अदेशाधीन है
  • अधिकरण की प्रधान पीठ नईदिल्ली में और भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई अधिकरण के अन्य चार पीठ हैं।

Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -2, के वैधानिक, नियामक और विभिन्न अर्धन्यायिक निकायवाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।

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