पराली से बने पेलेट का इस्तेमाल न करने पर पावर प्लांट से वसूली जाएगी क्षतिपूर्ति
क्या है मामला?
- पराली की समस्या को जड़ से खत्म करने और उसे किसानों के लिए लाभ का सौदा बनाने में जुटी केंद्र सरकार ने पराली से बने पेलेट व ब्रिकेट (कृत्रिम कोयला) का इस्तेमाल न करने पर दिल्ली और एनसीआर के आस–पास स्थिति पावर प्लांटों से अब पर्यावरण क्षतिपूर्ति वसूलने की तैयारी में है।
- इसे लेकर अधिसूचना का एक मसौदा तैयार कर लिया है। जिसके तहत अगले साल से यह व्यवस्था लागू हो सकती है।
- वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने यह पहल तब शुरू की है, जब वह पराली जलने वाले राज्यों में इसके पेलेट व ब्रिकेट प्लांट लगाने की एक योजना भी शुरू कर रखी है। जिसके लिए लोगों को प्रति प्लांट 70 लाख से लेकर करीब डेढ़ करोड़ रुपए तक की वित्तीय मदद भी दी जा रही है।
- मंत्रालय ने इसके साथ पावर प्लांटो को अपनी कुल ईंधन खपत में से पांच प्रतिशत पराली से बने पेलेट और ब्रिकेट के इस्तेमाल का निर्देश भी दिया है। हालांकि इसकी वजह पराली से बनने वाले पेलेट और ब्रिक्स का शत प्रतिशत इस्तेमाल सुनिश्चित करना है। मौजूदा समय में दिल्ली के आस-पास 300 किमी के दायरे में करीब 11 पावर प्लांट है।
- मंत्रालय की ओर से पावर प्लांटो द्वारा पराली से बने पेलेट और ब्रिकेट का इस्तेमाल न करने पर जो क्षतिपूर्ति लेने का प्रस्ताव है, उस पर अमल 2024-25 से होगा। जिसकी निर्धारण प्रति यूनिट विद्युत उत्पादन के आधार पर तय किया जाएगा। वहीं, 2025-26 में यह क्षतिपूर्ति राशि बढ़ जाएगी।
साभार: दैनिक जागरण