राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा के तहत विकसित ‘जादुई पिटारा’
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत परिकल्पना की गई, बुनियादी चरण के लिए शिक्षण–अध्यापन सामग्री ‘जादुई पिटारा’ का शुभारंभ केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा पर राष्ट्रीय संचालन समिति के अध्यक्ष डॉ. के कस्तूरीरंगन की उपस्थिति में नई दिल्ली में किया।
‘जादुई पिटारा’ की मुख्य बातें:
- एनसीएफ–एफएस का प्रमुख परिवर्तनकारी पहलू– ‘खेलते हुए सीखें’
- बुनियादी चरण – उम्र 3-8 साल – खेलते हुए सर्वोत्तम और प्रभावकारी ढंग से सीखें।
- न्यूरोसाइंस से लेकर शिक्षा तक विविध क्षेत्रों में अनुसंधान
- कक्षा 1 और 2 पर भी लागू (उम्र 6-8 साल) – बड़ा बदलाव– बच्चे खेलते, मजे करते हुए सीखेंगे, और एफएलएन संभव हो पाएगा।
- 5 क्षेत्रों में सीखना और विकास:
- शारीरिक विकास
- सामाजिक–भावनात्मक व नैतिक विकास
- संज्ञानात्मक विकास, भाषा एवं साक्षरता विकास
- सुरुचिपूर्ण एवं सांस्कृतिक विकास
- सीखने की सकारात्मक आदतों को इस चरण में विकास के एक अन्य क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया है।
- खेलना सुनिश्चित करने के लिए: केवल किताबें ही नहीं, बल्कि सीखने और सिखाने के लिए अनगिनत संसाधनों का उपयोग किया जाना है। जैसे- खिलौने, पहेलियां, कठपुतलियां, पोस्टर, फ्लैश कार्ड वर्कशीट्स और आकर्षक किताबें, स्थानीय परिवेश, संदर्भ और समुदाय; आम जीवन, स्थानीय संदर्भ और भारत में निहित।