यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून पर दो दिन का राष्ट्रीय कार्यक्रम
पॉक्सो के तहत सहमति की उम्र पर सरकार करे विचार: मुख्य न्यायमूर्ति
- देश में बच्चों के साथ बढ़ते यौन शोषण पर मुख्य न्यायमूर्ति (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने चिंता जताई और इसे एक छिपी हुई समस्या बताया।
- 10 दिसंबर को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पाक्सो) कानून पर दो दिन के राष्ट्रीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि बाल यौन शोषण के मामले छिपाएं नहीं, बल्कि आवाज उठाएं। इसके खिलाफ स्वजन को आगे आना चाहिए और सरकार को भी रिपोर्ट करने के लिए उनको प्रोत्साहित करना चाहिए।
- उन्होंने विधायिका से पॉक्सो कानून के तहत सहमति की उम्र को लेकर बढ़ती चिंता पर भी विचार करने का आग्रह किया।
- उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि पॉक्सो कानून 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों के बीच सभी यौन कृत्यों को आपराधिक बनाता है, भले ही नाबालिगों के बीच सहमति रही हो।
- कानून की धारणा यह है कि 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों के बीच कोई सहमति नहीं होती है।
- उन्होंने कहा कि बच्चों को सुरक्षित और असुरक्षित स्पर्श के बीच का अंतर सिखाया जाना चाहिए।
- उन्होंने कहा कि परिवार के तथाकथित सम्मान से ऊपर बच्चे के सर्वोत्तम हित को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- उन्होंने बाल यौन शोषण की रोकथाम, इसकी समय पर पहचान और कानून में उपलब्ध उपायों के बारे में जागरूकता फैलाने पर जोर दिया।
पॉक्सो मामले के निस्तारण में लगते हैं औसतन 509 दिन:
- केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने कहा कि:
- यौन अपराधों से बच्चों को बचाने के लिए बने कानून पाक्सो मामले के निस्तारण में औसतन 509 दिन लगते हैं।
- ऐसे अपराधों से जु़ड़े मामले की सुनवाई के लिए विशेषष अदालतों की स्थापना का प्रावधान है।
- पॉक्सो के सभी मामलों में से 56 प्रतिशत यौन उत्पीड़न के अपराधों से संबंधित हैं।
- उन्होंने कहा, ‘मेरा हितधारकों और माननीय जजों से अनुरोध है कि क्या आप हमें बता सकते हैं कि मंत्रालय द्वारा और क्या किया जा सकता है ताकि हम अपने बच्चों से संबंधित मामलों के समाधान में तेजी लाने को लेकर न्याय प्रणाली के साथ भागीदारी सुनिश्चित कर सकें’।
- बता दें कि पॉक्सो एक्ट को लेकर दो दिन का यह कार्यक्रम यूनिसेफ के सहयोग से किया गया।