यूरोपीय संघ के बाजार नियामक द्वारा छह भारतीय केंद्रीय प्रतिपक्षों की मान्यता रद्द कर दी गयी:
- यूरोपीय प्रतिभूति और बाजार प्राधिकरण (ESMA), यूरोपीय संघ (EU) के वित्तीय बाज़ार नियामक और पर्यवेक्षक, ने 30 अप्रैल, 2023 से छह भारतीय केंद्रीय प्रतिपक्षों (CCPs) की मान्यता रद्द कर दी है।
- ये छह केंद्रीय प्रतिपक्ष(CCP) – भारतीय समाशोधन निगम(CCIL), भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड(ICCL), एनएसई समाशोधन लिमिटेड(NSCCL), मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज क्लियरिंग(MCXCCL), भारत अंतरराष्ट्रीय समाशोधन निगम लिमिटेड(IFFC) और एनएसई आईएफएससी समाशोधन निगम लिमिटेड(NICCL) हैं।
मामला क्या है?
- यूरोपियन मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर रेगुलेशन (EMIR) के अनुसार, किसी तीसरे देश में एक CCP यूरोपीय बैंकों को समाशोधन सेवाएँ तभी प्रदान कर सकता है जब वह ESMA द्वारा मान्यता प्राप्त हो। ESMA ने कहा कि उसने सभी तीसरे देश के CCPs (TC-CCPs) की मान्यता की समीक्षा की, जिन्हें 21 सितंबर, 2020 से पहले यूरोपियन मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर रेगुलेशन (EMIR) व्यवस्था के अनुसार मान्यता दी गई थी।
- ESMA और भारतीय नियामकों – भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) के बीच ‘कोई सहयोग व्यवस्था नहीं‘ होने के कारण भारतीय CCPs की मान्यता समाप्त करने का निर्णय लिया गया।
- जबकि ESMA इन छह CCPs की निगरानी करना चाहता है, भारतीय नियामकों का मानना है कि चूंकि ये घरेलू CCPs भारत में काम करते हैं और यूरोपीय संघ में नहीं, इसलिए इन संस्थाओं को ESMA विनियमों के अधीन नहीं किया जा सकता है। भारतीय नियामकों को लगता है कि इन छह सीसीपी के पास मजबूत जोखिम प्रबंधन है और किसी विदेशी नियामक को उनका निरीक्षण करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
इस कदम का क्या असर होगा?
- ESMA ने कहा था कि मान्यता वापस लेने के साथ, ये टीसी–सीसीपी अब यूरोपीय संघ में स्थापित समाशोधन सदस्यों और व्यापारिक स्थलों को सेवाएं प्रदान करने में सक्षम नहीं होंगे। घरेलू फॉरेक्स, फॉरवर्ड, स्वैप और इक्विटी और कमोडिटी बाजारों में काम करने वाले कुछ प्रमुख यूरोपीय बैंकों में सोसाइटी जेनरेल, ड्यूश बैंक और बीएनपी पारिबा शामिल हैं। मान्यता रद्द होने से इन उधारदाताओं पर असर पड़ेगा और उन्हें घरेलू बाजार में व्यापार करने के लिए अतिरिक्त पूंजी अलग रखनी होगी।
- समाशोधन सदस्य भी उच्च पूंजी आवश्यकताओं, मार्जिन आवश्यकताओं में वृद्धि, क्रेडिट जोखिम में वृद्धि और बहुपक्षीय शुद्ध लाभ की कमी से प्रभावित होंगे।
- उल्लेखनीय है कि भारत में पंजीकृत कुल विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) में से करीब 20 फीसदी यूरोप से हैं।
- हालांकि, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि इन छह सीसीपी की अमान्यता का कोई असर होने की संभावना नहीं है।
- सेबी के पास पहले से ही एक योजना बी है। सेबी इससे प्रभावित होने वाले बड़े मार्केट प्लेयर्स के साथ इस पर काम करना शुरू कर दिया है। एक्शन प्लान बी के लिए सेबी का विनियमन मौजूद है। सेबी को बाजार में किसी भी तरह के व्यवधान की उम्मीद नहीं है, भले ही इस संदर्भ में कोई समझौता न हो तब भी।
केंद्रीय प्रतिपक्षों (CCPs) की क्या भूमिका है?
- सीसीपी एक बाजार लेनदेन में मध्यस्थ के रूप में दो मुख्य कार्य करता है – समाशोधन और निपटान – और व्यापार की शर्तों की गारंटी देता है।
- सीसीपी एक प्रणाली प्रदाता है, जो नवोन्मेष के माध्यम से निपटान के लिए स्वीकार किए गए लेन–देन में प्रणाली प्रतिभागियों के बीच हस्तक्षेप करता है, जिससे उनके लेनदेन के प्रभावी निपटान के उद्देश्य से प्रत्येक विक्रेता के लिए खरीदार और प्रत्येक खरीदार के लिए विक्रेता बन जाता है।
- CCP को भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत भारत में संचालन के लिए RBI द्वारा अधिकृत किया गया है।
यूरोपीय प्रतिभूति और बाजार प्राधिकरण (ESMA):
- यूरोपीय प्रतिभूति और बाजार प्राधिकरण (ESMA) एक स्वतंत्र यूरोपीय संघ प्राधिकरण है जो प्रतिभूति बाजारों की सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता, दक्षता और व्यवस्थित कामकाज सुनिश्चित करने के साथ–साथ निवेशक सुरक्षा को बढ़ाकर यूरोपीय संघ की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता को सुरक्षित रखने में योगदान देता है।