प्रतिवर्ष 24 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (International Day of Education) मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 3 दिसम्बर, 2018 को प्रस्ताव पारित करके 24 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप घोषित करने का निर्णय लिया था। इसका उद्देश्य शान्ति व विकास में शिक्षा की भूमिका को रेखांकित करना है। अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के लिए इस प्रस्ताव को नाइजीरिया समेत 58 देशों ने तैयार किया था। यह अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का चौथा संस्करण है।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
11 नवम्बर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की स्मृति में मनाया जाता है। 11 नवम्बर को मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती होने के कारण 11 नवम्बर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की स्थापना वर्ष 2008 में की गयी थी।
अबुल कलाम आज़ाद
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन (11 नवंबर, 1888 – 22 फरवरी, 1958) एक प्रसिद्ध भारतीय मुस्लिम विद्वान थे। वे कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत की आजादी के बाद वे एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक पद पर रहे। वे महात्मा गांधी के सिद्धांतो का समर्थन करते थे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कखिलाफत आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। 1923 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे कम उम्र के प्रेसीडेंट बने। वे 1940 और 1945 के बीच कांग्रेस के प्रेसीडेंट रहे। आजादी के बाद वे भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रामपुर जिले से 1952 में सांसद चुने गए और वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने। वे धारासन सत्याग्रह के अहम इन्कलाबी (क्रांतिकारी) थे। वे 1940-45 के बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे जिस दौरान भारत छोड़ो आन्दोलन हुआ था। कांग्रेस के अन्य प्रमुख नेताओं की तरह उन्हें भी तीन साल जेल में बिताने पड़े थे।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1952 के संसदीय चुनावों में वे उत्तर प्रदेश की रामपुर संसदीय सीट से तथा 1957 के संसदीय चुनावों में हरियाणा की गुड़गांव संसदीय सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में सांसद चुने गए।
वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने ग्यारह वर्षों तक राष्ट्र की शिक्षा नीति का मार्गदर्शन किया। मौलाना आज़ाद को ही ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान’ अर्थात ‘आई.आई.टी.’ और ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ की स्थापना का श्रेय है। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की।
- संगीत नाटक अकादमी (1953)
- साहित्य अकादमी (1954)
- ललितकला अकादमी (1954)
केंद्रीय सलाहकार शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष होने पर सरकार से केंद्र और राज्यों दोनों के अतिरिक्त विश्वविद्यालयों में सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा, 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा, कन्याओं की शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कृषि शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसे सुधारों की वकालत की
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1PRE