आईटी एक्ट की रद्द धारा 66 ए के तहत दर्ज मुकदमे वापस लिया जाये: सर्वोच्च न्यायालय
- सुप्रीम कोर्ट ने देश के आईटी एक्ट (IT Act)-2000 की धारा 66A को साल 2015 में ही रद्द कर दिया था। किंतु इस कानून के तहत अभी भी केस दर्ज किए जा रहे हैं।
- चीफ जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस रविंद्र भट की बेंच ने 6 सितंबर 2022 को कहा, ‘यह गंभीर चिंता का विषय है कि इस अदालत के एक आधिकारिक निर्णय में प्रावधान की वैधता को खारिज किए जाने के बावजूद अब भी मामले दर्ज किए जा रहे हैं। इस तरह की गतिविधियों पर गंभीर चिंता जताते हुए मुख्य सचिवों को निर्देश दिया है कि धारा 66A के तहत दर्ज किए गए सभी मामलों को तीन हफ्ते में वापस लिया जाए।
- सुप्रीम कोर्ट ने गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (पीयूसीएल) की याचिका पर यह आदेश दिया।
- पीयूसीएल ने इस रद्द प्रावधान के तहत लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए जाने का आरोप लगाया है।
आईटी एक्ट (IT Act)-2000 की धारा 66A:
- उल्लेखनीय है कि आईटी कानून की रद्द की जा चुकी धारा 66 ए के तहत, आपत्तिजनक कॉन्टेंट पोस्ट करने पर तीन साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान था।
- सर्वोच्च न्यायालय ने 24 मार्च 2015 को ‘विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद-19)’ को प्राथमिकता दी थी और यह कहते हुए इस प्रावधान को रद्द कर दिया था कि जनता के जानने का अधिकार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 ए से सीधे तौर पर प्रभावित होता है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -2, के “शासन के महत्वपूर्ण पहलू, पारदर्शिता और जवाबदेही” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।