इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF): हिंद प्रशांत के व्यापार में चीन का विकल्प बनेगा भारत
- वैश्विक जीडीपी की 40 फीसद हिस्सेदारी वाले देश अब सप्लाई चेन से लेकर साफ–सुथरे व्यापार के लिए भारत को चीन के विकल्प के रूप में देख रहे हैं।
- अगले सप्ताह में अमेरिका में इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) की मिनिस्टीरियल बैठक होने जा रही है, जहां एक ऐसे सप्लाई चेन और भविष्य के आर्थिक फ्रेमवर्क के गठन को लेकर चर्चा होगी जिसमें चीन की भूमिका नगण्य हो।
- कोरोना काल में सप्लाई चेन में आई दिक्कत और व्यापारिक रूप से चीन के दबदबा वाले रवैये को देखते हुए एक विकल्प तैयार करने के उद्देश्य आईपीईएफ का गठन किया गया।
- आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक अब पूरी दुनिया में मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन की स्थापना से जुड़ी चर्चा में चीन प्लस वन (चीन के अलावा एक) की बात की जाती है। यानी चीन को पूरी तरह दरकिनार नहीं किया जा सकता है लेकिन विकल्प तैयार करने होंगे और फिर चीन को छोड़कर बात हो सकती है।
- कुछ इसी उद्देश्य से आईपीईएफ में चीन को शामिल नहीं किया गया है।
- वैश्विक व्यापार में आयात व निर्यात दोनों ही रूप में चीन की हिस्सेदारी 12 फीसद से अधिक है, इसलिए चीन पर निर्भरता अभी जारी रहेगी।
- लेकिन सभी विकसित देश इस निर्भरता को कम करने की अपनी मंशा अब खुले तौर पर जाहिर कर रहे हैं।
- अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ 13 देश आईपीईएफ के सदस्य है।
- ये सभी देश भारत में चीन के विकल्प बनने की क्षमता देख रहे हैं।
- तभी ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौते के दौरान वहां के तत्कालीन व्यापार मंत्री टेहन ने चीन की ओर इशारा करते हुए कहा कि वे इंडो पैसिफिक में किसी एक देश की मनमानी नहीं चलने देंगे।
- जापान, दक्षिण कोरिया भी सप्लाई चेन के लिए भारत को चीन के विकल्प के रूप में देख रहा है।
- अमेरिकी कंपनी एप्पल के लिए चीन में फोन बनाने वाली फॉक्सकॉन व विस्ट्रन ने तो अब धीरे–धीरे चीन की जगह भारत को एप्पल फोन निर्माण का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में काम भी करना शुरू कर दिया है।
- उल्लेखनीय है कि वैश्विक व्यापार में अभी भारत की हिस्सेदारी अभी दो फीसद के आसपास है, लेकिन डिजिटल कारोबार की दुनिया में भारत विकसित देशों को मात दे रहा है।
- वहीं मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े 15 सेक्टर में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव की घोषणा करके भारत यह जाहिर कर चुका है कि वह वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बनना चाहता है।
- स्वच्छ अर्थव्यवस्था की स्थापना के लिए भारत लगातार स्वच्छ ऊर्जा पर अपनी निर्भरता बढ़ा रहा है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS-2 के “द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते” और GS -3, के “भारतीय अर्थव्यवस्था और संवृद्धि, विकास से संबंधित मुद्दे” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।