इस्पात मंत्रालय का वर्षांत समीक्षा-2022
- इस्पात सेक्टर, निर्माण, अधोसंरचना, मोटर–वाहन, इंजीनियरिंग और रक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण सेक्टरों के लिये केंद्रीय भूमिका निभाता है। वर्ष प्रति वर्ष इस्पात सेक्टर में जबरदस्त प्रगति दर्ज की गई है।
- देश अब इस्पात उत्पादन में वैश्विक शक्ति बन चुका है तथा कच्चे इस्पात के उत्पादन में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।
- इस्पात उत्पादन और खपत:
- चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों (अप्रैल–नवंबर 2022) के दौरान इस्पात सेक्टर का प्रदर्शन काफी उत्साहवर्धक रहा है।
- स्वदेशी परिष्कृत इस्पात का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि के तुलना में 6.9 प्रतिशत अधिक है।
- पिछले वर्ष की समान अवधि में परिष्कृत इस्पात खपत अप्रैल–नवंबर 2022 के खपत की तुलना में 11.9 प्रतिशत अधिक है।
इस्पात सेक्टर के विकास के लिये हाल की पहलें:
- उत्पादन युक्त प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाः
- विशेष इस्पात के घरेलू उत्पादन के लिए पीएलआई योजना को मंत्रिमंडल द्वारा 6322 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई है।
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- योजना के तहत पहचान किये गये विशिष्ट इस्पात के मद्देनजर पांच व्यापक श्रेणियां हैं, जहां इनका उपयोग किया जाता है।
- इनमें घरेलू उपकरण, मोटर–वाहन का ऊपरी ढांचा व पुर्जे, तेल और गैस आपूर्ति के पाइप, बॉयलर, बैलिस्टिक और आर्मर शीट, हाई–स्पीड रेलवे लाइनें, टरबाइन पुर्जे, वितरण और बिजली ट्रांसफार्मर शामिल हैं।
- यह योजना वित्त वर्ष 2023-24 (पीएलआई वित्त वर्ष 2024-25 में जारी की जाएगी) से शुरू होने वाली है।
- इस्पात क्षेत्र में डीकार्बोनाइजेशन: भारत के सीओ2 उत्सर्जन में भारत के इस्पात सेक्टर का हिस्सा 12 प्रतिशत है, जो 1.85 टी सीओ2/टीसीएस की वैश्विक औसत उत्सर्जन तीव्रता की तुलना में 2.55 टी सीओ2/टीसीएस है। ग्लासगो प्रतिबद्धताओं के एक हिस्से के रूप में, भारत की 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल करने की योजना है।
- इस्पात सेक्टर में ब्रैंड इंडियाः इस्पात मंत्रालय ने देश में उत्पादित इस्पात की मेड इन इंडिया ब्रांडिंग की पहल की है। प्रमुख इस्पात उत्पादकों को इस्पात के लिए मेड इन इंडिया ब्रांडिंग के महत्त्व के बारे में बताया गया है। इस्पात मंत्रालय द्वारा व्यापक विचार–विमर्श के बाद एक सामान्य मानदंड को अंतिम रूप दिया गया है।