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कृषि पोषण वाटिका सप्ताह

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दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने जागरूकता अभियान के माध्यम से 10 से 17 जनवरी, 2022 तक ‘कृषि पोषण वाटिका सप्ताह’ मनाया और इस दौरान ग्रामीण घरों में ‘कृषि पोषण वाटिका’ लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी किया है। परिवार के पोषण की आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवार को कृषि पोषण वाटिका लगाने में मदद करना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का एजेंडा है और इसमें जरूरत से ज्यादा उपज को आय सृजन के लिए बाजार में बेचा भी जा सकता है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था की ताकत बढ़ाने की प्रधानमंत्री की सोच और आत्म-निर्भर भारत के उनके आह्वान के अनुरूप, ग्रामीण भारत में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में 78 लाख से अधिक कृषि पोषण वाटिकाओं की स्थापना के साथ ग्रामीण भारत नया रास्ता दिखा रहा है। इस कृषि पोषण वाटिका सप्ताह में 7500 वाटिका के लक्ष्य के मुकाबले कुल 76,664 ‘कृषि पोषण वाटिका’ लगाई गई हैं।

यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि महिलाओं और स्कूली बच्चों को शामिल करते हुए पोषण संबंधी जागरूकता, शिक्षा और रहन-सहन में बदलाव को बढ़ावा देने में मदद कर रही है। इससे स्थानीय नुस्खा के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करते हुए कुपोषण को दूर करने और घरेलू कृषि तथा पोषण वाटिका के माध्यम से पोषण-युक्त कृषि को लागू करने में काफी मदद मिल रही है।

इस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, डीएवाई-एनआरएलएम ने 13 जनवरी, 2022 को एक वेबिनार का भी आयोजन किया, जिसमें 700 जगहों से पहुंची 2000 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। ग्रामीण आजीविका (आरएल) की संयुक्त सचिव ने ग्रामीण भारत में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कार्य करने के लिए सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के मिशनों को बधाई दी। उन्होंने सभी एसआरएलएम और महिला किसानों को सभी घरों में कृषि पोषण वाटिका लगाने के लिए प्रेरित किया और कहा कि इन वाटिकाओं में तरह-तरह की सब्जियों और फलों की खेती करने की योजना होनी चाहिए ताकि समग्र घरेलू पोषण की आवश्यकता को पूरा किया जा सके।

दीनदयाल अंत्योदय योजना का उद्देश्य योजना का उद्देश्य कौशल विकास और अन्य उपायों के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर शहरी और ग्रामीण गरीबी को कम करना है। मेक इन इंडिया, कार्यक्रम के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सामाजिक तथा आर्थिक बेहतरी के लिए कौशल विकास आवश्यक है। दीनदयाल अंत्योदय योजना को आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय (एच.यू.पी.ए.) के तहत शुरू किया गया था। भारत सरकार ने इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

यह योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एन.यू.एल.एम.) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम.) का एकीकरण है।

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एन.यू.एल.एम.) को दीन दयाल अंत्योदय योजना – (डी.ए.वाई.-एन.यू.एल.एम.) और हिन्दी में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन नाम दिया गया है। इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों के लिए दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना के अंतर्गत सभी 4041 शहरों और कस्बों को कवर कर पूरे शहरी आबादी को लगभग कवर किया जाएगा। वर्तमान में, सभी शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में केवल 790 कस्बों और शहरों को कवर किया गया है।

इस योजना का लक्ष्य शहरी गरीब परिवारों कि गरीबी और जोखिम को कम करने के लिए उन्हें लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसर का उपयोग करने में सक्षम करना, जिसके परिणामस्वरूप मजबूत जमीनी स्तर के निर्माण से उनकी आजीविका में स्थायी आधार पर सराहनीय सुधार हो सके। इस योजना का लक्ष्य चरणबद्ध तरीके से शहरी बेघरों हेतु आवश्यक सेवाओं से लैस आश्रय प्रदान करना भी होगा। योजना शहरी सड़क विक्रेताओं की आजीविका संबंधी समस्याओं को देखते हुए उनकी उभरते बाजार के अवसरों तक पहुँच को सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त जगह, संस्थागत ऋण, और सामाजिक सुरक्षा और कौशल के साथ इसे सुविधाजनक बनाने से भी संबंधित है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

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