भारतीय वायु सेना 06 से 27 मार्च 2022 तक इंग्लैंड के वैडिंगटन में ‘एक्स कोबरा वारियर 22’ नामक एक बहु राष्ट्र वायु सेना युद्धाभ्यास में भाग लेगी। भारतीय वायु सेना के लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस इंग्लैंड और अन्य शीर्ष वायु सेनाओं के लड़ाकू विमानों के साथ इस युद्धाभ्यास में भाग लेंगे।
इस अभ्यास का उद्देश्य भाग लेने वाली वायु सेनाओं के मध्य परिचालन प्रदर्शन करना और श्रेष्ठ प्रथाओं को साझा करना है, जिससे युद्ध क्षमता को बढ़ाना और मित्रता के बंधन को मजबूत बनाना है। यह एलसीए तेजस के लिए अपनी गतिशीलता और परिचालन क्षमता का प्रदर्शन करने वाला एक मंच होगा।
पांच तेजस विमान इंग्लैंड के लिए उड़ान भरेंगे। भारतीय वायु सेना के सी-17 विमान प्रवेश (इंडक्शन) और निकास (डी-इंडक्शन) के लिए आवश्यक परिवहन सहायता प्रदान करेगा।
तेजस
तेजस भारत द्वारा विकसित किया जा रहा एक हल्का व कई तरह की भूमिकाओं वाला जेट लड़ाकू विमान है। यह हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित एक सीट और एक जेट इंजन वाला, अनेक भूमिकाओं को निभाने में सक्षम एक हल्का युद्धक विमान है। यह बिना पूँछ का, कम्पाउण्ड-डेल्टा पंख वाला विमान है। इसका विकास ‘हल्का युद्धक विमान’ या (एलसीए) नामक कार्यक्रम के अन्तर्गत हुआ है जो 1980 के दशक में शुरू हुआ था। विमान का आधिकारिक नाम तेजस 4 मई 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था। यह विमान पुराने पड़ रहे मिग-21 का स्थान लेगा। तेजस की सीमित श्रृंखला का उत्पादन 2007 में शुरू हुआ। दो सीटों वाला एक ट्रेनर संस्करण विकसित किया जा रहा है (नवम्बर 2008 तक उत्पादन के क्रम में था।), क्योंकि इसका नौसेना संस्करण भारतीय नौसेना के विमान वाहक पोतों से उड़ान भरने में सक्षम है। बताया जाता है कि भारतीय वायु सेना को एकल सीट वाले 200 और दो सीटों वाले 20 रूपांतरण प्रशिक्षक विमानों की जरूरत है, जबकि भारतीय नौसेना अपने सी हैरियर की जगह एकल सीटों वाले 40 विमानों का आदेश दे सकती है। १ जुलाई २०१६ को भारतीय वायुसेना की पहली तेजस यूनिट का निर्माण किया गया, जिसका नाम ‘नम्बर ४५ स्क्वाड्रन आई ए एफ फ्लाइंग ड्रैगर्स’ है। 1 अप्रैल 2020 में भारतीय वायुसेना की दूसरी तेजस स्क्वाड्रन का निर्माण किया। इससे स्क्वाड्रन का नाम ‘नम्बर 18 स्क्वाड्रन आई ए एफ फ्लाईं बुलेट’। ये दोनो स्क्वाड्रन सुलूर में स्थापित है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1PRE