चीन में मंदी की आहट
- वर्ष 2022 के पहले छह महीने के द्विपक्षीय कारोबार आंकड़ों का संकेत यह है कि लगातार दूसरे वर्ष चीन और भारत का द्विपक्षीय कारोबार 100 अरब डॉलर को पार करेगा।
- चीन वैश्विक सप्लाई चेन के लिए अभी भी काफी महत्वपूर्ण है और उसकी इकोनॉमी में कमजोरी का असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है।
- एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चीन की इकोनॉमी से काफी अलग–अलग तरह के संकेत आ रहे हैं।
- एक तरफ पूरी दुनिया के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को बढ़ा रहे हैं। तो वहां ब्याज दरों में 10 आधार अंकों की कमी की गई है।
- कोरोना महामारी को लेकर जहां पूरी दुनिया में बेहद सरल नियम बनाये जा रहे हैं। ताकि आर्थिक गतिविधियों पर असर नहीं हो, लेकिन वहां के कई बड़े औद्योगिक शहरों में अभी भी कई तरह के अवरोध लागू हैं।
- उल्लेखनीय है कि भारत के लिए चीन एक बहुत ही बड़ा आर्थिक साझेदार देश हैं। चीन की भारतीय इकोनॉमी में अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि मई, 2020 से दोनो देशों के बीच चल रहे सैन्य तनाव का भी असर द्विपक्षीय कारोबार पर नहीं पड़ा है।
- जुलाई, 2022 में केंद्र सरकार की तरफ से जारी आंकड़े बताते हैं कि जनवरी–जून, 2022 के दौरान इनका द्विपक्षीय कारोबार08 अरब डॉलर का था। इस दौरान चीन से भारत के आयात में 34.5 फीसद का इजाफा (57.51 अरब डॉलर) हुआ है, जबकि भारत से चीन को होने वाले निर्यात में 35.3 फीसद की गिरावट (9.57 अरब डॉलर) हुई है।
- वर्ष 2021 में द्विपक्षीय कारोबार 125 अरब डॉलर का रहा था।
- भारत के रसायन उद्योग, फार्मास्यूटिकल्स उद्योग, इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग के लिए कच्चे माल काफी हद तक चीन से ही आते हैं। ऐसे में वहां की मंदी का असर भारत के उद्योगों को भी प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
- इसके अतिरिक्त चीन की इकोनॉमी में गिरावट भारत के लिए कई नई संभावनाएं भी पैदा कर सकती हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी अपनी रिपोर्ट में वर्ष 2022 में चीन की आर्थिक विकास दर 3.3 फीसद रहने का अनुमान लगाया है जो पिछले 40 वर्षों की न्यूनतम दर है। जबकि इस वर्ष भारत की विकास दर 7.4 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया है।
क्या हो रहा है चीन में?
- पूरी दुनिया में कर्ज हुआ महंगा, चीन ने किया सस्ता
- कई बड़े औद्योगिक शहरों में अभी भी कामकाज सामान्य नहीं
- रीयल एस्टेट क्षेत्र में भारी मंदी, कई कंपनियों के दिवालिया होने की खबर
- चीन के कई बैंकों के पास फंड की कमी, ग्राहकों को नहीं दी जा रही जमा राशि
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के गस GS- 2 के “अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध” और GS -3, के “आर्थिक विकास” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।